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विशेष : ‘ एक दिन गुजारिए मोर रयपुरा में – श्रीमती वर्षा ठाकुर
आपका मन सुबह सुबह किसी हरी-भरी वादी में सैर करना चाहता है । क्या आपको लगता है भाग-दौड़ भरी जिंदगी से दूर किसी खूबसूरत जगह में दोस्तों के साथ मौज-मस्ती के पल बिताया जाए ? या जीवन-साथी के साथ कुछ सुकून के मीठे पल व्यतीत करने का मन हो रहा है । — बच्चे झूला झूलने के लिए मचल रहे हैं ।उन्मुक्त गगन में खेलना चाहते हैं —– सेहत बनाने के लिए जिम जाना चाहते हैं ??
घर पर पत्नी को खाना बनाने का मन नहीं है, किसी खूबसूरत जगह जहाँ नदी का किनारा हो , मन्द शीतल समीर के संग फूलों की खुशबू हो ,हरी-भरी वादी के बीच लज़ीज भोजन से सजी थाली हो , पति के साथ डिनर करने की चाहत हो ।
चाहते तो हैं ! !!!!पर क्या करें !!!!!! इन सबके लिए जेब बहुत ढ़ीला करना पड़ता है ।
अरे मन को मत मरिए चलिए आपको ऐसी खूबसूरत वादी में ले चलते हैं । जेब भी ढ़ीला नहीं होगा या बहुत कम ढ़ीला होगा और मुराद भी पूरी हो जाएगी । तो ऐसे ही खूबसूरत वादी की सभी तस्वीर को देखिए —–
तस्वीरों को देखकर आप सोच रहें होंगे कि ये कोई पहाड़ी स्थान हैं और मन ही मन रोमांचित हो रहे होंगें । आपका दिल इस खूबसूरत जगह में जाने के लिए मचल रहा होगा । उफनती नदी पर लटकते ब्रिज को देखकर मन सोच रहा होगा ये लन्दन ब्रिज या ऋषिकेश का लक्ष्मण-झूला या और कुछ ? दिमाग़ पर जोर पड़ रहा होगा । आखिर ये है कौन सा स्थान ?
वैसे मैं बता दूं ये न पहाड़ी स्थान है ,न लन्दन ब्रिज है , न ऋषिकेश का प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला ।
बूझिए ये खूबसूरत स्थान है कहाँ ????
चलिए आप नहीं बता पा रहें है तो आपकी कशमकश को दूर कर देते हैं ।
ये खूबसूरत जगह है —#मोर_रईपुर —- याने कि हमारे खूबसूरत राज्य *छत्तीसगढ़ की खूबसूरत राजधानी *रायपुर है ।
रायपुर का ये खूबसूरत स्थान है रायपुर के अंतिम छोर पर खारुन नदी के तट का जो कभी #रयपुरा-गाँव के नाम से जाना जाता था । यह गाँव मूलतः कुम्हारों की छोटी सी बस्ती । जो कि कच्ची मिट्टी को खूबसूरत आकर देकर अपना जीविकोपार्जन करते हैं । आज भी यहाँ इनका अस्तित्व है ।रयपुरा शुरू होते ही सड़क के दोनों किनारे मिट्टी के विविध आकार प्रकार के खिलौने , घड़े , गमले ,सजावट के समान से सजे दुकान शुरू हो जाते हैं । चाक मिट्टी पर कलाकारी करते कलाकार से साक्षात्कार हो जाएगा ।
इस गाँव में सब्जी-भाजी भी खूब उगाया जाता था । रायपुर और आस-पास के क्षेत्रों में अधिकांश साग-सब्जी की पूर्ति यहीं से होती थी ।आज भी यहाँ की सब्जी के स्वाद का कोई मुकाबला नहीं है । यहाँ की सब्जी में खारुन की महक समायी है ।
यह गाँव आध्यात्मिक स्थली भी है यहीं प्रसिद्ध #हटकेश्वर महादेव का मंदिर है ।यहाँ प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन भव्य मेला लगता है ।
चन्द्र ग्रहण ,सूर्य ग्रहण ,पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन नदी में स्नान कर दीप-दान ,अन्न धन दान कर पुण्य लाभ लेते हैं और आध्यात्मिक सुख प्राप्त करते हैं ।
आज ये गाँव नगरीकरण के विकास क्रम से प्रभावित हो रायपुर शहर में समाहित हो गया है ।परंतु आज भी इसकी ऐतिहासिक ,सांस्कृतिक ,सामाजिक ,आध्यात्मिक पहचान बनी हुई है ।
आज यह क्षेत्र एक खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो गया है ।खारुन नदी पर बना #लक्ष्मण-झूला और उससे संलग्न मनोरम उद्यान ने इसकी भव्यता को बढ़ा दिया है ।
