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साहित्य : छंद फुलवारी : कृति – शुचि ‘ भवि ‘
कृतिकारा शुचि ‘ भवि ‘ की छंद फुलवारी 10वीं संग्रह है. इसके पूर्व प्रकाशित कृतियां है –
•मेरे मन का गीत [ओम दोहा चालीसा]
•बाँहों में आकाश [दोहा सतसई]
•सबसे अच्छा काल [बाल दोहा शतक]
•ख्वाबों की खुशबू [काव्य संग्रह]
•आर्यकुलम की नींव [महर्षि दयानंद दोहा शतक]
•मसाफ़त – ए – ख्वाहिशात [ग़ज़ल संग्रह]
•सबमें हैं जगदीश [नानक चालीसा ]
•ज़र्द पत्ते और हवा [लघुकथा संग्रह]
•हेतवी [उपन्यास]
शुचि ‘ भवि ‘ का जन्म छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला में हुआ है. पिता डॉ. त्रिलोकी नाथ क्षत्रिय सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे. शुचि से मेरी मुलाकात कई साहित्यिक आयोजन में होते रहती है. शुचि की लगभग सभी कृति मेरे पास है. विगत दिनों शुचि ने अपनी 10वीं संग्रह छंद फुलवारी मुझे इन शब्दों के साथ भेंट किया –
आदरणीय प्रदीप जी को सआदर सस्नेह
शुचि ने संग्रह दी तो पढ़ना भी जरूरी है. पढ़ना है, तो समय निकालना ही पड़ेगा. शुचि के लिए अपने व्यस्तम पलों की हत्या कर पढ़।. पत्रकारों के पास समय ही नहीं होता, ऐसा लगता है 24 घंटा 48 घंटे में तब्दील हो जाता तो कितना अच्छा होता?
छंद फुलवारी को शुचि ने अपने गुरुदेव ‘ छंद के छ ‘ के संस्थापक अरुण कुमार निगम को समर्पित किया है, जैसा कि शुचि के ‘ मोर अंतस के उद् गार… ‘ से मुझे लगा. शुचि ने लिखा –
2017 मा गुरुदेव श्री अरुण निगम जी मोला आनलाइन कक्षा ‘ छंद के छ ‘ मा जोडिँन. इहाँ मय छत्तीसगढ़ भाखा म छंद सीखना शुरू करेंव.
अरुण कुमार निगम ने संग्रह में अपनी बात ‘, संकल्प के भुइंया मा शुचि ‘ भवि ‘ के छंद – फुलवारी….
शुचि ‘ भवि ‘ हर वइसे तो पाठ्यक्रम अनुसार लगभग पचास किसम के छंद लिखे बर सीख चुके हे फेर ये छंद संग्रह मा 14 किसम के भारतीय सनातनी छंद अउ एक लोक छंद के संकलन है…
अजय ‘ अमृतांशु ‘ ने ‘ सुग्घर शुचि ‘ भवि ‘ के छंद फुलवारी….’ में लिखा है –
मन मा लगन अउ विश्वास होही ता सफलता निश्चित रूप से मिलथे, कोनो भी प्रकार के बाधा आड़े नइ आय. ये बात शुचि ‘ भवि ‘ उपर बिल्कुल फिट बइठथे.
डॉ.संध्या रानी शुक्ला ने अपने पृष्ठ ‘ मानवीय संवेदना के गुलदस्ता – छंद फुलवारी… में लिखा –
शुचि ‘ भवि ‘ जी मन सबले पहिली, छंद रचना करे बर सिखिन अउ अपन कार्य में सफल रिहिन. ये काम हर ऊँकर बर चुनौती ले कम नई रिहिस होही, फेर उन सफल होइन…
छंद फुलवारी में 17 अनुक्रम है. दाई – ददा के सुरता/छन्नपकैया/चउमास/दोहे/माहिया/कज्जल छंद/कुकुभ छंद/सार छंद/कुंडलिया छंद/सरसी छंद/बरवै छंद/अमृत ध्वनि छंद/मंदारमाला सवैया/सुमुखी सवैया/विष्णुपद छंद/आल्हा छंद और चौपाई छंद.
