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कविता आसपास : ठाकुर दशरथ सिंह भुवाल
🌸 वर्षा ऋतु
– ठाकुर दशरथ सिंह भुवाल
[ भिलाई, जिला – दुर्ग, छत्तीसगढ़ ]
सावन महीना बीत रहा है, बीत गया आषाढ़ ।
त्राहि-त्राहि चहुँ ओर व्याप्त, कहीं सूखा-कहीं बाढ़ ।।
जनजीवन हो गया है, बुरी तरह प्रभावित ।
गाँव के गाँव पानी में, हो गये पूरे समाहित ।।
समुद्र की लहरें शिखर पर,और डूब गये पहाड़ ;
सावन महीना बीत रहा…….
फसल चौपट हो गई है, क्या खायेंगे इंसान ।
बेसब्री से जोह रहे हैं, बरखा की बाट किसान।।
दरारें पड़ गई जमीं पे, और सूख गये हैं झाड़ ;
सावन महीना बीत रहा…….
सर्जन और विध्वंस का, है बहुत निराला प्यार ।
प्रकृति बेचारी झेल रही है, मौसम की ये मार ।।
कहीं विनाश लीला तो,कहीं प्रलयालिंगन प्रगाढ़ ;
सावन महीना बीत रहा…….
उफनती नदियों का हो, रहा सागर में मिलन ।
बहाव-कटाव चट्टानों का,और होते भू-स्खलन ।।
गर्जना बादलों का भयंकर,जैसे सिंहों की दहाड़ ;
सावन महीना बीत रहा……..
इधर बिन पानी जल गये,उधर पानी में बह गये ।
अरमान जिंदगी के ‘दशरथ’,क्षण भर में ढह गये ।।
जीने के लिए फिर से हम,करें कोई नया जुगाड़ ;
सावन महीना बीत रहा…….
त्राहि त्राहि चहुँ ओर ………
.•संपर्क –
•98271 90993
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