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मणिपुर : मणिपुर की घटना से पूरा देश ही नहीं, पूरी दुनिया और इंसानियत शर्मसार हुई : लेकिन सियासत और राजनीति अभी भी पूरी निर्लज्जता के साथ कुर्सी की दांव पेंच में लगी है – गणेश कछवाहा
मणिपुर की घटना से पूरा देश ही नहीं पूरी दुनिया और इंसानियत शर्मसार हुई है। लेकिन सियासत और राजनीति अभी भी पूरी निर्लज्जता के साथ कुर्सी के दांव पेंच में लगी हुई है।लगभग तीन माह से मणिपुर जल रहा है सरकार व प्रधान मंत्री ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की बल्कि प्रधान मंत्री मणिपुर को जलता छोड़कर विदेश की यात्रा में मशगूल थे।
78 दिन मानवता को शर्मसार करने वाली वीडियो के बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और सख्त तेवर दिखाया, सरकार कारवाई करे अन्यथा हमें करना होगा यह निर्देश के बाद सरकार की नींद टूटी और माननीय प्रधान मंत्री संसद में नहीं संसद के बाहर से प्रेस के माध्यम से देश को बताते हैं कि मणिपुर की घटना ने143 करोड़ देश वासियों को शर्मशार किया है मैं बहुत आक्रोश और पीड़ा में हूं ,दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। वास्तव मे केवल मणिपुर की घटना ने केवल143 करोड़ देश वासियों को शर्मशार नहीं किया है , पूरी दुनिया और इंसानियत शर्मसार हुई है। उससे ज्यादा सरकार , सत्ता और सियासत के चाल,चलन और चरित्र से पूरी दुनिया और विशेष मानवता शर्मसार हो रही है।
जिस देश की राष्ट्रपति महिला हो,राज्य की राज्यपाल महिला हो और सरकार तथाकथित राष्ट्रवादी हो, प्रधान मंत्री और सत्ता में लोकतंत्र और संविधान का डीएनए हो उस देश का एक राज्य तीन महीने से जल रहा हो,मानवता तार तार हो रही हो ,इंसानियत दम तोड़ रही हो और वहां का मुख्यमंत्री खुलेआम यह कहे कि ऐसी घटना एक नहीं सैकड़ों हैं उसके बावजूद उस पर कोई कार्यवाही न हो तो उसे आप क्या कहेंगे? अच्छे दिन तो शायद नहीं कह पाएंगे। राजनैतिक विशेषज्ञों, समाजशास्त्रियों,कानूनविदों और प्रबुद्ध नागरिकों का कहना है कि “प्रधान मंत्री के शर्मसार , आक्रोश और बहुत पीड़ा के बावजूद मुख्यमंत्री के इस्तीफा और कानून व्यवस्था न संभाल पाने के कारण सरकार को बर्खास्त तक नहीं करनाऔर शांति बहाल नहीं कर पाना,यह कौन सा कैसा शर्म,गुस्सा और पीड़ा है?
उनका यह मानना है कि धर्म, पहचान, नफ़रत,द्वेष,घृणा,हिंसा और कुर्सी की गिद्ध लालच की राजनीति ने देश को एक गंभीर जटिल परिस्थितियों में ढकेल दिया है। युवाओं के भविष्य को घनघोर अंधेरे में डाल दिया है।उन्हें मालूम ही नहीं हो पा रहा है वे समझ ही नहीं पा रहे हैं कि वे सभ्य, आदर्श,सदाचरण,अच्छे इंसान,समाज व राष्ट का निर्माण कर रहे हैं या असभ्य , असामाजिक , अमानवीय,दंगाई, या मानव को शर्मसार करने वाले दानवों से भी नीच जीवों का हिस्सा बन रहे हैं। कभी कभी यह सोचता हूं और मन बहुत व्यथित होता है कि ऐसी परिस्थितियों में राजनीति में महिलाएं क्या सोचती होंगी?कैसे रहती होंगी ? वे अपने नेताओं ,मंत्रियों , प्रधानमंत्री से आंख में आंख डाल कर सवाल क्यों नहीं करती ? आखिर देश का भविष्य क्या होगा?सबसे अधिक चिंता का विषय है।
राजनैतिक विशेषज्ञों, समाजशास्त्रियों, कानूनविदों , जनसंगठनों, प्रबुद्ध नागरिकों ,सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मणिपुर में हो रही घटनाओं की कड़ी निन्दा करते हुए भारत सरकार से यह मांग की है की “मुख्यमंत्री को तत्काल बर्खास्त करो,शांति बहाल की जाय,राज्य सरकार को बर्खास्त किया जाय,पीड़ितो को तुरंत राहत और आदर्श पुनर्वास किया जाय।दोषियों पर सख़्त से सख़्त कानूनी कार्रवाई की जाय।”
शांति बहाल करो, मुख्यमंत्री को बर्खास्त करो, दोषियों को सख़्त से सख्त सजा दी, पीड़ितों को राहत और आदर्श पुनरवास दो, राज्य सरकार को तत्काल बर्खास्त करो. इंसानियत की रक्षा करो, संविधान और लोकतंत्र की हिफाजत करो.
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