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- भिलाई : इंडिया न्यूज़ टीवी चैनल के तत्वावधान में काव्य सम्मेलन : आमंत्रित कविगण – शुचि भवि, जागृति मिश्रा रानी, डॉ. संजय दानी, डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘ सब्र ‘, श्रीमती विद्या गुप्ता और इरफ़ानुद्दीन इरफ़ान
भिलाई : इंडिया न्यूज़ टीवी चैनल के तत्वावधान में काव्य सम्मेलन : आमंत्रित कविगण – शुचि भवि, जागृति मिश्रा रानी, डॉ. संजय दानी, डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘ सब्र ‘, श्रीमती विद्या गुप्ता और इरफ़ानुद्दीन इरफ़ान
▪️ बाएँ से : सतीश बौद्ध, यशो वर्धन, डॉ. संजय दानी, विद्या गुप्ता, शुचि भवि, जागृति मिश्रा रानी, इरफ़ानुद्दीन इरफ़ान, डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास न्यूज़] : प्रारंभ में रचनाकारों का स्वागत चैनल स्टाफ हेड सतीश बौद्ध ने किया.* शुचि ‘भवि’, भिलाई* (कवयित्री, शाइरा, गीतकार) ,के कुशल संचालन में सभी कवि-कवयित्रियों –
जागृति मिश्रा रानी जी रायपुर(कवयित्री),
डॉ. संजय दानी जी दुर्ग(शाइर)
डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई 3(शाइर, हज़लकार)
विद्या गुप्ता जी, दुर्ग(कवयित्री)
इरफ़ानुद्दीन इरफ़ान जी, चरौदा(शाइर)
ने अपने – अपने बेहतरीन अंदाज से समसामयिक विषयों पर गीत, ग़ज़ल व कवितापाठ कर समा बांध दिया । अंचल के लब्धप्रतिष्ठित रचनाकारों द्वारा ग़ज़ल/हास्य व्यंग्य/देशभक्ति/गीत – हज़ल सहित उत्कृष्ट रचनाओं को प्रस्तुत किया गया.
आभार व्यक्त सतीश बौद्ध और चैनल चेयरमैन यशोवर्धन ने कवियों को शॉल से सम्मानित कर किया।भिलाई की बेहतरीन साहित्यकार शुचि ‘भवि’ जिनकी अब तक दस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, ने भी अपनी कृति ख़्वाबों की ख़ुश्बू इंडियन न्यूज़ चैनल की टीम को भेंट स्वरूप दी।
पेश की गई रचनाओं की झलकियाँ
शुचि ‘भवि’, भिलाई
नज़र हटा लूँ मगर दिल कहाँ हटा के रखूँ
मैं ख़ुद को कैसे ज़माने से अब छुपा के रखूँ
पुरानी उलझनों में दिल को उलझाया नहीं जाता
जहाँ से लौट आये हम वहाँ जाया नहीं जाता
जागृति मिश्रा रानी जी रायपुर
हमें राम का जो सहारा न होता* *यकीनन हमारा गुजारा न होता
संजय दानी जी दुर्ग
मुश्किलों से करार कर रहा हूं,
तुझपे मैं ऐतबार कर रहा हूँ ।
जानता हूँ तू आयगी नहीं पर,
सदियों से इन्तज़ार कर रहा हूँ।
डॉ, नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई 3
न जाने वो प्यार के नगमे सुनाने क्यों नहीं आते, हमारे शहर में आखिर परिंदें क्यों नहीं आते, हंसीं भी, नेक सीरत, खानादारी, डिग्रियां फिर भी,
गरीबी में जवां बेटी के रिश्ते क्यों नही आते।
विद्या गुप्ता जी, दुर्ग
मसीहा बदलने लगे
फ़रिश्ते चलने लगे
दुश्मन तो ख़ैर ठीक है
रहनुमा ही निगलने लगे
ज़मीर को जगाते तब
क़लम दर्ज करती है अपना बयान
इरफ़ानुद्दीन इरफ़ान जी, चरौदा
अपनी किस्मत ही में लिक्खा है परेशाँ होना
वरना मुश्किल नहीं मुश्किल का भी आसा होना।
▪️ शुचि भवि
▪️ डॉ.संजय दानी
▪️ विद्या गुप्ता
▪️ जागृति मिश्रा रानी
▪️ इरफ़ानुद्दीन इरफ़ान
▪️ डॉ.नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘ सब्र ‘
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