• Chhattisgarh
  • पुलवामा त्रासदी और चुनावी एडवांटेज – राजेंद्र शर्मा

पुलवामा त्रासदी और चुनावी एडवांटेज – राजेंद्र शर्मा

2 years ago
179

पुलवामा की त्रासदी का भूत, चार साल बाद एक बार फिर परेशान करने के लिए, मोदी सरकार के सामने आ खड़ा हुआ है। पुलवामा की त्रासदी और उसके साल भर बाद, जम्मू-कश्मीर के विभाजन, उसका दर्जा घटाए जाने तथा धारा-370 के पूरी तरह से इकतरफा तरीके से खत्म किए जाने के समय, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक के, हिंदी के एक यू-ट्यूब चैनल और वरिष्ठ पत्रकार, करण थापर को हाल में दिए गए साक्षात्कारों ने, पुलवामा के सिलसिले में अब तक अनुत्तरित बने रहे कडुए सवालों को, फिर से सामने लाकर खड़ा कर दिया है। बेशक, मोदी सरकार ने इस साक्षात्कार से उठने वाले सवालों का किसी भी तरह से जवाब देने के बजाए, मुख्यधारा के मीडिया पर अपने लगभग पूर्ण नियंत्रण का सहारा लेकर, इन साक्षात्कारों की खबर को ही पूरी तरह से ब्लैक आउट कराने के जरिए, एक बार फिर इन अप्रिय सवालों को आम लोगों तक नहीं पहुुंचने देने के जरिए, दफ्र करने की ही कोशिश की है। लेकिन, देश की राजनीतिक हवा का रुख धीरे-धीरे बदलने की पृष्ठभूमि में ये सवाल, मौजूदा सत्ताधारियों का आसानी से पीछा छोड़ते नहीं लगते हैं।

सबसे पहले पुलवामा का ही मुद्दा ले लें। सत्यपाल मलिक ने, जिन्हें मोदी निजाम ने खुद छांटकर और जम्मू-कश्मीर के लिए अपना सबसे उपयुक्त प्रतिनिधि मानकर, इस संवेदनशील सीमावर्ती राज्य का राज्यपाल बनाकर भेजा था, जाहिर है कि इस आम तौर पर स्वीकार की जा चुकी सचाई को एक बार फिर रेखांकित किया है कि यह त्रासदी, जिसमें सीआइआरपीएफ के काफिले पर कार-बम से किए गए आतंकी आत्मघाती हमले में, सीआरपीएफ के 40 जवान मारे गए थे, इस आतंकवाद-प्रभावित क्षेत्र में, सुरक्षा बलों के इतने विशाल काफिले को, गाडिय़ों से सडक़ मार्ग से ले जाए जाने का ही नतीजा था। यानी अगर करीब 2,500 जवानों का, अस्सी से ज्यादा वाहनों का विशाल काफिला, सडक़ मार्ग से नहीं भेजा जा रहा होता, जबकि ऐसा काफिला अपने आप में अभूतपूर्व ही था, तो चालीस जवानों की अकारण शहादत की इस त्रासदी से बचा जा सकता था। वास्तव में सीआरपीएफ द्वारा बाद में करायी गयी इस पूरे प्रकरण की जांच में भी, इसी सचाई को रेखांकित किया गया है। पूर्व-सेना अध्यक्ष, जनरल शंकर रायचौधुरी ने भी टेलीग्राफ से एक बातचीत में यह रेखांकित किया है कि सडक़ मार्ग से रक्षा बलों के इतने विशाल काफिले को भेजा जाना, अपने आप में वह घातक गलती थी, जो इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार थी।

