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हास्य व्यंग्य : ‘ अपवाह ‘ : दीप्ति श्रीवास्तव [जुनवानी भिलाई, जिला – दुर्ग, छत्तीसगढ़]
अपवाह
अफवाह की गति तो प्रकाश की गति से भी तेज होती है । जितना उड़ती है उतना चटपटी होते जाती है । सुनने में लजीज लगती है कानों में जलतरंग बजने लगते हैं जब कोई तीखी चटपटी अफवाह हमारे पास पहुंचती है तो हम रस ले लेकर सुनते हैं फिर एक कान से सुनकर दूसरे कान से उड़ाते नहीं बल्कि चाशनी में डुबोकर दूसरे को परोस स्वयं तृप्त होते हैं । यह सामने वाले की प्रकृति देख निर्धारित करते हैं कि उसे कितनी चाशनी वाली अफवाह की जरूरत है ।
पहले तो अफवाह के लिए मुंह और कान रुपी औजार का प्रयोग किया जाता था अब तो फाइव जी की रफ्तार पकड़ अफवाह दौड़ती है । सोशल मीडिया का नेटवर्क अब तो बातें, पिक्चर और विडियो को कैसे त्वरित गति से देश विदेश गांव से लेकर कस्बे तक चंद समय में फैला देता है कि कुछ पूछो मत ।
बात ताजी से बासी हो नहीं पाती की प्रचार प्रसार हो जाती है । यही इंटरनेट अफवाहों को बलशाली बना प्रसार कराने में कामयाब हो जाता है। अफवाहों गति से दंगे होने शुरू हो गये है मनुष्य यह नहीं समझ पाता कि खबर सच्ची है या झूठी बस पढ़ सुन कर दूसरे के विचारों से प्रभावित होकर भड़क जाता है । भड़काने वाली अफवाह की सच्चाई जानने की तनिक भी जरूरत महसूस नहीं करता । उन्मादी लोग हिंसा पर उतारू हो जाते हैं । फिर होता है दंगा फसाद और अथाह नुकसान ।
हमारे एक भैयाजी ने अफवाह फैलवा दिया उनको चुनाव में टिकट मिलने वाली है फिर क्या था ! चमचे लोग जुटने लगे आगे भी काम आयेंगे करके अपना मतलब साधने वाले अभी से भैया जी को मस्का मारना शुरू कर दिया । भैया जी को तो हकीकत मालूम थी वह भी अपना उल्लू सीधा करने अफवाह अपने चमचों से फैलवाई थी । अगर टिकट न भी मिले तो अफवाह के प्रभाव से उनका काम बन सकता है । यह सुनियोजित तरीके से फैलाई गई अफवाह ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया । जहां भी जाते सब बड़े आदर प्रेम से पेश आते । उनके बताये काम हो जाते नहीं तो आफिस के चक्कर मारते मारते चप्पल के तले घिस कर छेद होने लगते थे । इतनी प्रबल अफवाह फैलाई गई थी कि पार्टी उनका पब्लिक सपोर्ट देख सामने वाले टिकट कैंसिल कर उन्हें उम्मीदवार बनाने पर विचार करने लगी । यह होता है सोच विचार कर अपने फायदे के लिए फैलाई गई अफवाह का मूल मुद्दा ।हींग लगे न फिटकरी और काम बन जाय ।भैयाजी की बांछे खिल गई । अपने उस सलाहकार को बेहतरीन पोजिशन से नवाजने का मन बना चुके थे ।
अफवाहों के सिर पैर नहीं होते प्राचीन काल में कहा जाता था । परन्तु आज की सोशल मीडिया पर अफवाह प्रायोजित होती है जिसके पीछे बड़े-बड़े कारण होते हैं । पहले बड़े बुजुर्ग कहा करते थे अफवाहों पर ध्यान मत दो यह समय बर्बाद करती है समय के साथ सच्चाई सामने आ ही जायेगी ।
सोशल मीडिया पर अफवाहें खुद से नहीं चलती बल्कि चलाई जाती है जब तक मंतव्य पूरा नहीं हो जाता । समय स्थिति का सटीक तरीके से ध्यान रखा जाता है ।
आज के दौर में अफवाह चलाने वाले को बहुत धन मिलता है ।अब नैतिक अनैतिक की सार्थकता मायने नहीं रखती । पैसा कमाने के हर तरीके जायज है चाहे जान पर क्यों न बन आए ।
फिर भी सवाल जन्म लेता हैं क्या अफवाह भी त्रिया चरित्र होती है । उत्तर होगा हां जो जैसे रूप में देखना सुनना चाहता वह उसके सामने वैसे ही रूप में प्रस्तुत होती है।
•संपर्क –
•94062 41497
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