- Home
- Chhattisgarh
- ‘ चिन्हारी सम्मान : छत्तीसगढ़ चिन्हारी साहित्य समिति द्वारा वर्ष 2023 का ‘ चिन्हारी सम्मान ‘ शिक्षाविद् एवं साहित्यकार डॉ. दीनदयाल दिल्लीवार को दिया गया…
‘ चिन्हारी सम्मान : छत्तीसगढ़ चिन्हारी साहित्य समिति द्वारा वर्ष 2023 का ‘ चिन्हारी सम्मान ‘ शिक्षाविद् एवं साहित्यकार डॉ. दीनदयाल दिल्लीवार को दिया गया…
•छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति को सहेजकर रखना जरूरी – पद्मश्री डॉ. ममता चंद्राकर
•छत्तीसगढ़ के सभी विश्वविद्यालयों के एम. ए. में छत्तीसगड़ी विषय प्रारम्भ करना मेरी पहली प्राथमिकता – कुंवर सिंह निषाद, संसदीय सचिव
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास न्यूज] : छत्तीसगढ़ चिन्हारी साहित्य समिति भिलाई द्वारा वर्ष 2023 का चिन्हारी सम्मान शिक्षाविद एवं साहित्यकार डॉ. दीनदयाल दिल्लीवार को दिया गया। वे अंचल के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. तेजराम दिल्लीवार के ज्येष्ठ सुपुत्र हैँ।
छत्तीसगढ़िया की प्रतीक धोती और पगड़ी, अहिंसा के प्रतीक गाँधीजी और उनका चरखा, सुख- दुःख के प्रतीक सुवा, सुनहरे धान की बालियां, प्रशस्ति पत्र एवं सम्माननिधि के रूप मे ग्यारह हजार रूपये समिति के द्वारा देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ की कुलपति एवं छत्तीसगढ़ की स्वर-कोकिला पद्मश्री डॉ. ममता चंद्राकर ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुःख होता है कि हम अपने छत्तीसगढ़ की कला एवं संस्कृति को भूलते जा रहे हैँ, इन्हे सहेजकर रखने की आवश्यकता है।
•दुर्गा प्रसाद पारकर
चिन्हारी साहित्य समिति यह आयोजन पूरी तरह छत्तीसगढ़ी परम्परा एवं संस्कृति का निर्वहन करते हुए कर रही है। इस आयोजन को देखकर एक सुखद अनुभूति भी मेरे मन को हुई।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग के कुलसचिव डॉ. भूपेंद्र कुलदीप ने कहा कि आज के इस दौर मे छत्तीसगढ़ अंचल मे छत्तीसगढ़ी भाषा मे साहित्य की प्रत्येक विधाओं का सृजन हो रहा है। फिर भी आने वाले भविष्य मे ऐसे साहित्यिक रचना की आवश्यकता है जो साहित्य जगत मे छत्तीसगढ़ी भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर सके और मुझे पूरी उम्मीद है कि वह दिन भी जरूर आएगा ज़ब छत्तीसगढ़ी भाषा राष्ट्रीय स्तर पर अपना स्थान बनाने मे कामयाब होगी।
विशेष अतिथि के रूप मे कुंवर सिंह निषाद, संसदीय सचिव एवं विधायक, गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपनी छत्तीसगढ़ी भाषा को अधिक से अधिक प्रचारित-प्रसारित करें। इसके लिए छत्तीसगढ़ी भाषा मे एम. ए. की कक्षाएं प्रारम्भ करवाने एवं इनके विद्यार्थियों को रोजगार उपलब्ध करना मेरी पहली प्राथमिकता होगी।
वक्ता के रूप मे डॉ. राजेश श्रीवास, अधिष्ठाता, अध्ययन मण्डल हिंदी, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर ने चिन्हारी समिति के संयोजक दुर्गाप्रसाद पारकर द्वारा रचित छत्तीसगढ़ी उपन्यास “बहु हाथ के पानी” पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उपन्यास छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर आधारित एक बेहतरीन उपन्यास है। इस उपन्यास की कहानी आज के प्रत्येक घर की कहानी है. इस उपन्यास के माध्यम से पारकर ने छत्तीसगढ़ की विभिन्न समस्याओं को न केवल उठाया है बल्कि उसका समाधान भी प्रस्तुत किया है। वर्तमान मे यह उपन्यास छत्तीसगढ़ के चर्चित उपन्यासों की श्रेणी मे है। आज के दौर मे इस तरह के उपन्यासों की रचना बहुत कम हो रही हैँ।
डॉ. मृदुला सिंह, अधिष्ठाता, हिंदी अध्ययन मण्डल, संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय, सरगुजा ने छत्तीसगढ़ी नाटकों पर चर्चा करते हुए दुर्गा प्रसाद पारकर के नाट्य संग्रह “सुराजी गांव” के सन्दर्भ मे अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि संग्रह मे “सुराजी गांव” शीर्षक के ठीक नीचे छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी – नरवा, गरवा, घुरुवा औऱ बारी लिखा है, जो शीर्षक को बखूबी स्पष्ट करने में सहायक है. इस केंद्रित योजना को सफल बनाने मे नाटककर ने अपने नाटक मे स्पष्ट किया है कि यह सत्य भी है कि सरकारी योजनाएँ फाइलों मे दबकर रह जाती हैँ, सिस्टम मे दोष है किन्तु हम जागरूक होंगे तो योजनाएँ भी सफल होंगी।