लक्ष्मण झूला पर चढ़कर नदी के मनमोहक धार को घण्टों निहार सकते है पर आँख नहीं थकेंगी । इस पुल से आस-पास का नज़ारा देखते ही बनता है ।शाम का समय हो तो और क्या
कहना – ठंडी पूर्वया , नीचे कलकल करती नदी , उसमें नौकायान
करते लोग ,नदी में दीपदान करते आध्यात्मिक साधना , पूजा की घण्टी की मधुर ध्वनि आसमान में एक तरफ डूबते सूर्य की लालिमा से रंगा आसमान ,दूसरी ओर अपनी कोमल मीठी रोशनी बिखरने बेताब चाँद , विद्युत की रोशनी में नहाया शहर देखते ही बनता है ।
लक्ष्मण-झूला की खासियत इसमें आने जाने के अलग -अलग रास्ते । इस झूले के सहारे नदी के आर-पार जाने का मज़ा । इसके एक ओर हटकेश्वर महादेव का भव्य ऐतिहासिक मंदिर इसके साथ ही काली माता ,सन्तोषी माता , नवग्रह , राधा-कृष्ण , का मंदिर ।
दूसरी ओर पुल समाप्त होते ही नदी के किनारे-किनारे मनोरम उद्यान का सिलसिला शुरू हो जाता है । उद्यान में चलते जाओ ,चलते जाओ समाप्त होने का नाम ही नहीं लेता । दूसरा छोर दिखता ही नहीं । यह सिर्फ उद्यान नहीं कई जरूरतों को पूरा करने वाला बहुउद्देशीय उद्यान है ।
पुल से उतरते ही उद्यान आरम्भ हो जाता है ।उद्यान में जाने के लिए प्रवेश द्वार पर टिकिट लेना होगा ।घबराइए नहीं टिकट निःशुल्क मिलेगा । आगे विशालकाय शक्तिशाली सौष्ठव प्रदर्शित करता पुरुष मूर्ति दूसरी ओर बहुत बड़ा शंख ,फिर गुफा का द्वार ,बड़ी बड़ी मछलियाँ आगे झालरदार पत्तियों से सजा हरा-भरा खूबसूरत मंडप ।सुंदर- सुंदर रंग-बिरंगे हँसते-मुस्कुराते खुशबू बिखेरते मनमोहक फूल , बड़े बड़े दरख्त संग संग चलती कलकल करती खारुन नदी ,कुछ आगे अठखेलियाँ करती जलपरियाँ , झरझर बहते झरने , कसरत करने का मन करे तो बढ़िया जिमखाना , झूलने का मन है तो झूला ,बच्चे मचल रहे हैं तो उनके लिए अलग तरह के झूले ,साथी के साथ बैठकर प्यार का इज़हार करने हो तो हरी हरी घास से सजा मैदान , प्रवाह मान नदी को निहारना हो तो बैठने के लिए नदी किनारे साफ-सुथरी सीढ़ी ,चलते चलते घूमते घूमते थक गए और चाय या कॉफी पीने का मन हो भूख लगी हो तो बढ़िया कैफेटेरिया ,बीच बीच में सुरीली आवाज़ गूँजते रहती है जो उद्यान के सम्बंध में जानकारी देते रहती है ।
हाँ एक बात है पेड़ पत्तियों या किसी मूर्ति को छेड़-छाड़ करने या अन्य किसी किसम की शैतानी करने की कोशिश न करिए आप पर सुरक्षा गार्ड के साथ साथ सी सी कैमरे हर जगह नज़र रखे हुए मिलेगा । घबराइए नहीं ये खलल नहीं डालेगा आपकी भी रक्षा करेगा।
एक बात बताना भूल गयी नौकाविहार का मज़ा लेना चाहें तो वह भी बहुत कम खर्च पर उपलब्ध है ।
यदि आप लेखक ,कवि , कहानीकार ,चित्रकार या कोई और कलाकार हैं तो आपके लिए अवसर ही अवसर ।
अध्यात्म की ओर जाना चाहे तो साधना के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर शिव जी के चरणों में शांत वातावरण ।
एक और अद्भुत नज़ारा देखना न भूलिए । काली माँ के प्रांगण में एकता और प्यार का संदेश देते एक दूसरे से लिपटे नीम ,बरगद ,पीपल के बहुत पुराने वृक्ष , इनके तनें किधर से निकले जड़ किस ओर जानना मुश्किल ।
आध्यात्मिक और प्रकृतिक ऊर्जा से भरपूर इस सुरम्य क्षेत्र में एक दिन जरूर गुजारिए।
•श्रीमती वर्षा ठाकुर
[ वर्षा जी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जुनवानी भिलाई छत्तीसगढ़ में प्राचार्य के पद पर पदस्थ हैं.
•संपर्क : 79748 76740 ]
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