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- व्यंग्य : मध्यम वर्गीय की उहापोह – दीप्ति श्रीवास्तव [चौहान टाउन, जुनवानी, भिलाई, जिला – दुर्ग, छत्तीसगढ़]
व्यंग्य : मध्यम वर्गीय की उहापोह – दीप्ति श्रीवास्तव [चौहान टाउन, जुनवानी, भिलाई, जिला – दुर्ग, छत्तीसगढ़]
ऊपरवाले मुझे मिडिल क्लास में ही पैदा करना था क्या ? अरे जब भ्रूण में जान डालने की बारी आई तब मेरी ही आत्मा को टिक टिक कर दिल की धड़कन चलाने की जिम्मेदारी दे कर हो गये पैंतालिस साल के लिए फुर्सत । पता होता मध्यवर्गीय जीवन इतना कष्टदायक होता है तब मैं भ्रूण में अपने को लड़की दिखा भ्रूण हत्या करवा बाहर अपने सुखी संसार में विचरण करने लगता । क्यों इतनी ज़िल्लत सहन करता ।
हर तरफ से मारा मध्यमवर्गीय बेचारा । अपने से ऊपर वालों की शानो-शौकत देख वैसे ही ब्रांडेड कपड़े , एप्पल के फोन , आउडी , मर्सिडीज बड़ा बंगला के सपने देख जी तोड़ मेहनत की चक्की पीसता रहता है । कभी ओवर टाइम तो कभी पार्ट टाइम जॉब से झक मारने तक की फुर्सत न मिलती । अपने सपनों की कब्र पर बैठ आंसू बहाते हुए घर की जरुरतों को ही मुश्किल से पूरा कर पाता है। एक पूरी हुई नहीं कि दूसरी जरूरत सुरसा के मुंह की तरह ताता थैया करने लगती है।
हाय हाय ये कमाई मुई कभी पूरी न पड़ती । दूसरों को नजर उठाकर देखता तो सोचता ये लोग मुझ से ज्यादा खुशहाल जीवन जी रहे हैं और स्वयं को ग्लानि से घिरा पाता , फिर जुट जाता बैल की माफिक कमाने महिने के आखिरी में ज्यादा पैसा लाने गर्मी की छुट्टी मनाने मेहमान आ रहे हैं तो कभी शादी में जाना है तो कभी त्यौहार है सौ तरह की झंझट । हाय रे मेरा प्यारा जिगर का हौसला देने वाला धीरे धीरे मृत्यु की गोद में समाने वाला गुलाबी दो हजार का नोट इधर से उधर होने पर महिने का बजट डांवाडोल हो जाता है महीनों लग जाते हैं उसको बराबर करने में तो कभी कोई बीमारी आ गई तो समझिए बट्टा बैठ गया । इकलौता ब्रांडेड जूता तली घिसते तक सुधरवा कर पहनते है । बेचारा मिडिल क्लास आदमी करें भी तो क्या ? जिंदगी न हुई सपनों की रूपहली पंख लगा इधर से उधर ठुमकने वाली चाबी वाली गुड़िया हो गई । चाबी भरो कमाने के लिए नाचने लगे ।
मिडिल क्लास आदमी तिस पर सरकारी टैक्स का बोझ कमर समय से पहले झुका बूढ़ा बना देता है । जितनी कमाई नहीं उतना टैक्स में निकाल देता है ईमानदार आदमी , वही अगर होता उसके स्थान पर धनवान तो टैक्स बचाने बहुतेरे उपाय करते हैं। मिडिल क्लास सच्चा देशभक्त होता है टैक्स चोरी कर रातों की नींद बर्बाद नहीं करना चाहता । बिजली बिल के लिए बीपीएल जैसे एक बत्ती कनेक्शन में भी नहीं रह सकता या कांटा लगा बिजली चोरी करने की हिमाकत नहीं कर सकता।
समाज में इज्जत का फालूदा बनने से बचने दिखावा भी करना पड़ता है । हैसियत से बढ़ चढ़कर शो-बाजी करना उसकी आदत में ये कब शामिल हो जाता है उसे अहसास ही नहीं होता । ढ़ोल धमाके के साथ अपने से ऊपर क्लास की हैसियत दिखाने की भरसक कोशिश करते हैं।
हम भी तो मिडिल क्लास आदमी है इसलिए मिडिल क्लास का दर्द हमेशा सीने में महसूस करते हैं । जरा सा कुछ अच्छा हुआ नहीं कि दूसरों की नजर लग जायेगी करके दसियो टोटके करते हैं । अंधविश्वासी नहीं है पर स्वयं का बचाव भी जरूरी है । जमाना बड़ा खराब चल रहा है कोई किसी का सगा नहीं पर अपनापन ऐसे जताते हैं जैसे उन से बड़ा शुभचिंतक कोई नहीं ।
सरकार को हम मध्यमवर्गीय ही सबसे ज्यादा रेवेन्यू देते है क्योंकि सरकारी नियमों को मानते है पालन करते हैं लोन लेते हैं तो समय पर चुकाते हैं इतना पैसा नहीं होता कि बैंक से लोन लेकर विदेश भाग जाय और ऐश का जीवन बसर लोन के पैसों पर करें ।अजी वह तो किस्मत वाले होते हैं कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता । मध्यवर्गीय किसी सब्सिडी की आशा नहीं रखते । बिचौलिया की स्थिति बड़ी खराब उसकी कहीं सुनवाई नहीं। कभी चुनाव के समय मिडिल क्लास का मुद्दा शामिल हो तो अहोभाग्य ! जागो मिडिल क्लास
जागो , मध्यमवर्गीय जनता में चेतना फूंको अपने वर्ग के लोगों को उत्थान करो।
•संपर्क –
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