लगभग 100 पृष्ठ की यह संग्रह छंद फुलवारी का प्रकाशन वैभव प्रकाशन ने किया है.
डॉ.सुधीर शर्मा ने लिखा –
अपन समे के सुख – दुख अउ मनखे के सरोकार ल कविता के अनुशासन म देखना – परखना, निभारना – पछारना अउ येखर बर अपन महतारी भाखा ल छोड़ के अपन राज्य – अपन संगी मन के गुरतुर भाखा म लिखना एक बड़ा साधना है. अइसन बड़ गुनी अउ मिहनती साधिका हे शुचि ‘ भवि ‘…
अपन गुरुजी भाई अरुण कुमार निगम के छंद के छ परिवार ले जुर के शुचि ‘ भवि ‘ ह सरलग छंद सीखे के बुता करे हे. प्रस्तुत किताब म सतरह किसम के छंद के माध्यम ले छत्तीसगढ़ के मंदिर देवारा, तीज – तिहार, नदिया – नरवा, घाटी अउ परबत, खानपान, पहनई ओढ़ई ला लेके बड़ सुघर कबिता रचे हे. एक कोती जिहां हमर इतिहास, परंपरा, आधुनिक छत्तीसगढ़ हे दूसर को कोती मनखे के भीतर संसो ढलाव परगट होए हे –
आइस ‘ भवि ‘ संसार म, मनखे सगा समान.
ये जिनगी के खेल मा, चारे दिन के शान.
छंद फुलवारी से एक – दो रचना –
नेता मन के एक विधान
वोटर मन के पहिचान
मतदाता अब नइ गंभीर
लालच के तब चलथ तीर
अपन अपन सब करय प्रचार
नेता मन हे बड़ हुसियार
हवे चुनावी खांचा खास
चेला चमचा रहिथे पास
नेता मन के तीन प्रकार
पहिला बनथे सबके यार
दूसर राखय ऊँचा मूछ
तीसर बनके रहिथे पुंछ.
▪️▪️▪️
छन्नपकैया छन्नपकैया, आवव सब संगवारी
नरवा घुरवा के संग देखव,
छत्तीसगढ़ के बारी
छन्नपकैया छन्नपकैया, हर लइका मुस्काही
धरती दाई के अंचरा जब,
लहर – लहर लहराही
छन्नपकैया छन्नपकैया,
नइ हे एको कर्जा
दक्षिण कौशल देश ला मिलगे
छत्तीसगढ़ के दर्जा.
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शुचि ‘ भवि ‘ एमएससी इलेक्ट्रानिक्स में गोल्डमेडलिस्ट और बीएड की शिक्षा प्राप्त करने के बाद एक निजी स्कूल में अध्यापन का कार्य कर रही हैं. शुचि के बाबूजी साहित्यकार स्व. डॉ. त्रिलोकी नाथ क्षत्रिय के यहाँ सेक्टर – 5 बीएसपी के निवास में मैं यदा – कदा आया जाया करता था, शुचि छोटी थी… उसे कहाँ याद होगा, मुझे भी याद नहीं… मुझे तब पता चला जब शुचि, ‘ भवि ‘ नाम से साहित्यिक आयोजन में आने – जाने लगी… किसी ने कहा ‘ भवि ‘ क्षत्रिय है.. मैंने कहा डॉ. त्रिलोकी नाथ क्षत्रिय की बेटी…?
इसी सुखद मोड़ के साथ शुचि के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए एक और संग्रह की बेसब्री से प्रतिक्षा करते हुए
– प्रदीप भट्टाचार्य
•कृतिकारा शुचि ‘ भवि ‘, ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ ग्रुप के ग्रुप एडिटर प्रदीप भट्टाचार्य को ‘ छंद फुलवारी ‘ की प्रति भेंट करते हुए…