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भिलाई : कला साधकों का मेला : राष्ट्रीय वैचारिक संगोष्ठी : लोककला साधक सम्मान समारोह : देश की कला संस्कृति को नई पीढी के लिए बचाने रहें दृढ़ संकल्पित – विजय बघेल…
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास] : रंगमंच एवं ललित कलाओं को समर्पित संस्था संस्कार भारती छत्तीसगढ़ प्रांत के बैनर तले राष्ट्रीय वैचारिक संगोष्ठी एवं लोककला साधक सम्मान समारोह का आयोजन गुरुवार को सुबह से लेकर देर रात तक इंजीनियर भवन सिविक सेंटर में किया गया । इस महत्वपूर्ण आयोजन में छत्तीसगढ़ सहित देशभर के विभिन्न राज्यों के ख्यातिलब्ध कलाकारों को सम्मानित किया गया।
सुबह उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि दुर्ग सांसद विजय बघेल थे। आयोजन की शुरुआत संस्कार भारती के ध्येय गीत से हुई। सभा को संबोधित करते हुए सांसद विजय बघेल ने कहा कि अपनी संस्कृति और अपनी कलाओं को संरक्षित करते हुए दिशा देने में संस्कार भारती का कार्य विशिष्ट है। उन्होंने उपस्थित कलाकारों का आह्वान किया कि भविष्य की पीढ़ी के लिए हमारी लोक कला संस्कृति को पुष्पित-पल्लवित करने दृढ़ संकल्पित रहें। आयोजन की अध्यक्षता कर रहे पद्मश्री अजय मंडावी ने भी सभा को संबोधित किया।
वहीं विशिष्ट अतिथि बृजेश बिजपुरिया अध्यक्ष भिलाई भाजपा, स्वीटी कौशिक अध्यक्ष महिला मोर्चा भिलाई , राजूलाल नेताम अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति भिलाई ने भी संबोधित किया।
उद्घाटन सत्र में संस्कार भारती छत्तीसगढ़ प्रांत के अध्यक्ष पद्मश्री डा. राधेश्याम बारले ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आयोजन के माध्यम से लोककलाओं के संरक्षण और संवर्धन हेतु प्रयास किया जाएगा। स्वागत गीत अमृता बारले ने प्रस्तुत किया।
इसके बाद बी एल कुर्रे एव साथी द्वारा भजन, जय बूढ़ादेव आदिवासी नृत्य कोदवा जिला गंडई, छुईखदान, खैरागढ़, द्वारा जय गड़िहा आदिवासी मांदरी गेड़ी नृत्य धमतरी द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसके उपरांत ”लोककला में भारतीय परिवार व्यवस्था का महत्व” विषय पर डॉ योगेंद्र चौबे ,प्रांतीय उपाध्यक्ष संस्कार भारती ने अपने विचार रखे।
दोपहर 12,30 बजे, पंथी नृत्य, लोकधारा पंथी दल अहिवारा ग्रुप की ओर से प्रस्तुत किया गया। इसके बाद ”लोक कला और पर्यावरण” विषय पर वक्ता,डॉ विश्वनाथ पाणिग्रही दुर्ग ने अपने विचार रखे। दोपहर 2,30 बजे लोक मंच लोक रागिनी के रिखी क्षत्रिय एवं साथियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इसके बाद 3,30 बजे ”लोककला की परंपरा एवं सामाजिक समरसता” विषय पर अखिल भारतीय लोककला सह संयोजक निरंजन पंडा ने अपनी बात रखी। शाम 4,15 बजे आदिवासी दण्डावी गौर माड़िया नृत्य गुडिया पारा किलेपाल जगदलपुर की टीम ने प्रस्तुत किया। शाम 4,30 बजे ”भारतीय लोक संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में संस्कार भारती का योगदान” विषय पर मध्यक्षेत्र के क्षेत्र प्रमुख अनिल जोशी मुख्य वक्ता थे।
शाम 5 बजे के सत्र में मुख्य अतिथि विष्णु देव साय, पूर्व केंद्रीय मंत्री थे। अपने उद्बोधन में उन्होंने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इन प्रयासों से ही हमारी मूल संस्कृति की रक्षा हो पाएगी। अध्यक्षता पद्मश्री डॉ भारती बंधु, पद्मश्री मदन चौहान, डॉ गंभीर सिंह ठाकुर,पूर्व सी एम एच ओ दुर्ग, नंदिनी नेताम अध्यक्ष बेटी बचाओ बेटी बढ़ाव गरियाबंद और उमेश चितलांगिया समाज सेवी उद्योगपति ने भी अपनी बात रखी।
इसके उपरांत सम्मान समारोह आयोजित किया गया। संस्कार भारती छत्तीसगढ़ प्रांत के अध्यक्ष पद्मश्री डा. राधेश्याम बारले ने बताया कि इस आयोजन में प्रमुख रुप से आंध्रप्रदेश, झारखंड, उड़ीसा, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, गुजरात, केरल, तमिलनाडु, असम, पांडिचेरी, राजस्थान और गोवा आदि राज्यो से कलाकार शामिल हुए।
इन राज्यों के 20 कलाकारों को भारत गौरव सम्मान, इनके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के 28 जिला के प्रसिद्ध 65 कलाकारों को छत्तीसगढ़ कला रत्न सम्मान, एवं 50 कलाकारों को कला साधक सम्मान प्रदान किया गया। जिनमे प्रमुख रूप से भारत रत्न लता मंगेशकर स्मृति सम्मान,पद्मश्री बाबा योगेंद्र समिति सम्मान, पद्मश्री शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव स्मृति सम्मा सहित अन्य सम्मान शामिल हैं। जिनसे पंथी, करमा, पंडवानी, भरथरी, रावत नाच, सरहुल ,सुवा नृत्य ,शैला, रिलो, काकसर, गौर माड़िया, गेड़ी नृत्य, नाचा गम्मत,हास्य अभिनय, रहस नृत्य, लोकमंच, मूर्तिकार घुरा शिल्प, भित्तिचित्र कला, काष्ठकला, बेल मेटल, रंगोली , पेंटिग, बांस शिल्प, बस्तर आर्ट्स, भरतनाट्यम ,कुचिपूड़ी, नाट्यकला व धातु शिल्प आदि से जुड़ी 40 से ज्यादा विधा के कलाकारो को सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह के उपरांत विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी हुईं। आयोजन समिति प्रमुख अमृता बारले, निरंजन पंडा अनिल जोशी, डॉ पुरषोत्तम चंद्राकर, रिखी क्षत्रिय, गीता बंजारे और हेमन्त सगदेव ने आयोजन को सफल बनाया। मंच संचालन भूपेंद्र चाणक्य एवं राजेश राजपूत ने किया। आभार प्रदर्शन भानु जी राव ने किया।
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