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भिलाई : हिंदी – बांग्ला के राष्ट्रीय कवि व नाट्यकार प्रकाश चंद्र मण्डल की तीसरी बांग्ला कविता संग्रह ‘ आमाके उन्मुक्त करो ‘ का विमोचन : पुस्तक विमोचन समारोह में तमाम साहित्यकार शामिल हुए
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास न्यूज़] : 26 अक्टूबर को ‘ मुक्तकंठ साहित्य समिति ‘ , ‘ बंगीय साहित्य संस्था ‘ और ‘ बंगीय कृष्टि परिषद ‘ के संयुक्त तत्वावधान में ‘ बंगीय कृष्टि परिषद ‘ के सभागार में बांग्ला व हिंदी के राष्ट्रीय कवि, नाट्यकार प्रकाश चंद्र मण्डल की चौथी काव्य संग्रह आमाके उन्मुक्त करो [बांग्ला संग्रह] का विमोचन किया गया.
{ विमोचन के अवसर पर – बाएँ से : गोविंद पाल, ओम ओमप्रकाश शर्मा,प्रकाशचंद्र मण्डल, तापस दासगुप्ता, नरेंद्र सिक्केवाल, बाणी चक्रवर्ती, प्रदीप भट्टाचार्य ]
विमोचन समारोह के मुख्य अतिथि भिलाई इस्पात संयंत्र में मुख्य महाप्रबंधक [आयरन] तापस कुमार दासगुप्ता थे.
कार्यक्रम की अध्यक्षता ‘ बंगीय साहित्य संस्था ‘ की अध्यक्षा व बांग्ला की ख्यतिलब्ध कवयित्री श्रीमती बाणी चक्रवर्ती ने की.
कार्यक्रम में अन्य विशिष्ठ अतिथि रहे- पुलिस अधीक्षक [सीआईडी] नरेंद्र सिक्केवाल, अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद [छत्तीसगढ़ राज्य] के अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा और ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ [प्रिंट राष्ट्रीय मासिक पत्रिका एवं वेब पोर्टल] के संपादक प्रदीप भट्टाचार्य.
कार्यक्रम का संचालन ‘ मुक्तकंठ साहित्य समिति ‘ के अध्यक्ष व राष्ट्रीय कवि गोविंद पाल ने की.
[ संचालन करते हुए गोविंद पाल ]
प्रारंभ में हाल में दिवंगत लेखकों और साहित्यकारों को दो मिनट का मौनधारण कर आत्माओं की शांति के लिए विनम्र श्रद्धांजलि दी गई. माँ सरस्वती की मूर्ति पर माल्यार्पण अतिथियों द्वारा किया गया और दीप प्रज्ज्वलित कर पूजा अर्चना की गई. सभी अतिथियों का स्वागत और सभागार में उपस्थित गणमान्य लोगों का पुष्पगुच्छ, शॉल और अंगवस्त्र से कृतिकार प्रकाश चंद्र मण्डल और उनके परिवार से उनकी पत्नी श्रीमती सुमिता
मण्डल, पुत्री कु. प्रियंका मण्डल पुत्र अनुभव मण्डल ने सम्मानित किया.
काव्य संग्रह विमोचन के पूर्व छत्तीसगढ़ के किशोर कुमार के नाम से प्रसिद्ध गायक देवव्रत राय ने ‘ हवा मेघ सराए… ओ हंसनी… वो शाम कुछ अजीब थी… ‘ गीत गाकर शमा बाँधा.
प्रकाश चंद्र मण्डल की कृति बांग्ला कविता संग्रह ‘ आमाके उन्मुक्त करो ‘ के विमोचन पश्चात कृतिकार ने संग्रह में प्रकाशित रचना ‘ आमाके उन्मुक्त करो…, जीबोनेर किछु कोथा आमाय पि छु डाके…, माटी…, खूंडे शोब्देर खोज करी… और दांड़ाओ पथिक तुमी… ‘ का पाठ किया.
‘ बंगीय साहित्य संस्था ‘ द्वारा प्रकाशित ‘ मध्यबलय ‘ के संपादक दुलाल समाद्दार की अनुपस्थिति में, काव्य संग्रह में लिखित समीक्षा का पाठ कवि पुलिन बिहारी पाल ने वाचन किया.
[ ▪️ उद्बोधन अतिथिगण ]
▪️ उद्बोधन –
तापस दासगुप्ता ने कहा ऐसे आयोजन के लिए संयंत्र हमेशा
सहयोग करता रहेगा. उन्होंने कृतिकार को उनकी कृति ‘ आमाके उन्मुक्त करो ‘ के लिए बधाई दी.
श्रीमती बाणी चक्रवर्ती ने अध्यक्षता उद्बोधन में कृतिकार की कविताओं की टिप्पणी की और उनकी एक – दो कविता का बांग्ला से हिंदी अनुवाद करके पाठ भी किया.
