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मामला यस बैंक का : 165 करोड़ के लेन देन का… ❓
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास से शमशीर शिवानी] : यस बैंक के खाताधारक के खाता से 165 करोड़ रूपये के लेन देन का मामले को नगर के एक प्रसिद्ध अधिवक्ता ने 12 सौ पेज में पूरे दस्तावेज के साथ ईडी के डायरेक्टर को दिल्ली कार्यालय में शिकायत कर दी है। इसके कारण इस शहर के कई नामी लोगों के दिल की धड़कने बढ गई है।
ज्ञातव्य हो कि अनिमेश सिंह के एकाउंट से 165 करोड़ रूपये के वर्ष 2018-19 के दौरान हुए ट्राजेक्शन के मामलेे को दबाने पर खुर्सीपार थाना एवं ई. ओ. डब्लू रायपुर के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ईडी के डायरेक्टर से भिलाई सेक्टर 1 निवासी अशोक शर्मा के द्वारा शिकायत की गई है। शिकायत की प्रति पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को भी प्रेषित की गई है।
शिकायतकर्ता अशोक शर्मा ने अपने आवेदन में उल्लेखित किया है कि यस बैंक के खातेदारों अनिमेश सिंह निवासी वार्ड नंब 28 खुर्सीपार शिवाजी नगर भिलाई के खाता क्रमांक 006763300001595 अवैध रकम जो की विदेशों से कई रसूखदारों का अवैधानिक रूप से धन शोधन एवं वित्तीय अनियमितताएं कर संदिग्ध खातों में ट्रांसफर की गयी। उस आय के स्त्रोत भी संदिग्ध थे। जिस पर कार्यवाही न करते हुये आज तक मामले को जांच करने का अधिकार ई.ओ.डब्लू. को नहीं होने पर भी आर्थिक अनिमितांए रकम शोधन करने वाले रसूखदार लोगों को सरंक्षण देने के उद्देश्य से मामले को दबाने का प्रयास विगत साढे 4 वर्षों से किया गया है।
अशोक शर्मा पिता स्व. बी. एन शर्मा ब्लाक नंबर 35 डी कॉस स्ट्रीट 1 सेक्टर 1 ने आगे शिकायत में उल्लेखित किया है कि अनिमेश सिंह ने 2019 में खुर्सीपार थाने में शिकायत की थी । यश बैंक भिलाई के उसके खाते से करोड रूपये का अवैध लेन-देन किया गया । मामले को संज्ञान में आते ही खुर्सीपार पुलिस के द्वारा वास्तविक जांच न कर मामले को सामान्य व रसूखदार नेताओं बिल्डरों भू माफियाओं राजनैतिक दल के प्रभाव मे खानापूर्ति कर आज तक मामले को लंबित रखा गया है। उक्त 165 करोड़ रूपये के ट्राजेक्शन का मामला विशुद्ध रूप से अवैध रूप से रकम के आहरण व शोधन का था। जिसमें कई सत्ता संरक्षण प्राप्त लोगों के द्वारा रकम निकासी व जमा की गयी थी जिसे आई.सी.आई.सी. बैंक भिलाई के दस्तावेजों से स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। फिर भी ई.ओ. डब्लू के द्वारा उक्त आर्थिक नियमताओं के मामलें की दिशा भटकाने के लिये ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। जानकारी चाहने पर मामले का ई.ओ.डब्लू. द्वारा जांच करने का हवाला दे मामले को आज तक नियम विरूद्ध तरीके से दबाकर रखा गया । आई.सी.आई.सी. बैंक के खाते से 55 लाख से अधिक डेविड क्रेडिट किया गया। बिल्डरों के द्वारा 50 बार में ढाई करोड रूपये का लेन देन उक्त खातो से किया गया एवं अन्य लोगों के द्वारा भी करीब 2 करोड़ व अन्य के द्वारा लाखों रूपये का ट्रांजैक्शन खाते से किया गया जो की बैंक के दस्तावेज से स्पष्ट है। इतनी बड़ी रकम की जमा व निकासी के संबंध में आई.सी आई. सी बैंक की भूमिका भी सदिग्ध परिलिक्षित होती है उसके द्वारा उपरोक्त संबंध में आयकर विभाग को भी सूचित न किया जाना कहीं न कहीं लिप्तता को दर्शित करता है। खाते से 165 करोड रूपये का ट्रांजेक्शन जिसमें 37 से अधिक लोगों के नाम के खाते है। जिसमें अदान-प्रदान किया गया । वह रकम कहां से प्राप्त की गयी कैसे आयी उक्त ट्रांजैक्शन के खाते में विदेश से भी रकम खाते में आने को इंकार नहीं किया जा सकता। इस प्रकार रकम एक खाते से इतनी बड़ी रकम का ट्रांजेक्शन होना अवैधानिक तरीके से प्राप्त धन को जिस पर टैक्स की भी अनियमितता स्पष्ट है।
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