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- छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ का पावन स्थल सिरपुर : वर्षा ठाकुर [प्राचार्य, शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, जुनवानी, भिलाई, जिला – दुर्ग, छत्तीसगढ़]
छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ का पावन स्थल सिरपुर : वर्षा ठाकुर [प्राचार्य, शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, जुनवानी, भिलाई, जिला – दुर्ग, छत्तीसगढ़]
•निश्चल प्रेम का प्रतीक सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर
प्रेम का प्रतीक ताजमहल से सारा जगत परिचित है ।परंतु एक अद्भुत निश्छल प्रेम की गाथा सुनाते अति प्राचीन ऐतिहासिक स्थल को शायद ही आप जानते हो ।
आप सोच रहे है यह कौन सा स्थान है ।आप इस ऐतिहासिक धरोहर को जानते तो है परंतु एक ऐतिहासिक मंदिर के रूप में ,पूजा स्थल के रूप में।
यह पावन स्थल है छत्तीसगढ़ में ।
ताजमहल और इस स्थल ,दोनों का ही निर्माण ,प्रेम स्वरूप हुआ ।परन्तु दोनों के प्रेम स्वरूप में जमीन आसमान का अंतर ।
एक का प्रेम आसक्ति का तो यह भक्ति का द्योतक है ।ताजमहल माया मोह की ओर ले जाता है ,तो यह मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है ।एक चंचल तो दूसरा शांत चितवन ।पहले में जीवन की समाप्ति ,तो दूसरा जीवन की पुनः शुरुआत है ।एक प्राचीन तो दूसराअति प्राचीन ।एक में मृत्यु का दर्शन तो दूसरे में ईश्वर से साक्षत्कार ।देवत्व की ओर ले जाने वाला। एक किसी एक के लिए तो दूसरा समस्त सर्वसाधारण के लिए ।
अब आपने अनुमान लगा लिया होगा ।जी हाँ ,यह दिव्य स्थान है सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर ।
लक्ष्मण मंदिर का निर्माण ,महारानी वासटा नेअपन ब्रह्मलीन पति महाराजा हर्षगुप्त की स्मृति को चिरस्थायी बनाने हेतु करवाया था ।महारानी वासटा पाण्डुवंशीय महान शासक महाशिवगुप्त बालार्जुन की माता थी ।
मंदिर से प्राप्त अभिलेख के अनुसार यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित था ।यह मंदिर पूर्वाभिमुखी है ।छः फीट ऊँचे अधिष्ठान पर निर्मित है ।इसके गुम्बद की ऊँचाई 56 फीट है ।इस मंदिर में स्तम्भ युक्त मण्डप के अवशेष दिखाई देते है ।इस मंदिर की विशिष्ट विशेषता है कि लाल ईंटो से निर्मित है ।इसे भारत का प्रथम इष्टिका मंदिर (ईंटो से निर्मित ) होने का गौरव प्राप्त है । इन ईंटो को देखकर ,देखने वाल #दाँतो तले उंगली दबा # लेते है ।सम्पूर्ण मंदिर ईंट से निर्मित है ।ईंटों पर कोई प्लास्टर नही हुआ है ।मंदिर की दीवारों को देखने से लगता है कि ईंट एक के ऊपर एक रखा हुआ है ।ईंटो के बीच की जुड़ाई दिखाई नही देता । ईंटो का रंग चटक लाल है ,पतले पतले है इनकी लम्बाई अधिक व् चौड़ाई , मोटाई कम । ये ईंट कैसे जोड़े गए होंगे ,ये शोध का विषय है ।कई सौ वर्षों से आंधी ,तूफान ,धूप ,वर्षा को बर्दाश्त कर अपने सौंदर्य को बनाये हुए है ।यह मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ मिसाल है ।इसकी दीवारों पर बहुत बारीकी से भगवान विष्णु के अवतारों को उकेरा गया है ।
वास्तव में यह श्री हरि विष्णु का मंदिर है ।मंदिर के मुख्य द्वार के ऊपर शेष सैय्या में विराजमान भगवान विष्णु की आकृति है उसके दोनों ओर विविध अवतारों को उकेरा गया है । विभिन्न देवी -देवताओं ,किन्नरों ,यक्ष,पशु -पक्षियों व् कमल पुष्प की भी आकृतियां है ।
श्री हरि विष्णु जी का मंदिर होते हुए भी मंदिर का नाम लक्ष्मण मंदिर कैसे पड़ा ।यह भी बड़ा रोचक है।
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•सिरपुर लक्ष्मण मंदिर : नामकरण की कहानी
छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल -सिरपुर स्थित लक्ष्मण मंदिर ,वास्तव में श्री हरि विष्णु जी का मंदिर है ।इसका नाम लक्ष्मण मन्दिर कैसे पड़ा,यह बड़ा ही रोचक है ।
इस मंदिर का निर्माण 7 वीं सदी में, #राजमाता_वासटा ने अपने स्वर्गवासी पति महाराज हर्षगुप्त (पाण्डुवंशीय ) की स्मृति में बनाया था । कालान्तर में यह मंदिर भूमिगत हो गया ,टीले में तब्दील हो गया ।पुरातत्व विभाग द्वारा इसकी खुदाई करवाया गया ।तो यह भव्य मंदिर सामने आया ।मंदिर का गर्भगृह खाली था ।आसपास और खुदाई हो रहा था , खुदाई के दौरान वृषभ देव की मूर्ति प्राप्त हुई ,जिसके सिर पर शेषनाग का छत्रछाया है ।इस मूर्ति को बस्तीवासियों ने श्री लक्ष्मण जी समझा और इसे मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर दिया ,और मंदिर का नाम लक्ष्मण मंदिर कहना शुरू कर दिया ।तब से यह मंदिर लक्ष्मण मंदिर के रूप जाना जाने लगा ।यह मन्दिर लाल ईंटो से बना है ।मन्दिर प्रांगण में एक कुआँ भी है ,लोगों का मत है कि यह कुआँ मन्दिर जितना ही पुराना है ।इसके पानी का उपयोग आज भी पीने के लिए किया जाता है ।कुआँ में वर्ष भर पर्याप्त पानी रहता है ।यहीं एक संग्रहालय है जिसमें खुदाई से प्राप्त प्रतिमाएँ एवं कलाकृतियां संरक्षति है।
सिरपुर महानदी के सुरम्य तट पर बसा हुआ है ।यह नगरी आर्य संस्कृति ,रामायण युग ,महाभारत काल ,बौद्ध और जैन धर्म ,गुप्त वंश ,कल्चुरी वंश एवं कई राजवंशों के धार्मिक , राजनीतिक , और सांस्कृतिक,गौरव शाली अतीत को सँजोए हुए है ।
सिरपुर प्राचीन काल में श्रीपुर ,चित्रांगदपुर व मणिपुर के नाम से भी जाना जाता रहा है । महाभारत काल में यह नगर अर्जुन के पुत्र बभ्रूवाहन की राजधानी थी ।इसका नाम चित्रांगदपुर था ।
एक औऱ उद्धरण के अनुसार मणिमान नामक राजर्षि ने दैत्य सेना को मारकर यह नगर बसाया ,इसके आधार पर इसका नाम मणिपुर पड़ा ।
लक्ष्मण मंदिर के साथ साथ सिरपुर शिव मंदिर ,बौद्ध विहार व् स्वास्तिक विहार के लिए भी प्रसिद्ध है ।यह नगर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 6 पर रायपुर से 77 कि. मी. दूर महानदी के तट पर स्थित है । सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
•वर्षा ठाकुर
•संपर्क : 79748 76740
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