तत्कालीन राज्यपाल मलिक, जिन्हें साफ तौर पर इस सब के संबंध में अंधेरे में ही रखा गया था, प्रामाणिक रूप से इस त्रासदी के घट जाने के बाद हासिल हुई यह जानकारी देते हैं कि सीआरफएफ ने अपने जवानों को हवाई मार्ग से ले जाने का अनुरोध किया था और इसके लिए पांच हवाई जहाजों की जरूरत होती। लेकिन, गृहमंत्रालय ने जिसकी कमान उस समय राजनाथ सिंह के हाथों में थी, सीआरपीएफ की इस मांग को खारिज कर दिया था। इसके साथ ही मलिक, दो-टूक शब्दों में यह कहकर कि अगर यह मांग राज्यपाल के रूप में उनके सामने आयी होती, तो उन्होंने जरूर कुछ-न-कुछ कर के उनकी यह मांग पूरी कर दी होती, कम-से-कम इतना तो साफ कर ही देते हैं कि जवानों के इस काफिले को हवाई मार्ग से ले जाने की मांग, कोई ऐसी मांग नहीं थी, जिसे साधनों की किसी वास्तविक सीमा के चलते, पूरा किया ही नहीं जा सकता था। पुन: यह दोहरा दें कि सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए, जवानों की इस बड़ी संख्या को हवाई मार्ग से ले जाने की मांग तथा उसके खारिज किए जाने के तथ्य, घटना के फौरन बाद के दौर में भी सामने आए थे। बहरहाल, तत्कालीन राज्यपाल ने इस मांग को खारिज करने के निर्णय और इसके जरिए, सीआरपीएफ को इतना बड़ा काफिला सडक़ मार्ग से ले जाने के लिए मजबूर करने के निर्णय की जिम्मेदारी और इस तरह पुलवामा में हुई चालीस वर्दीधारी जवानों की मौतों के पीछे शासन की लापरवाही के दबा दिए गए सवाल को, फिर से उकेर कर सामने ला खड़ा किया है।

लेकिन, सत्यपाल मलिक याद दिलाते हैं कि इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लापरवाही, सिर्फ इतने बड़े काफिले को सडक़ मार्ग पर धकेलने तक ही सीमित नहीं थी, जिसने इस काफिले को आतंकी कार्रवाई का बहुत ही आसान निशाना बना दिया था। इसके साथ ही साथ, इस पहले ही वेध्य काफिले के मार्ग को, किसी भी तरह के हमले से सुरक्षित करने के बंदोबस्त में भी, सरासर लापरवाही बरती गयी थी। मलिक अपने साक्षात्कार में बताते हैं कि घटना के बाद, उन्होंने खुद काफिले के मार्ग का मुआइना किया था और यह पाया था कि इस मार्ग पर, आठ से दस तक उप-मार्ग भीतरी इलाकों से आकर मिलते थे, लेकिन इन रास्तों को काफिले के गुजरने के दौरान नियंत्रित करनेे का, कोई प्रयास तक नहीं किया गया था। इसी का नतीजा था कि विस्फोटक से लदी कार, काफिले के रास्ते पर बिना किसी रोक-टोक के चली आयी और जवानों से भरे वाहनों से उसे टकरा दिया गया।
जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल, मलिक इस समूची सुरक्षा चूक के साथ ही, समूची खुफिया व्यवस्था की इस चूक की ओर भी ध्यान खींचते हैं कि 300 किलोग्राम के करीब विस्फोटक से लदी कार, आठ-दस दिन से ग्रामीण तथा अन्य भीतरी इलाकों में घूम रही थी, लेकिन इतने अत्यधिक निगरानी वाले इलाके में भी, उस पर किसी की नजर ही नहीं पड़ी। फिर भी एक ऐसे राज में जो ‘‘सुरक्षा’’ के लिए अपनी मुस्तैदी का न सिर्फ सबसे ज्यादा ढोल पीटता हो, बल्कि हर वक्त अपने इस ढोल की आवाज के बल पर, दूसरे सब को कमतर देशभक्त से लेकर गैर-देशभक्त साबित करने में लगा रहता है, ऐसी घोर लापरवाही के लिए किसी को भी न जवाबदेह ठहराया गया और न किसी प्रकार की सजा दी गयी। उल्टे मलिक के बयान के मुताबिक शुरू से ही उसका पूरा जोर, जिम्मेदारी के सवालों को दबाने पर ही रहा था। इससे तो संबंधित लापरवाही या गलती के पीछे नीयत पर भी सवाल उठना स्वाभाविक है।