नरेंद्र सिक्केवाल ने कहा किसी भी भाषा में लिखित रचना का सम्मान किया जाना चाहिए. उन्होंने कृतिकार को बधाई देते हुए बोले कि ‘ आमाके उन्मुक्त करो ‘ का आने वाले दिनों में हिंदी रूपांतर कर प्रकाशित किया जाए तो अधिक से अधिक पाठकों तक ये पढ़ा जायेगा. नरेंद्र जी ने अपनी एक लिखित कविता को भी पढ़ कर सुनाया.
ओमप्रकाश शर्मा ने ‘ उन्मुक्त ‘ शब्द को बहुत ही सारगर्भित रूप से व्याख्या करते हुए कहा कि ‘ उन्मुक्त ‘ होने के पहले हमें ईश्वर को समझना होगा. ईश्वर ने रचनाकार को नामित करके भेजा है. यहाँ हम सब बैठे हैं, मगर सब रचना की सृष्टि नहीं कर सकते. कुछ ही लोग कविता से अपना भाव प्रदर्शित कर सकते हैं, उनमें से एक हैं प्रकाश चंद्र मण्डल. मैं उन्हें बहुत- बहुत बधाई देता हूँ.
प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा –
प्रकाश चंद्र मण्डल की साहित्यिक यात्रा लगभग 45 वर्षों की है. 15 वर्ष के जब वे थे, तब 1977 को पहली कविता लिखी थी. 2019 में उनकी पहली बांग्ला काव्य संग्रह ‘ तुमी ऐले ताई ‘ आई. उसके बाद दूसरी काव्य संग्रह ‘ एक फालीर रोदुर ‘[बांग्ला काव्य संग्रह] और ‘ शब्दों की खोज में ‘ [हिंदी कविता संग्रह].ये चौथी काव्य संग्रह ‘ आमाके उन्मुक्त करो ‘ बांग्ला में हिंदी अनुवाद है ‘ मुझे उन्मुक्त करो ‘. उनकी काव्य संग्रह पर अपनी बात में बोले – प्रकाश चंद्र मण्डल कविताओं में जीवन से जुड़े छोटे – छोटे प्रसंगों को व्यापक संदर्भों से जोड़कर देखने वाले कवि लगते हैं मुझे. मैं उनकी कृति पर शुभकामनाएं और बधाई देता हूँ.
[ ▪️ अतिथियों का सम्मान ]
▪️ कृतिकार को उत्साहवर्धन करने उपस्थित प्रमुखजन –
‘ बंगीय साहित्य संस्था ‘ की उप सभापति व बांग्ला लेखिका श्रीमती स्मृति दत्ता, हास्यव्यंग्य के अखिल भारतीय कवि गजराज दास महंत, रविंद्रसंगीत में मर्मज्ञ विश्वजीत सरकार, मऊ राय, ‘ साहित्य सृजन परिषद ‘ के अध्यक्ष एन एल मौर्य ‘ प्रीतम ‘ , सचिव एन के कुशवाहा ‘ अंजन ‘, ‘ छत्तीसगढ़ आसपास ‘ प्रिंट व वेब पोर्टल की प्रधान संपादक श्रीमती शेफाली भट्टाचार्य, शायर डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘ सब्र ‘, गजलकार हाजी रियाज खान गौहर, अंशु शर्मा, समाजसेवी सुबीर राय, रतन सरकार गोविंद बर्मन, ‘ हिंदू मिलन मंदिर ‘ के पंडित वासुदेब भट्टाचार्य, ‘ बंगीय कृष्टि परिषद ‘ के तड़ित मजूमदार, पुलक सेनगुप्ता, सुदीप बिस्वास, रथीन संदीप मल्लीक,
बिप्लब मजूमदार, कल्याण देब, श्रीमती दीपा गोविंद पाल, श्रीमती कोचिता पाल, गीता बर्मन, राजू राव, नवनीत, आदित्य, हितेश, अनुराग, रूपाली, पूजा, राखी दास, सुशांत पोद्दार और समाज के अनेक रुचिकर गणमान्य लोग.
[ • दीपेंद्र हालदार और प्रकाश चंद्र मण्डल ]
▪️ आभार व्यक्त –
अंत में चर्चित गायक दीपेंद्र हालदार ने गायक भूपेंद्र हाजारिका के एक सुमधुर गीत ‘ दिल ढुंढता है… ‘ की प्रस्तुति के साथ ‘ आमाके उन्मुक्त करो ‘ विमोचन समारोह के साक्षी बनने के लिए सभागार में उपस्थित सुधिजनों और मंचासीन अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया.
{ •रिपोर्ट डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘ सब्र ‘ }
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