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कविता : हूप सिंह क्षत्रिय [ तखतपुर, जिला – बिलासपुर छत्तीसगढ़ ]
🌸 मेरी कलम से…
एक ‘काॅल’ पर हो तुम
एक ‘काॅल’ पर हूँ मैं
एक ‘काॅल’ की दूरी किन्तु घट नहीं पाती
सोचकर बहुत मैंने फोन तो लगाया था
एक ‘विश’ तुम्हें कर दूँ इसलिए लगाया था
क्यों नहीं उठाती हो? क्यों दिया है फिर नंबर?
बात क्यों नहीं करती? तुमने दिल लगाया था
एक बात करती तुम
एक बात करता मैं
मौन-हाल-मजबूरी किन्तु छँट नहीं पाती
‘वाल’ पर मेरे आकर चिन्ह कुछ बनाती हो
कुछ हँसी के होते हैं थम्ब भी दिखाती हो
इंगितो से आगे भी शब्द कुछ लिखे जाते
आह-वाह होती है और मुस्कुराती हो
बोल कुछ सुनाती तुम
गीत कुछ बनाता मैं
मृग-मलाल-कस्तूरी किन्तु बँट नहीं पाती
बोलने से डरती हो या कोई शिक़ायत है?
मौन सब सँदेशे हैं मौन ही इनायत है
चुप रहोगी तो कैसे मैं ये जान पाऊँगा?
किस तरह मनाने की प्यार में रिवायत है?
खोलकर बताती तुम
बोलकर मनाता मैं
प्रेमजाल में तू री! किन्तु अट नहीं पाती
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•कठिन शब्दों के अर्थ –
विश (wish) करना= शुभकामनाएँ देना,कामना करना, आशा करना, प्रार्थना करना, आशीर्वाद देना.
मौन=चुप्पी, चुप. हाल=दशा, स्थिति. मजबूरी=विवशता. वाल (wall)=पटल, फलक, दीवार (सोशल मीडिया का एक प्रचलित शब्द). हँसी=smiley emoji😄. थम्ब=अँगूठा 👍. इंगित=इशारा, संकेत. मृग=हिरण. मलाल=मन में होने वाला दु:ख, रंज, खेद, पछतावा. कस्तूरी=नर हिरण की नाभि के पास की थैली में पाया जाने वाला एक सुगंधित पदार्थ. बँटना=वितरण होना. इनायत=कृपा. रिवायत=परंपरा से चली आई रीति, रिवाज. अटना=समाना.
•संपर्क –
•98931 92450
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