सत्यपाल मलिक बताते हैं कि पुलवामा की त्रासदी के बाद, जहां उनकी पहली प्रतिक्रिया, जो उन्होंने कुछ हद तक उसी समय मीडिया से साझा भी की थी, यही थी कि सडक़ मार्ग से रक्षा बलों का इतना बड़ा काफिला लाने की प्रशासनिक चूक की वजह से यह भयावह त्रासदी हुई थी, वहीं प्रधानमंत्री की पहली प्रतिक्रिया उन्हें इसका निर्देश देना था कि इस संबंध में ‘चुप ही रहें। जो कहना है, दिल्ली से ही कहा जाएगा और ‘उन्हें बताया भी जाएगा’। प्रधानमंत्री, घटना के दौरान जिम कार्बेट पार्क के जंगल में एक चर्चित विदेशी वाइल्ड लाइफ डॉक्यूमेंटरी निर्माता के साथ फिल्म की शूटिंग कर रहे थे और कुछ घंटे के लिए शेष देश से संचार से कटे हुए थे। शूटिंग के बाद, संचार पुन: स्थापित होते ही, संभवत: किसी ढाबे या होटल से प्रधानमंत्री ने राज्यपाल मलिक से घटना की जानकारी लेने के लिए फोन से संपर्क किया था। एक नाभिकीय शक्तिसंपन्न देश में, नाभिकीय बटन-धारक प्रधानमंत्री का किसी शूटिंग के लिए घंटों शेष देश से संपर्क से कटे रहना, अपने आप में जिम्मेदारी के गंभीर सवाल खड़े करता है। लेकिन, उन प्रश्नों को अगर छोड़ भी दिया जाए तब भी, घटना की जनकारी मिलने के फौरन बाद प्रधानमंत्री का, वास्तविकता का सामना करने के बजाए, शासन की हरेक चूक या कमी या लापरवाही को ढांपने की ही चिंता करना, गलती को ढांपने के लिए एक और गलती करने से भी आगे का इशारा देता है। संयोग ही नहीं था कि अगले दिन, प्रधानमंत्री के सुरक्षा सलाहकार, अजीत डोवाल ने भी, जो मलिक के कालेज के सहपाठी रहे थे, याद रखकर उन्हें यह याद दिलाया था कि पुलवामा की घटना के संबंध में वह, ‘‘चुप ही रहें।’’

