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बिलासपुर : न खाऊंगा न खाने दूंगा की तर्ज पर न ‘ हवाई जवाब में आऊंगा न हवाई जहाज आने दूंगा…
’’छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर जिसे छत्तीसगढ़ की राजनीति का केन्द्र माना जाता रहा हैं। हाईकोर्ट, एस.ई.सी.एल. रेलजोन जैसे प्रमुख संस्थानों का केन्द्र बिन्दु आज महज एक हवाई सेवा को तरस रहा हैं पिछले छः वर्षों से जारी हवाई सेवा की मांग पर केन्द्र का रवैया बिल्कुल जनहितकारी नहीं हैं ’’न खाउंगा न खाने दूंगा’’ की तर्ज पर न ’’हवाई जवाब में आउंगा न हवाई जहाज आने दूंगा’’ जैसी राजनीतिक चालों से आज आम नागरिक से लेकर उच्चाधिकारी, जज उद्योगपति, राजनीतिक नेता तथा जरूरत मंद परेशान हैं, आखिर बिलासपुर जैसे महानगर बनते जा रहे, शहर को हवाई सेवा से जोड़ने में किस पार्टी , किस नेता का अहित हो रहा हैं, इसका जवाब तो आम जनता को मिलना जरूरी हैं। लेकिन सत्ताधारी पार्टी से लेकर केन्द्रीय नेता, मंत्री की रूचि इस गंभीर समस्या पर नहीं हैं। इसकी वजह जानने हर नागरिक उत्सुक हैं।
’’बिलासपुर के नागरिकों का अधिकार कहता हैं कि सारी कानूनी औपचारिकता पूर्ण करने के बाद भी आखिर पेंच कहा फेंस रहा हैं इसका खुलसा मीडीया से लेकर जनप्रतिनिधि, हवाई सेवा से जुड़े अधिकारियों को करना चाहिए।
’’बिलासपुर में इस समस्या को लेकर बिलासपुर बंद पूर्णतः सफल देखा गया। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अभयनारायण राय सहित तमाम कांग्रेसियों तथा नागरिकों की इस आवश्यक मांग पर विमाननत मंत्रालय को तत्क्षण संज्ञान लेकर सुचारू हवाई सेवा का संचालन करना न्यायधानी के हित में होगा। बढ़ता जनता का आक्रोश पूर्व में हुये रेलजोन मांग की तरह विनाशकारी न बन जाये। केन्द्रीय नेतृत्व को चाहिये कि बिलासपुर की हवाई सेवा को बहाल और सुविधाओं से लैस किया जाये।
[ •राजन कुमार सोनी, छत्तीसगढ़ हेड न्यूज़ प्रभारी, ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ ]
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