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आज का चिंतन : रीढ़विहीन समाज – रंजना द्विवेदी [रायपुर छत्तीसगढ़]
महिला के सम्मान और सुरक्षा में हमारा देश और समाज प्रारम्भ से ही सजग रहा है। हां सजगता तो है किन्तु यह बाह्य ,आंतरिक रूप से शून्य रहित है। आज मन बहुत व्यथित है लिखने का मन नहीं ,किस पर लिखूं,क्या लिखूं क्यो लिखूं कौन पढ़ेगा ? आज समाज के ठेकेदार और नेताओं ने नारी के वजूद पर ही प्रश्चिह्न् लगा दिया है। एक तरफ तो नारी उत्थान और कल्याण की बाते होती हैं वहीं दूसरी ओर महिलाएं बच्चियां उनके भोग विलास और मनोरंजन की साधन मात्र है।समाज का यह वीभत्स दृश्य है। आए दिन यौन शोषण, बलात्कार जैसी घटना घटित हो रही है और शासन की कोई जिम्मेदारी नहीं ।निर्भया कांड,प्रियंका रेड्डी ना जाने कितने इस घिनौने कृत्य के हवाले हुए।अब मनीषा वाल्मीकि ,कितनी बर्बरता से उसका बलात्कार किया गया रीढ़ की हड्डी तोड़ी गई यहां तक की उसकी जीभ तक काट दिया गया,उसका अंग अंग नोच खाया दरिंदों ने और वह मर गई । दर्द अभी जहन से गया ही नहीं और फिर भीड़ में लड़की को निर्वस्त्र कर सरेआम घुमाया गया और सामूहिक बलात्कार।लोग थे पर किसी ने कुछ नहीं किया। ऐसा भिड़तंत्र किस काम का ।क्या यह सभ्य समाज को सुशोभित करता है? यह क्रूरता की पराकाष्ठा ही तो हैं।जिनका अंतर्मन खोखला है, नग्न है वो क्या किसी नारी को नग्न करेंगे । अफसोस इस बात की है आज ना कोई कृष्ण है ना कोई भीम जो नारी की अस्मिता की सुरक्षा हेतु दृढ़ प्रतिज्ञा ले ।
प्रशासन क्या करेगा ? उसके घर वालों को कुछ मुआवजा की रकम देकर मुंह बन्द कर देगा ,उन्हें सहानुभूति देगा कि उसके कातिल को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएगा और कुछ मोमबत्तियां जला दी जाएगी । यही होगा और यही होता आया है।बहुत ग्लानि होती है इस प्रशासनिक और सामाजिक ढांचा को देखकर । मै बता दूं की रीढ़ की हडडी उस बच्ची की नहीं आज समाज की टूटी है। क्यूं बलात्कार होते है,बलात्कारियों को सजा क्यो नही मिलती।एक दो को सजा दिलाकर क्या साबित किया जाता है।फिर तो वहीं होगा,बेखौफ निडर गिद्ध की भांति ये बलात्कारी अपना शिकार ढूंढने लगेंगे। प्रशासन ऐसा कानून क्यो नहीं बना सकता जो वास्तव में न्यायिक हो। बलात्कारियों का बलात्कार करने की सोचने मात्र से रूह कांप जाए,ऐसा कानून क्यो नहीं है मेरे देश में ?
ऐसा कानून बन भी नहीं सकता,क्योंकि कानून बनाने वाले अपने हित में कानून बनाते हैं,वो जब चाहे अपने सुविधनुरूप उसे तोड़ मरोड़ सकें। तभी तो एक हत्यारा खुलेआम घूमता है।
मोदी जी के शासन काल में बहुत से योजनाएं बनी और आई भी। यह सभी को पता है कि २०१५ में मोदी जी ने बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का अभियान शुरू किया था।काश उन्होंने बेटियों की अस्मित की रक्षा हेतु भी कोई योजना बनाई होती।गर मै २०१५ से २०२० तक की बात करू तो अब तक ६,५९,८४९ बलात्कार हमारे देश में हुए हैं। यह मात्र अनुमानित आंकड़े है। यह है हमारे विकासशील देश का हाल। मोदी जी ने शौचालय और स्वच्छता पर ज़ोर दिया मानवीय सोच पर क्यो नहीं ।यदि व्यक्ति आंतरिक रूप से स्वच्छ नहीं है तो बाह्य स्वच्छता कहा से आएगी ।
रामराज्य की स्थापना करना है जबकि हर गली मोहल्ले में रावण रूपी भेड़िया सीता के आबरू को तार तार कर रहे है।आज जो भी समस्याएं उत्पन्न हुई है हमारे राजनैतिक नेताओ की ही देन है।आज समाज मनीषा के रेप को जातिगत स्तर पर देख रहा है तो सोचिए इस समस्या का कोई समाधान होगा।गर यही कृत्य किसी नेता या अधिकारी के बेटी के साथ होता तो क्या वो चुप बैठते नहीं ना तो मनीषा के बलात्कार को क्यो दबाया जा रहा है सब चुप क्यो बैठे है ?
महिला दिवस और बेटी दिवस मनाकर ढोंग और आडम्बर क्यो किया जाता है । बन्द कर दो यह सब ,क्योंकि घिन आती है ऎसे सिस्टम से ।मै यह चाहती हूं कि बलात्कार को रोकने के लिए सख्त से सख्त कानून बने उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाए और बलात्कारियों को सजा देने का हक सिर्फ और सिर्फ लड़की और उसके मां बाप को होनी चाहिए। प्रशासन को नहीं ।
” इतनी खुशियां लाएगी की समेट नहीं पाओगे लेकिन ये तब ही होगा ,जब तुम बेटियों को बचाओगे “।
सुनने में कितना अच्छा लगता है, है ना
“बेटी पढ़ाओ,बेटी बचाओ”
और
मौका मिले तो उसे नोच खाओ.
•संपर्क –
•97557 94666
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