मलिक का और पुलवामा की त्रासदी की जिम्मेदारी के सवालों का चुप कराया जाना, सिर्फ असुविधाजनक सवालों से बचने की सत्ताधारियों की कोशिश का ही मामला नहीं था, यह त्रासदी के फौरन बाद आए घटनाक्रम से साफ हो गया। मलिक अपने साक्षात्कार में कहते हैं कि पुलवामा के मामले में जब उन्हें ‘‘चुप कराया गया’’, तभी उनको इसका आभास हो गया था कि दिल्ली में सत्ता में बैठे लोग, इस मामले को क्या रूप देना चाहते थे! सारा दोष पाकिस्तान के सिर पर मंढा जाना था! और ठीक यही हुआ भी। और जाहिर है कि सारा दोष पाकिस्तान के सिर मंढने का अर्थ, गृहमंत्रालय से लेकर रक्षा व खुफिया प्रतिष्ठान तक को, उनकी सारी जिम्मेदारी से बरी करना तो खैर था ही। बहरहाल, अगर सत्यपाल मलिक ने वाकई इसका अनुमान लगा भी लिया हो, तब भी खुद को सारी जिम्मेदारी से बरी करने से आगे जाकर मोदी राज ने और सबसे बढक़र खुद प्रधानमंत्री मोदी ने जो कुछ किया, उसका अनुमान होने का उन्होंने भी कोई दावा नहीं किया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने बालाकोट की हवाई सर्जिकल स्ट्राइक के संदर्भ में ‘‘एडवांटेज’’ लेने की जो बात कही थी, चुनाव से चंद हफ्ते पहले घटी पुलवामा त्रासदी को, वैसे ही चुनावी ‘‘एडवांटेज’’ में बदल दिया गया। यह तो किसी से भी छुपा हुआ नहीं है कि पुलवामा के ‘‘घर में घुसकर मारने वाले बदले’’ के रूप में, बालाकोट हवाई हमले की ‘‘वीरता’’ को, 2019 के आम चुनाव की, हाथ से फिसलती लगती बाजी को पलटने के लिए कामयाबी के साथ भुनाया गया था। लेकिन, बालाकोट तो एडवांटेज लेने के इस समग्र उद्यम का क्लाइमेक्स भर था। असली खेल की शुरूआत तो, पुलवामा के शहीदों के सम्मान के बहुत ही आडम्बरपूर्ण और पूरी तरह से टेलीवाइज्ड, प्रधानमंत्री मोदी केंद्रित ‘‘शो’’ से ही हो चुकी थी, जो प्रधानमंत्री द्वारा श्रद्धांजलि दिए जाने के लिए, राजधानी दिल्ली में सभी शहीद जवानों के अवशेष लाए जाने से शुरू होकर, विभिन्न प्रदेशों में इन शहीदों की सुपर-टेलीवाइज्ड तथा शासन व सत्तापक्ष द्वारा हाइजैक कर ली गयी अंतिम यात्राओं तक निरंतर जारी रहा। इस तरह, मोदी राज की जिम्मेदारी/ लापरवाही के सारे वास्तविक सवालों को, देशभक्ति की भावनाओं के ज्वार में डुबोने के बाद, बालाकोट के क्लाइमेक्स ने पुलवामा को जबर्दस्त चुनावी एडवांटेज में तब्दील कर दिया, जिसने अधिकांश प्रेक्षकों की उम्मीदों के विपरीत, 2019 के चुनाव में मोदी राज को, 2014 से भी बड़ी जीत दिला दी।

लेकिन, पुलवामा की ‘‘जिम्मेदारी’’ का सवाल तो अब भी अपनी जगह खड़ा है। सत्यपाल मलिक ने पुलवामा के चार साल बाद, इस सवाल को फिर उकेर दिया है। उन्होंने उजागर कर दिया है कि पुलवामा की खबर मिलने के बाद से ही मोदी राज उसका ‘‘एडवांटेज’’ लेने की कोशिशों में जुटा हुआ था। और यह भी सभी जानते ही हैं कि मोदी राज ने उसका भरपूर चुनावी एडवांटेज लिया भी था। पर एक प्रश्न अब भी अनुत्तरित ही है कि यह, घटना के बाद उसका ‘‘एडवांटेज’’ लेने का ही मामला था या उससे आगे तक जाता था? जब तक पुलवामा की जिम्मेदारी के सवालों को दबाया जाता रहेगा, इसे लेकर भी संदेह बने रहेंगे कि पुलवामा की त्रासदी और उसका एडवांटेज लिए जाने में, कहीं कार्य-कारण का संबंध तो नहीं
था!

[ •आलेख के लेखक राजेंद्र शर्मा ‘ लोकलहर ‘ के संपादक हैं ]

🟥🟥🟥

विज्ञापन (Advertisement)

ब्रेकिंग न्यूज़

breaking Chhattisgarh

ठिठुरने लगा छत्तीसगढ़, कई जिलों में सामान्य से दो डिग्री तक नीचे पहुंचा तापमान…

breaking Chhattisgarh

पीएससी घोटाला : सोनवानी और गोयल को कोर्ट में किया गया पेश, 14 दिनों की न्यायिक रिमांड पर भेजा जेल…

breaking Chhattisgarh

10000 महीना कमा कर सेल्समैन कैसे बना करोड़पति? राज खुला तो दंग रह गए लोग

breaking Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ सीएम को ट्रेन में देख भौचक्के रह गए पैसेंजर, कल आपको भी अपने बगल में बैठे मिल सकते हैं मुख्यमंत्री!