डॉ. डी. एस. ठाकुर, अधिष्ठाता, हिंदी अध्ययन मण्डल, अटलबिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर ने पारकर की नयी कविता “सिधवा झन समझव” तथा कविता संग्रह “सुमिरव छत्तीसगढ़” पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि पारकर ने हिंदी की नयी कविता के तर्ज़ पर छत्तीसगढ़ी भाषा मे “सिधवा झन समझव” जैसा कविता संग्रह देकर एक अभिनव पहल किया है। इस प्रकार की नयी कविता छत्तीसगढ़ी भाषा मे बहुत कम दिखाई देती है। इस आधार पर पारकर आने वाली नयी पीढ़ी के कवियों के लिए प्रेरणास्रोत हैँ।
विशेष अतिथ डॉ. विद्या चंद्राकर, अध्यक्ष, राज्य शैक्षिक अनुसन्धान परिषद, रायपुर ने दुर्गा प्रसाद पारकर के निबंध संग्रह “चिन्हारी” औऱ लोक आस्था के पर्व – “जोत जंवारा” पर अपना मत प्रकट करते हुए कहा कि “चिन्हारी” निबंध संग्रह का प्रत्येक निबंध छत्तीसगढ़ की सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, एवं राजनैतिक क्षेत्र की विशेष परिस्थिति को दर्शाती है।
“जोत जंवारा” छत्तीसगढ़ की धार्मिक आस्थाओं को प्रकट करने वाला एक विशेष संग्रह है एवं रोचक भी है।
विशेष अतिथि डॉ. अभिनेश सुराना, अधिष्ठाता, हिंदी अध्ययन मण्डल, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग ने दुर्गा प्रसाद पारकर का छत्तीसगढ़ी साहित्य मे अवदान पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि पारकर ने गद्य की सभी विधाओं पर साहित्य का सृजन किया है। छत्तीसगढ़ के नवोदित साहित्यकारों को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए कि किस प्रकार साधनों के अभाव मे भी सृजन का कार्य किया जा सकता है। पारकर विगत चालीस वर्षों से छत्तीसगढ़ी भाषा की साहित्य-साधना मे लीन है औऱ उन्होंने इस भाषा मे एक से बढ़कर एक साहित्य पाठको को दिया, जिसमे कुछ का मूल्यांकन हो चुका है तथा कुछ का अभी शेष है।
वक्ता के रूप मे छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार डुमन लाल ध्रुव, जनसम्पर्क अधिकारी, जिला पंचायत, धमतरी ने पारकर की हिंदी से छत्तीसगढ़ी भाषा मे अनुदित कृतियों, जिनमे कथा सम्राट प्रेमचंद की प्रतिज्ञा, निर्मला तथा प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के हिंदी व्यंग्य संग्रह का छत्तीसगढ़ी अनुवाद “सुदामा के चाउंर” प्रमुख है, पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी साहित्य के अतिरिक्त पारकर की अनुवाद कला मे भी गहरी पैठ है।
कार्यक्रम मे दुर्गा प्रसाद पारकर के नए छत्तीसगढ़ी व्यंग्य संग्रह “राजा के विकास यात्रा” प्रेमचंद कृत “प्रतिज्ञा” उपन्यास का छत्तीसगढ़ी अनुवाद तथा पारकर कृत छत्तीसगढ़ी उपन्यास ” बहु हाथ के पानी” का शैलेन्द्र पारकर द्वारा “सरला” शीर्षक के नाम से किया गया हिंदी अनुवाद का विमोचन आयोजन मे उपस्थित अतिथियों ने किया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ मे प्रसिद्ध लोकगायिका रजनी रजक ने राज्य गीत प्रस्तुत किया। सुप्रसिद्ध लोकगायिका पूनम विराट की लोक गीतों की प्रस्तुति ने आयोजन को एक सूत्र मे पिरो दिया। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार, कवि एवं गायक सीताराम साहू ‘श्याम’ ने अपने चिर-परिचित अंदाज मे मंच संचालन किया।
डॉ. हंसा शुक्ला, प्राचार्य, स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, द्वारा कार्यक्रम के अंत मे समस्त सम्माननीय अतिथियों तथा दर्शकों का आभार प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम मे विभिन्न महाविद्यालयों से आए प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक, गणमान्य नागरिक गण, शोधार्थी तथा विभिन्न महाविद्यालयों से आए विद्यार्थी शामिल हुए।
🟥🟥🟥