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यात्रा संस्मरण : अंडमान निकोबार द्वीप समूह : श्रीमती वर्षा ठाकुर

1 year ago
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कभी काले पानी का पर्याय अंडमान आज पर्यटकों की पहली पसंद —-

शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से ऊब गए हैं तो चलिए बंगाल की खाड़ी के गर्भ से उत्पन्न ,उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों से शोभायमान ,उष्णकटिबंधीय जलवायु युक्त ,महासागर के सुरक्षा घेरे में स्थित अंडमान निकोबार द्वीपसमूह।
सीमेंट कांक्रीट के जंगल से मुक्त यहां का निरापद , नयनाभिराम शांत ,सुरम्य सौंदर्य सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देता है । यहां का आश्चर्य चकित कर देने वाला अदभुत रहस्यमयी नजारा पर्यटकों के कौतुहल को और भी बढ़ा देता है । अंडमान निकोबार द्वीपसमूह अपने आप में कई विविधताओं और रहस्यों को समेटे हुए है । एक ओर उष्णकटिबंधीय सदाबहार घने वन हैं जहां वृक्षों में सूरज की रोशनी पाने के लिए होड़ मची रहती है कुछ वृक्षों के पत्ते इतने चौड़े कि एक कमरे की छत ढक जाए ।वृक्षों की जड़ें आपस में इतने गुम्फित कि पहचान कर पाना कठिन है किस वृक्ष की जड़ है । संभवतः इन गुम्फित जड़ों के माध्यम से प्रकृति एकता ,भाईचार एवम् आपसी सहयोग का संदेश दे रही हों दूसरी ओर द्वीप के चरण धोते ऊंची – नीची सागरीय लहरें जीवन की समता और विषमता को बताते हुए प्रतीत होती हैं । कहीं ऊंची पहाड़ी क्षेत्र तो कहीं धरती के भीतर रहस्य को उजागर करने वाला ज्वालामुखी तो कहीं अदभुत भूमिगत गुफाएं दृष्टिगोचर होती हैं । यहां हजारों साल पुरानी आदिम सभ्यता एवम् आधुनिक सभ्यता दोनों से साथ साथ साक्षात्कार होता है । कभी काले पानी का पर्याय अंडमान आज पर्यटकों की पहली पसंद है ।

अंडमान निकोबार द्वीपसमूह ७८० किलोमीटर के क्षेत्र में फैले लगभग २०० छोटे द्वीपों का समूह है । यहां वायुमार्ग अथवा जलमार्ग से ही पहुंचा जा सकता है । हैदराबाद शहर ,कोलकाता और चेन्नई बंदरगाह से द्वीप की राजधानी पोर्टब्लेयर के लिए वायुयान एवम् जलयान की सुविधा उपलब्ध है ।पोर्टब्लेयर से अन्य स्थलों तक सड़क मार्ग और जलमार्ग द्वारा पंहुचा जा सकता है यहां की यात्रा हेतु किसी खास मौसम या माह की आवश्यकता नहीं है । हर मौसम में यहां की यात्रा सुखद और रोमांचकारी होती है । वैसे तो पूरे द्वीप समूह की यात्रा में महीनों लग जाएंगे परंतु इनमें से विशेष महत्वपूर्ण स्थलों को देखने के लिए सात से दस दिन आवश्यक है । यहां ठहरने हेतु हर वर्ग के अनुरूप सरकारी एवं निजी यात्रिगृह है । दूरस्थ क्षेत्र होने के बाद भी यहां का बाजार बहुत महंगा नहीं है ।
अंडमान की यात्रा का श्री गणेश इसके प्रवेशद्वार राजधानी पोर्टब्लेयर से होता है प्राकृतिक सौंदर्य का धनी पोर्टब्लेयर कुदरती करिश्में का अनूठा उदाहरण है । ऐतिहासिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है । यहां कई प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल है ।