breaking Chhattisgarh

दो बेटों ने पिता को पीट-पीटकर मार डाला, मां की शिकायत पर पकड़े गए हैवान, वजह जानकर खून सूख जाएगा

breaking Chhattisgarh

देवांगन समाज के जिला स्तरीय विशाल सामाजिक एवं युवक- युवती परिचय सम्मेलन में 275 युवकों व 160 युवतियों ने अपने जीवन साथी चुनने परिचय दिया : 32 तलाक़शुदा, विधवा एवं विधुर ने भी अपना परिचय दिया

breaking Chhattisgarh

पटवारी के पद पर चार आवेदकों को मिली अनुकम्पा नियुक्ति

breaking Chhattisgarh

रायपुर दक्षिण पर भाजपा की ऐतिहासिक जीत पर मुख्यमंत्री साय ने दी बधाई, कहा – हमारी सरकार और पीएम मोदी पर भरोसा करने के लिए धन्यवाद

breaking Chhattisgarh

बृजमोहन के गढ़ में सालों से बना रिकॉर्ड बरकरार, सुनील सोनी ने भाजपा को दिलाई ऐतिहासिक जीत, सुनिए सांसद अग्रवाल ने क्या कहा ?

breaking Chhattisgarh

महाराष्ट्र में प्रचंड जीत के बीच सीएम एकनाथ शिंदे की आई प्रतिक्रिया, CM चेहरे पर BJP को दे डाली नसीहत

breaking Chhattisgarh

रायपुर दक्षिण सीट पर सुनील सोनी जीते, कांग्रेस के आकाश शर्मा को मिली करारी मात

breaking Chhattisgarh

घोटाले को लेकर CBI के हाथ लगे अहम सबूत, अधिकारी समेत उद्योगपति को किया गया गिरफ्तार

breaking Chhattisgarh

इस देश में पाकिस्तानी भिखारियों की बाढ़; फटकार के बाद पाकिस्तान ने भिखारियों को रोकने लिए उठाया कदम

breaking Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी पर मंडराया खतरा! क्यों राइस मिलरों ने कस्टम मिलिंग न करने की दी चेतावनी?

breaking Chhattisgarh

छत्‍तीसगढ़ में बजट सत्र के पहले नगरीय निकाय-पंचायत चुनाव कराने की तैयारी, दिसंबर में हो सकती है घोषणा

breaking Chhattisgarh

वधुओं के खाते में सरकार भेजेगी 35000 रुपये, जानें किस योजना में हुआ है बदलाव

breaking Chhattisgarh

अमेरिका में गौतम अडानी का अरेस्‍ट वारंट जारी,धोखाधड़ी और 21 अरब रिश्वत देने का आरोप

breaking Chhattisgarh

भाईयों से 5वीं के छात्र की मोबाइल को लेकर नोक-झोक, कर लिया सुसाइड

breaking Chhattisgarh

छत्‍तीसगढ़ में तेजी से लुढ़का पारा, बढ़ने लगी ठंड, सरगुजा में शीतलहर का अलर्ट, 9 डिग्री पहुंचा तापमान

breaking Chhattisgarh

सुप्रीम कोर्ट के वारंट का झांसा दे कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट से ठगी, 5 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 49 लाख लूटे

कविता

poetry

इस माह के ग़ज़लकार : रियाज खान गौहर

poetry

कविता आसपास : रंजना द्विवेदी

poetry

रचना आसपास : पूनम पाठक ‘बदायूं’

poetry

ग़ज़ल आसपास : सुशील यादव

poetry

गाँधी जयंती पर विशेष : जन कवि कोदूराम ‘दलित’ के काव्य मा गाँधी बबा : आलेख, अरुण कुमार निगम

poetry

रचना आसपास : ओमवीर करन

poetry

कवि और कविता : डॉ. सतीश ‘बब्बा’

poetry

ग़ज़ल आसपास : नूरुस्सबाह खान ‘सबा’

poetry

स्मृति शेष : स्व. ओमप्रकाश शर्मा : काव्यात्मक दो विशेष कविता – गोविंद पाल और पल्लव चटर्जी

