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- भिलाई : ‘ बहुमत ‘ और ‘ श्री चतुर्भुज मेमोरियल फाउंडेशन ‘ का संयुक्त आयोजन : व्याख्यान, काव्यपाठ, सम्मान समारोह : प्रथम सत्र – ‘ लोक संस्कृति और हमारा जीवन ‘ पर राहुल कुमार सिंह और अशोक तिवारी का व्याख्यान : द्वितीय सत्र – कविता पाठ में नीरज मनजीत, राजेश गनोदवाले, देवेंद्र गोस्वामी, वसु गंधर्व और श्वेता उपाध्याय ने कविताओं का पाठ किया : सम्मान सत्र में रजनी रजक, अनीता उपाध्याय, सुचिता मुखर्जी, विजया त्रिपाठी, डॉ. अनिता सावंत और डॉ. अर्चना चौहान का सम्मान किया गया…
भिलाई : ‘ बहुमत ‘ और ‘ श्री चतुर्भुज मेमोरियल फाउंडेशन ‘ का संयुक्त आयोजन : व्याख्यान, काव्यपाठ, सम्मान समारोह : प्रथम सत्र – ‘ लोक संस्कृति और हमारा जीवन ‘ पर राहुल कुमार सिंह और अशोक तिवारी का व्याख्यान : द्वितीय सत्र – कविता पाठ में नीरज मनजीत, राजेश गनोदवाले, देवेंद्र गोस्वामी, वसु गंधर्व और श्वेता उपाध्याय ने कविताओं का पाठ किया : सम्मान सत्र में रजनी रजक, अनीता उपाध्याय, सुचिता मुखर्जी, विजया त्रिपाठी, डॉ. अनिता सावंत और डॉ. अर्चना चौहान का सम्मान किया गया…
[ •बाएँ से : डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव, नरेंद्र कुमार बंछोर, राहुल कुमार सिंह, अशोक तिवारी और जसवीर कौर ]
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास न्यूज़] : कला साहित्य और संस्कृति की संस्था बहुमत तथा सामाजिक संगठन श्री चतुर्भुज मेमोरियल फाउंडेशन ने संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन के सहयोग से भिलाई निवास स्थित काफी हाउस सभागार में ” लोकसंस्कृति और हमारा जीवन ” विषयक व्याख्यान, प्रतिष्ठित कवियों के काव्य पाठ तथा कला के विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान के लिए स्त्री प्रतिभाओं के सम्मान का गरिमामय आयोजन किया गया.
समारोह का शुभारंभ सेफी के चेयरमैन नरेंद्र कुमार बंछोर, संस्कृतिकर्मी राहुल कुमार सिंह, अशोक तिवारी, ‘ कृति बहुमत ‘ के संपादक विनोद मिश्र और ‘ श्री चतुर्भुज मेमोरियल फाउंडेशन ‘ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया.
आयोजकीय वक्तव्य विनोद मिश्र और स्वागत उद्बोधन डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने दिया.
आयोजन के प्रथम सत्र में ‘ लोक संस्कृति और हमारा जीवन ‘ में राहुल कुमार सिंह और अशोक तिवारी का व्याख्यान हुआ…
पुरातात्विक एवं सांस्कृतिक विषयों के गहन अध्येता राहुल कुमार सिंह ने कहा – कि लोक के बारे में मैं सोचने लगा तो लोक में संस्कृति और हमारा जीवन आने लगता है। लोक तो लोक होता है यह समझने की बात है। लोक शब्द दरसल दृष्टि से समेकित शब्द है। लोक इहलोक, परलोक । पुरुष और प्रकृति साक्ष्य दर्शन में कहा जाता है। लोक को परंपरा के प्रवाह के साथ याद आता है। ओनम पर्व का उदाहरण इस सभी तरह के लोक, जाति, पन्थ के लोग मानते हैं। अपने लोक से अपने लोग से मिलने का पर्व होता है ओणम हमारी संस्कृति का त्यौहार है। लोक वही होता है जब हम समूह में पहुंचे जाते हैं। यह व्यक्ति नहीं समस्ति होता है।लोक परंपरा से आई हुई चीजें हैं। जिस चीज की आवश्यकता होती है तो हम कहते हैं उसे लोक से ले लीजिए। जिसे सब कुछ समाहित होती है वह परंपरा होती है। कोई चीज अभिलिखित हो जाती है तो वह लोक में दर्ज हो जाता है। उन्होंने कहा कि एक बार तीजन बाई से चर्चा हो रही थी एक पंडवानी प्रसंग हुआ तो तीजन ने जो गाया चौमासा में पत्रिका मे छपा कि ये वेदमती कपालिक है जो पंडवानी है वो लोकदर्शन से आया है.