स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग ,तपस्या एवम् बलिदान की गाथा कहता तथा अंग्रेजों के भीषण जुल्म का प्रत्यक्ष गवाह सेल्युलर जेल भी यहीं है ।१८५७ की स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात स्वतंत्रता सेनानियों को भयंकर यातना देने और काले पानी की सजा देने के लिए इसे बनाया गया था ।इसका निर्माण कार्य वर्ष १८९६ में प्रारंभ हुआ एवम् १९०६में बनकर तैयार हो गया । इसमें कुल सात खंड थे जिसमें ६९८कोठरियां थी ।इसके सातों खंडों और कोठरियों का निर्माण कुछ इस तरह किया गया था कि एक खंड की गतिविधियां दूसरे खंड से दिखाई नहीं देती थी ।जेल के केंद्रीय मीनार से केवल दो प्रहरी पूरे जेल पर नियंत्रण रखते थे ।केंद्रीय मीनार पर एक बड़ा घंटा लगा है ,जो कुछ गड़बड़ी होने पर बजाया जाता था । इस जेल में स्वतंत्रता सेनानियों को भयंकर यातनाएं दी जाती थी उन पर अमानवीय अत्याचार किया जाता था ,खुले बदन पर कोड़े बरसाये जाते थे ।
कोड़े , फांसी का फंदा ,फांसी घर,तेल पेरने की घानी , जेलर की कुर्सी वहां आज भी मौजूद है । यहां एक संग्रहालय है जिसमें स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन एवं यातनाओं से संबंधित दस्तावेज है । यहां प्रतिदिन शाम को ध्वनि एवं प्रकाश के माध्यम से स्वतंत्रता सेनानियों की गाथा का चित्रण किया जाता है ।इसका प्रस्तुतिकरण बहुत ही जीवंत एवं रोंगटे खड़े कर देने वाला होता है । इसके निकट ही सुंदर उद्यान है जहां स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्ति लगी हुई है । इसके मध्य में प्रथम विश्वयुद्ध की स्मृति में बनाया गया घण्टा घर है ।मत्स्य संग्रहालय , सामुद्रिक जीवनशाला ,वन संग्रहालय , चिड़ियाघर ,उद्योग विभाग का हस्तशिल्प संग्रहालय देखने लायक है । ।अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के आदिवासियों के जीवन पर प्रकाश डालने वाला मानव संग्रहालय भी है । यहां द्वीप के प्रमुख ६जनजातियों – जरावा ,ओंगग्रेट ,अंडमानी , निकोबारी सोम्पेन आदि के जीवन से संबंधित समस्त जानकारियां उपलब्ध है ।शहर के बीच में गांधी पार्क है । यहां प्रसिद्ध ऐतिहासिक जापानी सूर्य मंदिर है । साथ ही छोटी झील है जिसमें नौका विहार की सुविधा है । ।
पोर्टब्लेयर का समुद्री तट (बीच) छोटा है किंतु बहुत साफ सुथरा ,सुंदर सागर तटों में से एक है । यहां समुद्री लहरों का भरपूर आनंद लिया जा सकता है ।पास ही जल क्रीड़ा परिसर है । चैथम द्वीप में विश्व प्रसिद्ध प्राचीन आरा मिल है । यहां विविध किस्म के विशालकाय लकड़ी के लठ्ठे देखने को मिलता है । वाइपर आइलैंड में ऊंची पहाड़ी पर पुराना फांसी घर है । यहां सेल्युलर जेल से भी पुराना जेल है ।रोज आइलैंड ब्रिटिश कालीन भवनों के खंडहर एवं मृतिका संग्रहालय के लिए प्रसिद्ध है । स्वराज द्वीप पुराना नाम हेवलाक द्वीप है , में रंग बिरंगे कोरल और सुंदर सागर तट देखने लायक है ।यहां एलिफेंटा तट वाटर स्पोर्ट्स के लिए विशेष प्रसिद्ध है ये पर्यटकों के आकर्षण का विशेष केंद्र है । यहां पर्यटक विभिन्न प्रकार के रोमांचकारी जल क्रीड़ा का आनंद उठाते है । समुद्र के भीतर जाकर रंग बिरंगे मछलियों ,विभिन्न प्रकार के प्रवाल और कुछ समुद्री वनस्पति को प्रत्यक्ष देखने का आनंद उठा सकते है । बस शर्ते है कि उसकी जेब भरी हो । अर्थात जल क्रीड़ा की टिकिट आम आदमी के पहुंच से बाहर । ६००रु.से लेकर ३५०० तक ।
शहीद द्वीप का काला पत्थर बीच अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है ।
यहां समुद्र का जल इंद्र धनुषी रंग लिए हुए दिखाई देता है। तट के किनारे किनारे सदाबहार वृक्ष अपनी खूबसूरती बिखेरते हुए पर्यटकों का स्वागत करते नज़र आते हैं । तट के सुनहरे महीन रेत में यत्र तत्र विभिन्न आकृति के प्रवाल दिखाई देते हैं । ये तट फोटोग्राफर को अपनी फोटोग्राफी का कमाल दिखाने के लिए सुनहरा अवसर देता है ,याने फोटोग्राफी के लिए बहुत सुंदर स्थल है । यहां समुद्री लहरें कुछ ज्याद उग्र रूप में तट की ओर अग्रसर होते दिखते हैं । यहां समुद्र में नहाने का आनंद लेना जोखिम भरा है ।
समुद्र में नहाने का आनंद लेने वालों के लिए राधा बीच बहुत सुरक्षित और मनमोहक है ।
शहीद द्वीप का लक्ष्मणपुर , भरतपुर और सीतापुर तट पर्यटकों को विशेष लुभात है । यहां समुद्री लहरें ज्यादा उग्र नहीं होती , समुद्र में नहाने का भरपूर आनंद लिया जा सकता है । इसी द्वीप में एक खूबसूरत प्राकृतिक पुल है जिसे मानव ने नहीं समुद्री लहरों ने अपने अथक प्रयास से हजारों लाखों वर्षों में बनाया है आज इस पुल को देखकर पर्यटक अचंभित रह जाते हैं कि ऐसा भी पुल हो सकता है , हां पुल के नीचे से गुजरते जरूर है पर पुल में चढ़ने का साहस नहीं जुटा पाते पुल में चढ़ना याने जान जोखिम में डालना है । वैसे भी आस पास स्वयंसेवी होते है जो पर्यटकों पर निगरानी रखे रहते हैं ।