poetry

हरेली विशेष कविता : डॉ. दीक्षा चौबे

poetry

कविता आसपास : तारकनाथ चौधुरी

poetry

कविता आसपास : अनीता करडेकर

poetry

‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के संपादक व कवि प्रदीप भट्टाचार्य के हिंदी प्रगतिशील कविता ‘दम्भ’ का बांग्ला रूपांतर देश की लोकप्रिय बांग्ला पत्रिका ‘मध्यबलय’ के अंक-56 में प्रकाशित : हिंदी से बांग्ला अनुवाद कवि गोविंद पाल ने किया : ‘मध्यबलय’ के संपादक हैं बांग्ला-हिंदी के साहित्यकार दुलाल समाद्दार

poetry

कविता आसपास : पल्लव चटर्जी

poetry

कविता आसपास : विद्या गुप्ता

poetry

कविता आसपास : रंजना द्विवेदी

poetry

कविता आसपास : श्रीमती रंजना द्विवेदी

poetry

कविता आसपास : तेज नारायण राय

poetry

कविता आसपास : आशीष गुप्ता ‘आशू’

poetry

कविता आसपास : पल्लव चटर्जी

कहानी

story

लघुकथा : डॉ. सोनाली चक्रवर्ती

story

कहिनी : मया के बंधना – डॉ. दीक्षा चौबे

story

🤣 होली विशेष :प्रो.अश्विनी केशरवानी

story

चर्चित उपन्यासत्रयी उर्मिला शुक्ल ने रचा इतिहास…

story

रचना आसपास : उर्मिला शुक्ल

story

रचना आसपास : दीप्ति श्रीवास्तव

story

कहानी : संतोष झांझी

story

कहानी : ‘ पानी के लिए ‘ – उर्मिला शुक्ल

story

व्यंग्य : ‘ घूमता ब्रम्हांड ‘ – श्रीमती दीप्ति श्रीवास्तव [भिलाई छत्तीसगढ़]

story

दुर्गाप्रसाद पारकर की कविता संग्रह ‘ सिधवा झन समझव ‘ : समीक्षा – डॉ. सत्यभामा आडिल

story

लघुकथा : रौनक जमाल [दुर्ग छत्तीसगढ़]

story

लघुकथा : डॉ. दीक्षा चौबे [दुर्ग छत्तीसगढ़]

story

🌸 14 नवम्बर बाल दिवस पर विशेष : प्रभा के बालदिवस : प्रिया देवांगन ‘ प्रियू ‘

story

💞 कहानी : अंशुमन रॉय

story

■लघुकथा : ए सी श्रीवास्तव.

story

■लघुकथा : तारक नाथ चौधुरी.

story

■बाल कहानी : टीकेश्वर सिन्हा ‘गब्दीवाला’.

story

■होली आगमन पर दो लघु कथाएं : महेश राजा.

story

■छत्तीसगढ़ी कहानी : चंद्रहास साहू.

story

■कहानी : प्रेमलता यदु.

लेख

Article

तीन लघुकथा : रश्मि अमितेष पुरोहित

Article

व्यंग्य : देश की बदनामी चालू आहे ❗ – राजेंद्र शर्मा

Article

लघुकथा : डॉ. प्रेमकुमार पाण्डेय [केंद्रीय विद्यालय वेंकटगिरि, आंध्रप्रदेश]

Article

जोशीमठ की त्रासदी : राजेंद्र शर्मा

Article

18 दिसंबर को जयंती के अवसर पर गुरू घासीदास और सतनाम परम्परा

Article

जयंती : सतनाम पंथ के संस्थापक संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास जी

Article

व्यंग्य : नो हार, ओन्ली जीत ❗ – राजेंद्र शर्मा

Article

🟥 अब तेरा क्या होगा रे बुलडोजर ❗ – व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा.

Article

🟥 प्ररंपरा या कुटेव ❓ – व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा

Article

▪️ न्यायपालिका के अपशकुनी के साथी : वैसे ही चलना दूभर था अंधियारे में…इनने और घुमाव ला दिया गलियारे में – आलेख बादल सरोज.

