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शरद पूर्णिमा पर विशेष : ‘ अमृत झरते शरद पुन्नी के चंदा के किरन ले ‘ – डॉ. नीलकंठ देवांगन
पुन्नी तो हर महीना आथे फेर शरद पुन्नी के बात कुछ औरे हे | येला रास पुन्नी, कोजगरी पुन्नी, कौमुदी पुन्नी, अश्विनी पुन्नी, क्वांर पुन्नी घलो कहिथें | ये रात के चंदा अउ ओखर अंजोर आदमी के जिनगी बर कतका खास हे, जानन 16 बिंदु मं ओखर महत्व ल—
1 लक्ष्मी के परगट होय के दिन— इही दिन समुद्र मंथन ले माता लक्ष्मी परगट होय रहीसे | तब ले चंदैनी रात मं खीर बनाय के लक्ष्मी अउ चंदा के पूजन कर भोग लगाके खीर खाय के परंपरा हे |
2 अमृत बरसथे शरद पुन्नी मं- मानता हे के शरद पुन्नी मं अमरित बरसथे | बरसात जइसे झर झर नइ बरसय, धीरे धीरे सीत संग मं गिरथे | इही मं नहाय मं तन मन दुनों निरोगी बनथे अउ दुख पीरा दूर होथे | केहे गेहे – पुन्नी के दुधिया परकाश मं रहना चाही, घूमना फिरना चाही | कुछ देर चंदा ल एकटक निहारना चाही | एखर ले आँखी के रोशनी बढ़थे | शरद पुन्नी के अंजोर के आनंद उठाना चाही | ओखर ले जुड़ के ओखर परभाव ल महसूस करना चाही | चंदा के शीतल परकास ले भरे ये रात मन के व्यरथ अउ नकारात्मक भाव ल दूर करके अंतस मं कोमल संवेदना जगाथे |
3-चंदा धरती के सबसे पास- ये दिन चंदा धरती के सबले तीर मं होथे | ओखर तेज परकास भुइंया मं अउ रहव इया मन उपर परथे | येहा सेहत बर फायदामंद होथे |
4-चंदा अउ स्वास्थ्य- ये पुन्नी के चंदा तन मन दुनों बर लाभकारी हे | येखर परकास ले पित्त, प्यास अउ दाह जलन दूर होथे | दसेरा ले पुन्नी तक कुछ देर चांदनी मं रहना चाही | बैद मन जड़ी बूटी ले औषधि पुन्नी के अंजोर मं बनाथें जउन ह रोगी मन ल बहुत लाभ पहुंचाथे | हल्का कपड़ा पहिर के अंजोरी रात मं घूमे ले जादा ऊर्जा मिलथे |
5- कृष्ण के रास लीला- शरद पुन्नी मं कृष्ण ह गोपी मन संग वृन्दावन मं रास अउ महारास रचाय रहीसे | येला रास पुन्नी घलो कहिथें | सब आनंद मं डूबे रहीन | आत्मा अउ परमात्मा के मिलन आनंद ही रास हे |
6- खीर बनाना खाना- शरद पुन्नी के रात मं घरो घर खीर बनथे | अधरतिहा चंदा अउ लक्ष्मी ल भोग लगा के परसाद लिये जाथे, खीर खाय जाथे | ये रात मं अमरित बरसथे | खीर बनाके छत मं चंदा के नीचे रख दिये जा थे | दूध मं लैक्टिक अम्ल अउ अमृत तत्व होथे | चंदा के किरन ह जादा मात्रा मं ऊर्जा के शोषन करथे | चांउर मं स्टार्च होथे | येखर सेती अवशोषन के परकिरिया तेज अउ आसान हो जथे | तभे खीर ल खुले आसमान मं बनाय अउ रखे के विधान हे | खीर ल चांदी के बरतन मं बनाय मं जादा फायदा हे | चांदी मं प्रतिरोधक क्षमता जादा होथे | येखर ले रोग के कीटाणु दूर होथे |
