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- भिलाई : ‘ बंगीय साहित्य संस्था ‘ के तत्वावधान में ‘ कॉफी विथ साहित्यिक विचार – विमर्श आड्डा ‘ : प्रति शनिवार को आयोजित आज के आड्डा में समरेंद्र विश्वास, दुलाल समाद्दार, स्मृति दत्ता, प्रकाश चंद्र मण्डल, आलोक कुमार चंदा, रविंद्र नाथ देबनाथ और प्रदीप भट्टाचार्य ने अपनी भागीदारी दी…
भिलाई : ‘ बंगीय साहित्य संस्था ‘ के तत्वावधान में ‘ कॉफी विथ साहित्यिक विचार – विमर्श आड्डा ‘ : प्रति शनिवार को आयोजित आज के आड्डा में समरेंद्र विश्वास, दुलाल समाद्दार, स्मृति दत्ता, प्रकाश चंद्र मण्डल, आलोक कुमार चंदा, रविंद्र नाथ देबनाथ और प्रदीप भट्टाचार्य ने अपनी भागीदारी दी…
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास न्यूज़] : बांग्ला लेखकों की 60 वर्ष पुरानी साहित्यिक संस्था बंगीय साहित्य संस्था प्रति शनिवार को ‘ इंडियन कॉफी हाउस, भिलाई निवास ‘ में कॉफी विथ साहित्यिक विचार – विमर्श आड्डा में शिरकत करते हुए देश में घटित सम – सामयिक घटनाओं पर चिंतन करते हुए अपनी बातों को साझा करते हैं और कविता/कहानी/यात्रा संस्मरण का पाठ करते हैं.
[ बाएँ से – दुलाल समाद्दार, समरेंद्र विश्वास, रविंद्रनाथ देबनाथ, स्मृति दत्ता, प्रदीप भट्टाचार्य और प्रकाश चंद्र मण्डल ]
आज ‘ कॉफी विथ साहित्यिक विचार – विमर्श आड्डा ‘ की अध्यक्षता ‘ बंगीय साहित्य संस्था ‘ की उप सभापति एवं बांग्ला की सुप्रसिद्ध लेखिका श्रीमती स्मृति दत्ता ने किया और ‘ आड्डा ‘ का संचालन संस्था के सह सचिव व बांग्ला हिंदी के कवि एवं नाट्यकार प्रकाश चंद्र मण्डल ने किया.
•दुलाल समाद्दार
‘ बंगीय साहित्य संस्था ‘ की बांग्ला में प्रकाशित मुखपत्र मध्यबलय के संपादक दुलाल समाद्दार ने प्रारंभ में उपस्थित सदस्यों को बताया कि ‘ मध्यबलय ‘ पत्रिका को आगामी माह सितम्बर में दुर्गापुर द्वारा ‘ शिल्प साहित्य मासिक पत्रिका ‘ के आयोजन में ‘ मध्यबलय ‘ को देश का सर्वश्रेष्ठ लिटिल पत्रिका का पुरुस्कार के लिए चयनित किया गया है. इस पुरस्कार को प्राप्त करने के लिए दुलाल समाद्दार और प्रकाश चंद्र मण्डल दुर्गापुर आयोजन में जायेंगे.
आलोक कुमार चंदा ने ‘ अमरनाथ यात्रा के संस्मरण को सुनाया. अमरनाथ यात्रा वे किन – किन परिस्थियों को पार कर पूरी की. सुनकर हम सभी रोमांच हो उठे.
{ •कविता पाठ करते हुए स्मृति दत्ता }
इस विचार – विमर्श के बाद रचना का क्रम शुरू हुआ –
प्रकाश चंद्र मण्डल ने बांग्ला में दो कविता ‘ एकाकी आमी… ‘ / ‘ किछु कोथा किछु बेथा..’ का पाठ किया.
प्रदीप भट्टाचार्य ने हिंदी में छोटी – छोटी ‘ मौन ‘ और ‘ व्हाट्सएप ‘ पर अपनी रचना का पाठ किया.
स्मृति दत्ता ने बांग्ला में गद्य रूपी पद्य की एक लंबी रचना ‘ दस हजार दिन…’ को पढ़ा.
समरेंद्र विश्वास ने बांग्ला में एक मार्मिक लघुकथा ‘ सेई सब छेलो गिलो.. [वही सब लड़के] ‘ का पाठ किया.
दुलाल समाद्दार ने बांग्ला में दो छोटी – छोटी सारगर्भित व उत्कृष्ट कविता को पढ़कर सुनाया. कविता का शीर्षक था – मायेर मुख याने माँ का चेहरा और सेफ्टीपिन.
•समरेंद्र विश्वास
•अमरनाथ यात्रा का संस्मरण सुनाते हुए आलोक कुमार चंदा
•प्रकाश चंद्र मण्डल
आभार व्यक्त ‘ बंगीय साहित्य संस्था ‘ के सक्रिय सदस्य व साहित्यप्रेमी रविंदनाथ देबनाथ ने किया.
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