समाज और मानवशास्त्र के अनुभवी व्याख्याता अशोक तिवारी ने कहा – भिलाई में हमने लोक संस्कृति पर एक बड़ा आयोजन किया था वर्ष 1995 मे उसमे भीड़ इतनी थी कि तब जाकर पता लगा कि लोक क्या होता है। दशहरा हर गांव में मनाया जाता है लेकिन हर गांव में थोड़ा अलग-अलग मनाया जाता है यही लोग संस्कृति है। हम शहरी लोग खुद को लोक और आदिवासी कहने से कतराते हैं। हम लोक ही हैं जो अलग-अलग होते हुए भी लोक में समाये हुए हैं। लोगों ने अपना लोक खोया नहीं है लोक मिथक जल्द बना लेता तो। हमारी लोक अस्थाई ही लोक होती है लोक ग्रहणता ही लोक है। लोग अपने आप को शहरी कहते हैं लोक से अलग करने की कोशिश करते हैं लोगों ने लोग को बिगड़ने का काम किया।
•कविता पाठ करती हुई श्वेता उपाध्याय
•कविता पाठ करते हुए देवेंद्र गोस्वामी
•कविता पाठ करते हुए राजेश गनोदवाले
आयोजन के दूसरे सत्र में राज्य के प्रतिष्ठित कवियों नीरज मनजीत, देवेंद्र गोस्वामी, राजेश गनोदवाले, वसु गंधर्व और श्वेता उपाध्याय ने अपनी चुनिंदा प्रतिनिधि कविताओं का पाठ किया. कविताएं समकालीन सामाजिक परिदृश्य, मनुष्य, जनजीवन, प्रेम, प्रकृति जैसे विषयों पर केंद्रित थी.
•सम्मान लेते हुए डॉ. अनिता चौहान
•सम्मान लेते हुए रजनी रजन
•सम्मान प्राप्त करते हुए विजया त्रिपाठी
•सम्मान प्राप्त करते हुए डॉ. अनिता सावंत
आयोजन के तीसरे सत्र में कला, संस्कृति और समाज के विभिन्न योगदान के लिए स्त्री प्रतिभाओं का सम्मान किया गया –
इस सत्र में डॉ. सुनीता वर्मा, भावना पांडे और सीमा श्रीवास्तव के तीन सदस्यीय निर्णायक मंडल ने शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह से सम्मानित किए इनका –
•रजनी रजक
[लोकगायन में प्रदीर्घ साधना]
•अनिता उपाध्याय
[रंगमंच के प्रति समर्पित]
•सुचिता मुखर्जी
[रंगमंच के प्रति साधना]
•विजया त्रिपाठी
[सिरामिक आर्ट एवं कला]
•डॉ.अनिता सावंत
[पर्यावरण, विज्ञान एवं लोकजागरण]
•डॉ.अनिता चौहान
[कमजोर वर्गों की चिकित्सकीय सेवा]
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव, डॉ. डीपी देशमुख, जसवीर कौर और शायर मुमताज ने किया.
कार्यक्रम का संचालन प्रो. डीएन शर्मा एवं आभार व्यक्त ‘ श्री चतुर्भुज मेमोरियल फाउंडेशन ‘ की सचिव जसवीर कौर ने किया.
समारोह में प्रमुख प्रबुद्धजन उपस्थित हुए –
रवि श्रीवास्तव, डॉ. सोनाली चक्रवर्ती, संतोष झाँझी, शुचि भवि, डॉ. अंजना श्रीवास्तव, डॉ. प्रभात श्रीवास्तव, यश ओबेराय, विभाष उपाध्याय, एनएल मौर्य ‘ प्रीतम ‘, टीएन कुशवाहा ‘ अंजन ‘, प्रशांत कानस्कर, चंद्रकांत साहू, अविनाश शर्मा, विष्णु पाठक, मणिमय मुखर्जी, राजेंद्र सोनबोइर, प्रज्ञावतार साहू, निधि चंद्राकर, बी. पोलम्मा, निर्मल शर्मा, संजीव तिवारी, ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ के डायरेक्टर प्रकाश चंद्र मण्डल, सलाहकार संपादक आलोक कुमार चंदा और संपादक प्रदीप भट्टाचार्य साथ में अनेक लेखक, कवि, साहित्यकार और पत्रकार.
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