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भिलाई : बख्शी जयंती समारोह : आयोजन – ‘ समकालीन कथा संसार और बख्शी जी की कहानियां ‘ और कविता पाठ : हम बख्शी जी के व्यक्तित्व की चर्चा तो करते हैं, पर कृतित्व की नहीं, सृजन पीठ उनके कृतित्व पर केंद्रित चर्चा करने के लिए संकल्पित है – ललित कुमार, अध्यक्ष, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास] : पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ के द्वारा 27 मई को बख्शी जी की 129वीं जयंती समारोह का आयोजन दो सत्रों में किया गया.
प्रथम सत्र कथा सत्र था –
कहानी पाठ : ऋषि गजपाल और कैलाश वनवासी थे. वक्तव्य – डॉ. सुधीर शर्मा, डॉ. नलिनी श्रीवास्तव.
द्वितीय सत्र कविता सत्र था –
आमंत्रित कवि – अजय चंद्रवंशी [कवर्धा], सतीश कुमार सिंह[जांजगीर], डॉ. सरिता दोशी [धमतरी], मांझी अनंत[राजिम], समयलाल विवेक [कवर्धा] और प्रदीप श्रीवास्तव [भिलाई] साथ में प्रतिभागी कवि व संचालन कमलेश्वर साहू.
प्रथम सत्र में ऋषि गजपाल ने कहानी दरख्त की दरगाह और कैलाश बनवासी ने कहानी संतरे का पाठ किया.
वक्तव्य देते हुए कल्याण स्नातकोतर महाविद्यालय हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.सुधीर शर्मा ने कहा –
बख्शी जी ने हर विधा पर लेखन किया। बाल कहानियों से लेकर निबंध,उपन्यास ,कहानी, संस्मरण आदि।उन्होंने बक्शी जी के हवाले से कहा कि कब कहानी निबंध बन जाए और निबंध कब कहानी का रूप ले ले कुछ कहा नहीं जा सकता। लेखन समाप्ति के पश्चात लगभग समन्वय की स्थिति निर्मित हो जाती है। उन्होंने बक्शी जी और पंडित माधवराव सप्रे की साहित्यिक पत्रकारिता और साहित्य लेखन में योगदान को रेखांकित करते हुए अनेक उदाहरणों के माध्यम से आगामी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद बताया। साथ ही ऋषि गजपाल और कैलाश बनवासी की कहानी के घटनाक्रमों ,पात्रों ,कथोपकथन और कथानक को समूचे छत्तीसगढ़ के परिदृश्य को रूपायित करने वाला बताया।
वरिष्ठ कथाकारा डॉ.नलिनी श्रीवास्तव ने कहा –
बख्शी जी हिंदी ,संस्कृत, अंग्रेजी और बांग्ला भाषा के अच्छे जानकार थे। उनका दौर लगभग अनुवादों का दौर था। सन् 1911 में प्रकाशित जयशंकर प्रसाद की कहानी ‘ग्राम’ को हिंदी की प्रथम कहानी मानते हैं, इसके बाद रामचंद्र शुक्ल की कहानी ’11 वर्ष ‘ आई। तत्पश्चात प्रेमचंद सुदर्शन आदि की कहानियां हिंदी में प्रकाशित हुई। किंतु वह काल अनुवादों का ही था । उन्होंने बक्शी जी की अगर, मृत्यु का उपहास ,खिलौना ,कनक रेखा आदि कहानियों की चर्चा करते हुए आशा व्यक्त की कि आगामी पीढ़ी के रचनाकारों के लिए यह कहानियां मार्गदर्शक साबित होंगी।
बख्शी सृजन पीठ के अध्यक्ष ललित कुमार ने कहा –
छायावाद के दौर को कहानी, निबंध, उपन्यास आदि के युग की ओर अग्रसर करने में बख्शी जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । उन्होंने कहा कि हम बख्शी जी के व्यक्तित्व की चर्चा तो करते हैं, पर कृतित्व की नहीं, सृजन पीठ उनके कृतित्व पर केंद्रित चर्चा करने संकल्पित है। पिछले दिनों निबंध पर, अब कहानी तथा आगामी दिनों में बाल साहित्य ,उपन्यास आदि पर भी चर्चा की जाएगी। आयोजन में कहानी पाठ करने वाले ये दो रचनाकार बख्शी जी की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे, ऐसी अपेक्षा है।
इस सत्र का संचालन अनीता करडेकर ने किया.
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दूसरे सत्र में आमंत्रित कवियों द्वारा कविता पाठ किया.
•बख्शी जी को पुष्पाजंलि अर्पित करते हुए ‘ सृजन पीठ ‘ के अध्यक्ष ललित वर्मा
•डॉ.नलिनी श्रीवास्तव
इस एक दिवसीय आयोजन के पूर्व भिलाई सेक्टर -9 के मुख्य कार्यालय में सृजन पीठ के अध्यक्ष ललित कुमार और बख्शी जी की पौत्री डॉ. नलिनी श्रीवास्तव ने बख्शी जी की प्रतिमा पर पुष्पाजंलि अर्पित करते हुए पूजा अर्चना किए.
आभार व्यक्त किया कवयित्री शुचि ‘ भवि ‘ ने.
आयोजन में उपस्थित हुए –
रवि श्रीवास्तव, विनोद साव, संतोष झाँझी, विद्या गुप्ता, संध्या श्रीवास्तव, शरद कोकास, शायर मुमताज, विजय वर्तमान, इंदु शंकर मनु, प्रदीप वर्मा, त्रयंबक राव साटकर, पुन्नु यादव, हरि सेन, सहदेव देशमुख, डॉ. बीना सिंग ‘ रागी ‘, सुरेश बंछोर, एन एल मौर्य ‘ प्रीतम ‘, नासिर अहमद सिंकदर, डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘ सब्र ‘, ओमवीर करण, हितेश कुमार साहू, सनत मिश्रा, पुनीत कुमार गुप्ता, आलोक कुमार चंदा, श्रीमती लीना चंदा और ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ ग्रुप की प्रधान संपादक श्रीमती शेफाली भट्टाचार्य, संपादक प्रदीप भट्टाचार्य के अलावा बड़ी संख्या में साहित्यकार, पत्रकार, लेखक, कवि एवं विद्वत्जन.
•उपस्थित सुधिजन
•उपस्थित सुधिजन
[ •रिपोर्ट प्रदीप भट्टाचार्य ]
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