पंचवटी पहाड़ी का छोटा झरना एवं लिटिल अंडमान का विश्वप्रसिद्ध झरना गीत गाते हुए प्रतीत होते हैं ।
बाराटांग मार्ग पर रंगट से ४-५ किलोमीटर दूर धरती के भीतरी रहस्यों को समेटे हुए मृदा ज्वालामुखी है ।यहां ५-६छोटे छोटे ज्वालामुखी छिद्र हैं जहां से चिकनी महीन मिट्टी का घोल बाहर आ रहा है । देखने में यह घोल उबलते हुए दिखाई देता है परंतु है बिलकुल ठंडा ।।
बाराटांग में प्रकृति द्वारा चूना से निर्मित नैसर्गिक रहस्यमयी भुगर्भित गुफा है ।इस गुफा को देखने के लिए गाइड एवं लाइट की आवश्यकता होती है । यह गुफा बस्तर के कोटमसर गुफा के ही समान है परंतु उससे बहुत छोटा है । यहां छत से फर्श की ओर और फर्श से छत की ओर बढ़ते चूने के चमकदार पिल्हर बहुत ही आकर्षक लगते हैं । इन्हें भौगोलिक भाषा में आश्चुताश्म और निश्चुताश्म कहते हैं । इन दोनों के मिलने से कंदरा स्तम्भ का निर्माण होता है । इस गुफा तक पहुंचने में पैदल , टैक्सी ,बस , शिप ,स्टीमर , नाव सबकी यात्रा का आनंद मिलता है । साथ ही ज्वार भाटा का भी दृश्य देखने को मिलता है ।शिप इतना विशालकाय होता है कि इसमें कई सौ यात्रियों के साथ बस , कार ,ट्रक , जीप ,दुपहिया वाहन आदि भी समा जाता है यात्रा के दौरान समुद्र में थूकना ,कुछ अपशिष्ट पदार्थ आदि फेकनें की सक्त मनाही रहती है । पूरे मार्ग पर बीच बीच में jजनजाति के लोग भी देखने को मिलते हैं । ये आज भी घने जंगलों के बीच विषम पर्यावरण से जूझते हुए जीवन यापन कर रहें हैं । पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाएं ,पर्यावरण के अनुरूप जीवन में कैसे समायोजन किया जाता है इसके जीवंत मिसाल हैं.


[ •श्रीमती वर्षा ठाकुर शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जुनवानी भिलाई जिला – दुर्ग, छत्तीसगढ़ में प्राचार्य हैं. •शासकीय सेवा में रहते हुए वर्षा जी को साहित्य से लगाव है. •वर्षा जी की कई पाठ्य पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं. •साझा लघुकथा संग्रह, साझा कहानी संग्रह, साझा काव्य संग्रह के अलावा वर्षा जी की संग्रह हैं – •नारी एक आवाज़ •नशा एक अभिशाप •कोसल पुष्प •आखर कुंज •प्रवाहित साहित्य
•वर्षा ठाकुर नियमित लेखन में सक्रिय हैं. ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ से वे जुड़कर इनकी पहली रचना प्रकाशित की जा रही है. •वर्षा जी कहती हैं अध्ययन, अध्ययापन और भ्रमण लेखन इनकी पहली पसंदीदा है. •घूम – घूम कर दुनिया के अद्भुत सौंदर्य को जानने और करीब से देखने की चाहत, अनुभवों को शब्दों में सहेजना मेरी पसंद है, ऐसा वर्षा जी का कहना है. – संपादक
•पता : सड़क – 2,102/बी, विवेकानंद नगर, कोहका भिलाई, जिला -दुर्ग, छत्तीसगढ़
•संपर्क : 79748 76740

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