Article

▪️ मशहूर शायर गीतकार साहिर लुधियानवी : ‘ जंग तो ख़ुद ही एक मसअला है, जंग क्या मसअलों का हल देगी ‘ : वो सुबह कभी तो आएगी – गणेश कछवाहा.

Article

▪️ व्यंग्य : दीवाली के कूंचे से यूँ लक्ष्मी जी निकलीं ❗ – राजेंद्र शर्मा

Article

25 सितंबर पितृ मोक्ष अमावस्या के उपलक्ष्य में… पितृ श्राद्ध – श्राद्ध का प्रतीक

Article

🟢 आजादी के अमृत महोत्सव पर विशेष : डॉ. अशोक आकाश.

Article

🟣 अमृत महोत्सव पर विशेष : डॉ. बलदाऊ राम साहू [दुर्ग]

Article

🟣 समसामयिक चिंतन : डॉ. अरविंद प्रेमचंद जैन [भोपाल].

Article

⏩ 12 अगस्त- भोजली पर्व पर विशेष

Article

■पर्यावरण दिवस पर चिंतन : संजय मिश्रा [ शिवनाथ बचाओ आंदोलन के संयोजक एवं जनसुनवाई फाउंडेशन के छत्तीसगढ़ प्रमुख ]

Article

■पर्यावरण दिवस पर विशेष लघुकथा : महेश राजा.

Article

■व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा.

राजनीति न्यूज़

breaking Politics

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उदयपुर हत्याकांड को लेकर दिया बड़ा बयान

Politics

■छत्तीसगढ़ :

Politics

भारतीय जनता पार्टी,भिलाई-दुर्ग के वरिष्ठ कार्यकर्ता संजय जे.दानी,लल्लन मिश्रा, सुरेखा खटी,अमरजीत सिंह ‘चहल’,विजय शुक्ला, कुमुद द्विवेदी महेंद्र यादव,सूरज शर्मा,प्रभा साहू,संजय खर्चे,किशोर बहाड़े, प्रदीप बोबडे,पुरषोत्तम चौकसे,राहुल भोसले,रितेश सिंह,रश्मि अगतकर, सोनाली,भारती उइके,प्रीति अग्रवाल,सीमा कन्नौजे,तृप्ति कन्नौजे,महेश सिंह, राकेश शुक्ला, अशोक स्वाईन ओर नागेश्वर राव ‘बाबू’ ने सयुंक्त बयान में भिलाई के विधायक देवेन्द्र यादव से जवाब-तलब किया.

breaking Politics

भिलाई कांड, न्यायाधीश अवकाश पर, जाने कब होगी सुनवाई

Politics

धमतरी आसपास

Politics

स्मृति शेष- बाबू जी, मोतीलाल वोरा

Politics

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में हलचल

breaking Politics

राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कहा- मर्यादित भाषा में रखें अपनी बात

Politics

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने डाॅ. नरेन्द्र देव वर्मा पर केन्द्रित ‘ग्रामोदय’ पत्रिका और ‘बहुमत’ पत्रिका के 101वें अंक का किया विमोचन

Politics

मरवाही उपचुनाव

Politics

प्रमोद सिंह राजपूत कुम्हारी ब्लॉक के अध्यक्ष बने

Politics

ओवैसी की पार्टी ने बदला सीमांचल का समीकरण! 11 सीटों पर NDA आगे

breaking Politics

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, ग्वालियर में प्रेस वार्ता

breaking Politics

अमित और ऋचा जोगी का नामांकन खारिज होने पर बोले मंतूराम पवार- ‘जैसी करनी वैसी भरनी’

breaking Politics

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, भूपेश बघेल बिहार चुनाव के स्टार प्रचारक बिहार में कांग्रेस 70 सीटों में चुनाव लड़ रही है

breaking National Politics

सियासत- हाथरस सामूहिक दुष्कर्म

breaking Politics

हाथरस गैंगरेप के घटना पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा, पढ़िए पूरी खबर

breaking Politics

पत्रकारों के साथ मारपीट की घटना के बाद, पीसीसी चीफ ने जांच समिति का किया गठन