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भिलाई : स्मृति शेष स्व. देवी शंकर दत्ता : एक शाम पुष्पांजलि, स्वरांजलि गीत – संगीत के माध्यम से श्रद्धांजलि…🕉🌸
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास न्यूज़] : 11 जुलाई को नेहरू नगर में भिलाई – दुर्ग और दत्ता परिवार ने एक आत्मीय आयोजन किया. स्मृति शेष स्व देवी शंकर दत्ता को पुष्पांजलि, स्वरांजलि और गीत – संगीत के माध्यम से विनम्र श्रद्धांजलि.
बायें से : आलोक कुमार चंदा, गौतम शील, समरेन्द्र विश्वास, स्मृति दत्ता, प्रकाश चंद्र मण्डल, प्रदीप भट्टाचार्य और शुभेंदु बागची
•स्मृति दत्ता परिवार
स्व. देवी शंकर दत्ता की पत्नी बांग्ला की सुप्रसिद्ध लेखिका स्मृति दत्ता ने बताया –
आज स्व. दत्ता जी का 28वां स्मृतिदिन है. आज ही के दिन 11 जुलाई 1995 को मुझे और परिवार को छोड़ कर चले गए थे. उन्होंने इनके साथ बिताए लम्हों को याद किया और आँखों में आँसू भरते हुए कहा. मुझे वकालत से लेकर साहित्य लेखन के लिए प्रेरित किया. मगर मुझे अफसोस है कि मेरी कोई भी कृति को देखकर नही जा सके. स्मृति दत्ता ने उनके साथ बिताए कई प्रसंगों को साझा करते हुए कहा, मुझे विवाह के बाद सबसे पहले पहला गिफ्ट ‘ देश ‘ पत्रिका दिए पढ़ने के लिए.. नौकरी के रहते मैं उनके साथ 19 स्थानों में जाती रही. बस्तर से लेकर भिलाई तक का सफर किया, मैंने उनके साथ. अंत में वे ‘ साडा ‘ के कमीश्नर बनकर सेवानिवृत हुए.
•कवि – लेखकों के विचार व वक्तव्य –
प्रकाशचंद्र मण्डल ने बांग्ला में भजन/कविता का सस्वर पाठ किया –
‘ माटी देह माटी होबे… ‘
‘ गुरु मतोन आपोन के आछे… ‘
‘ एक तारा ते बाजा रे तुई…’
समरेन्द्र विश्वास ने पिता स्व.सतीन्द्र नाथ विश्वास की स्मृति में एक उत्कृष्ट बांग्ला कविता का पाठ किया ‘ पिता की स्मृति में…’
रेणु शर्मा ने हिंदी गीत ‘ जिंदगी के सफर में बदल जाते हैं वो मकान…’ मधुर गायिकी से भाव विभोर कर दिया.
शर्मिला दत्ता ने हिंदी और बांग्ला के गीत गाए. ‘ जीवन के दिन छोटे सही…’, हमें और जीने की चाहत न होती अगर तुम न होते…’ साथ में बांग्ला गीत ‘ चिरवोजीवनी तुमी… ‘
शुभेंदु बागची अपने एक परिवार में कैसे मृत्यु हुई उसका वृतान्त सुनाया और एक बांग्ला कविता का पाठ किया, ‘ सपनो ढेले दिए सुन्न नयन…’
गौतम शील ने माउथआर्गन में हिंदी और बांग्ला गीतों के संगीत आज की शाम को और रंगीनमय बना दिया.
‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ के सलाहकार संपादक आलोक कुमार चंदा और एडिटर – इन – चीफ प्रदीप भट्टाचार्य ने भी स्व. देवी शंकर दत्ता को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आत्मीय आयोजन को साझा किए.
स्व. देवी शंकर दत्ता के परिवार द्वारा आयोजित इस आत्मीय आयोजन में स्मृति दत्ता के पुत्र, पुत्रवधू शर्मिला दत्ता, नातिन और स्मृति नाग उपस्थित थे.