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42वीं सालगिरह पर विशेष : ‘ मुक्तकंठ साहित्य समिति ‘ के आजीवन सदस्य शंकर राय और श्रीमती विजया राय के निवास में आत्मीय बैठक : चर्चा : काव्य संध्या में आमंत्रित : नरेंद्र कुमार सिक्केवाल, राजीव चौबे, गोविंद पाल, प्रदीप भट्टाचार्य, ओमप्रकाश शर्मा, पं. वासुदेव भट्टाचार्य, श्रीमती दीपा पाल…
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास] : 27 जून को राय दम्पति के निवास स्मृति नगर भिलाई में ‘ मुक्तकंठ साहित्य समिति ‘ के आजीवन सदस्य शंकर राय व श्रीमती विजया शंकर राय के 42वीं वैवाहिक वर्षगांठ के अवसर पर एक आत्मीय बैठक, चर्चा गोष्ठी और काव्य संध्या का आयोजन किया गया.
इस आत्मीय बैठक में उपस्थित हुए –
•राजीव चौबे [अध्यक्ष, स्मृतिनगर गृह निर्माण समिति]
•नरेंद्र कुमार सिक्केवाल [पुलिस अधीकक्ष सीआईडी]
•गोविंद पाल [अध्यक्ष : मुक्तकंठ साहित्य समिति]
•प्रदीप भट्टाचार्य [संपादक : छत्तीसगढ़ आसपास]
•ओमप्रकाश शर्मा [महासचिव : मुक्तकंठ साहित्य समिति]
•पं.वासुदेव भट्टाचार्य [पुरोहित : हिंदू मिलन संघ, रिसाली भिलाई]
•दीपा पाल
बैठक के पूर्व ‘ मुक्तकंठ साहित्य समिति ‘ के उपस्थित सदस्यों ने राय दम्पति को 42वीं वैवाहिक वर्षगांठ के अवसर पर गुलदस्ता व उपहार देकर बधाई दी और केक काटकर एक दूसरे का खिलाया गया.
संचालन करते हुए ओमप्रकाश शर्मा ने कहा –
आगामी वर्ष ‘ मुक्तकंठ साहित्य समिति ‘ के स्थापना दिवस के अवसर पर जनवरी – 2024 में ‘ सर्वभाषी अखंड काव्यपाठ ‘ 24 घंटे का करने का प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें भिलाई, दुर्ग, रायपुर सहित छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य राज्यों के सर्वभाषी रचनाकारों को सादर आमंत्रित किया जायेगा. आयोजन के लिए समिति के संरक्षक नरेंद्र कुमार सिक्केवाल को संयोजक बनाया गया. समिति के अध्यक्ष व महासचिव आगामी बैठक में ‘ 24 घंटे का सर्वभाषी अखंड काव्य ‘ हेतु एक कमेटी गठित करेगी, निर्णय पारित किया गया.
काव्य संध्या –
•राजीव चौबे –
राजीव चौबे ने एक गीत महाभारत के संपूर्ण दृश्य को अंकित करते हुए सुनाया. कुरूक्षेत्र हुआ जग सारा…
•पं.वासुदेव भट्टाचार्य –
पं. वासुदेव भट्टाचार्य ने गोविंद पाल की चर्चित काव्य संग्रह ‘ बोनसाई ‘ से चार – पांच रचनाओं का पाठ किया.
•प्रदीप भट्टाचार्य –
प्रदीप भट्टाचार्य ने आज के नेताओं पर कटाक्ष करते हुए अपनी रचना का पाठ किया.
लोकतंत्र बनाम नेतातंत्र : अजीब विडम्बना है/कैसा ये राष्ट्र शासकों का/सपना है…
•शंकर राय –
शंकर राय ने ‘ पक्षपात ‘ शीर्षक से अपनी एक कविता को पाठ किया.
•नरेंद्र कुमार सिक्केवाल –
सिक्केवाल जी ने एक बेहतरीन रचना ‘ यह खाट घर का मान – सम्मान है, ये खाट गवाह है… ‘ पढ़ा.
•गोविंद पाल –
गोविंद पाल की एक कविता की बानगी को देखें : ‘ अब भागने को मन नहीं करता/कोयल की कूक/भौरें की गुन – गुन/कुछ भी नहीं भाता/पतझड़ के इस मौसम में/बसंत बहारों के गीत कैसे गाऊँ..
•श्रीमती विजया राय –
श्रीमती विजया राय ने बांग्ला और हिंदी में दो गीत हार्मोनियम में सुरबद्ध कर गाया. एक रविंद्र गीत सभी को भाया : ‘ जोदी तुमार डाक सुने ना कव आसे, तबे एकला चलो रे रे….
अंत में आभार व्यक्त प्रदीप भट्टाचार्य ने किया.
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