7- ब्रह्म कमल इही दिन खिलथे – देवी देवता मन ल सबले जादा प्रिय अउ पसंद फूल ब्रह्म कमल केवल इही दिन खिलथे |
8- रात जागरन – बिहिनिया नहा धोके पूजा करके व्रत के संकलप लेके भक्ति भाव मं दिन बिताना चाही | संझा घी के दीया जलाके रात कुन भगवान के भजन कीर्तन करत जागना चाही | चंदैनी रात मं खीर बना के परसाद लेना चाही | माता लक्ष्मी हाथ मं वर अउ अभय लेके रात मं किंजरथे | जवून रात जाग के ओखर पूजन सुमिरन करथें, ओला धन संपत्ति यश सौभाग्य के वरदान देथे | ये रात मं अमरित झरथे | अमृत पाय खातिर जागना चाही |
9- चंदा सोला कला संपूरन – बारा महीना के बारा पुन्नी ले शरद पुन्नी खास होथे | ये रात मं पुन्नी अपन सोला कला के साथ उथे | धरती के सबसे पास होथे | जादा प्रकाशवान होथे |
10- कार्तिक नहाय के शुरुआत- कातिक के वरत शरद पुन्नी ले ही शुरू होथे | पूरा कातिक महीना भिनसरहा नहाय के बड़ महत्व हे | इही ह राधा दामोदर पूजन वरत धारन करे के दिन हे |
11- शिव पार्वती कार्तिकेय पूजा- ये दिन शिव पार्वती कार्तिकेय के पूजा करे जाथे , आशीर्वाद ले जाथे |
12- घर मं साफ सफाई- ये दिन घर ल साफ रखैं | गंदा न करैं | लरई झगरा न करैं | कखरो अपमान न करैं | मांस मदिरा के सेवन न करैं |
13- वैज्ञानिक पक्ष- इही दिन ले मौसम मं परिवर्तन सीत ऋतु शुरू होथे | खीर खाय के वैज्ञानिक कारन हे- अब ठंड के मौसम शुरू होवथे, गरम खांय, ऊर्जावान बनयं |
14- चिकित्सकीय महत्व- चंदा ल मन के स्वामी माने जाथे | ये दिन चंदा धरती के पास होथे | तन मन दुनों ल शीतल करथे , मन ल शुकून देथे, शांत करथे |
15- मां लक्ष्मी के किरपा पाय के मौका- आदमी जिनगी मं सुख शांति खुशी संपत्ति चाहथे | मां लक्ष्मी ये दिन वरत करइया ऊपर किरपा बरसा के सुखी संपन्न बना देथे |
16- पूजन विधि अउ कथा- बिहिनिया नहा धो के अपन आराध्य के पूजा करैं |उपास रहैं | कथा सुनयं | रात मं गाय के दूध ले बने खीर मं मिश्री डारके जब चंदा आकाश के बीच स्थित होवय, ओखर अउ लक्ष्मी के पूजा कर खीर के भोग लगावैं, परसाद पावैं | खीर के बरतन ल खुले चांदनी मं रखके दूसर दिन नहा के पूजा पाठ करके खांय |
कथा- एक साहूकार के दू बेटी शरद पुन्नी के वरत करयं | बड़े ह नियम से त छोटे ह आधा अधूरा | तेखर सेती छोटे के लइका होवय अउ मर जाय | एक साल बड़े के पुन्न परताप ले छोटे के मरे लइका जिंदा होगे | बात पूरा शहर मं बगर गे | सबो विधि विधान ले पुन्नी के वरत करन लगिन | छोटे घलो नियम धरम ले वरत करिस | | संतान सुख पाईस |
शरद पुन्नी कवि मन बर खास होथे | धरती गगन सबो मगन रथे | उहू मन कल्पना के पंख लगाके भाव आकाश मं ऊंची उड़ान भरथें|
हमू मन शरदोत्सव के रंग मं रंग जावन |
•डॉ. नीलकंठ देवांगन
•संपर्क : 8435552828
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