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समीक्षा : कहानी – ‘ पिंजरा के चिरई ‘ लेखक – चंद्रहास साहू : •समीक्षक – ओमप्रकाश साहू ‘ अंकुर ‘
छत्तीसगढ़ी साहित्य ह अब्बड़ समृद्ध हे. छत्तीसगढ़ी म पद्य जादा लिखे गे हावय. पर अब गद्य विधा म घलो सरलग लेखन चलत हे.कहानी, व्यंग्य, उपन्यास, एकांकी,संस्मरण, चिट्ठी लेखन, रिपोर्ताज, समीक्षा ले छत्तीसगढ़ी साहित्य के ढाबा ह लबालब छलकत हे. छत्तीसगढ़ी म कहानी के बात करथन त
चंद्रहास साहू छत्तीसगढ़ी साहित्य के एक पोठ कहानीकार हे. भले अभी उम्र म छोटे हे पर अपन कहानी के माध्यम ले अपन एक अलगे पहिचान बनाय म सफल होहे.
चंद्रहास साहू के सबो कहानी ह दमदार रहिथे अउ अपन कहानी के माध्यम ले एक सुघ्घर संदेश देथे. अइसने ” पिंजरा के चिरई” कहानी म देखे ल मिलथे. ये कहानी”स्त्री विमर्श” के सुघ्घर उदाहरण हे.
आज हमर बेटी – माई मन सबो कोति आगू बढ़त हावय. सुघ्घर पढ़ई- लिखई करके खुद के संगे संग परिवार, समाज,जिला, प्रदेस अउ देस के नांव ल रोसन करत हावय. प्रतियोगी परीक्षा म अब्बड़ मिहनत करके बड़का पद म पहुंचत हे. अब तो नोनी मन अपन प्रतिभा ले कतको क्षेत्र म बाबू मन ल पाछु छोड़त हे.
“पिंजरा के चिरई” कहानी म मुख्य पात्र गंगा एक गरीब घर के बेटी आय. वोहा पढ़ई – लिखई म अब्बड़ हुसियार अउ व्यवहार शील लईका आय . सब कक्षा म अव्वल आथे. बारहवीं कक्षा पास होय के बाद गंगा के ददा ह कहिथे कि अब मंय ह तोला इंजिनियरिंग कालेज नइ पढ़ा सकंव बेटी. गरीब होना सबले बड़का पाप हरे.ये जगह के मार्मिक चित्रण कहानीकार ह करे हावय. आगू बढ़े के सपना देखे बर गंगा ह अपन ददा -दाई कर कइसे कलपथे. तहां ले दाई ह गंगा ल आगू बढ़ाय बर हामी भरथे. फेर गंगा ल इंजिनियरिंग पढ़ाय बर बइला अउ गाड़ी ल बेचे के दृश्य ह पाठक मन ल झकझोर के रख देथे. आंखी ले आंसू बोहा जाथे.
कालेज म गंगा के अब्बड़ मिहनत के संगे संग
उंकर सहेली मन के बेवहार के वर्णन के सजीव चित्रण करे गे हावय कि कइसे कतको नोनी मन सहर म जाके अपन खान -पान अउ बेवहार ल बिगाड़ डारथे. पर गंगा ह कालेज म घलो अपन संस्कार ल नइ भुलय. जउन उद्देश्य ल लेके इंजीनियरिंग के पढ़ई करत हे वोकर सदा धियान रखिन अउ अब्बड़ मिहनत करके अव्वल नंबर म परीक्षा पास करिन. गंगा के कालेज पढ़ के गांव म आना अउ अपन बेवहार ले सब झन ल प्रभावित करे के बात ल उकेरे गे हावय.
फेर कहानी म टर्निंग पाइंट आथे बिहाव के बाद. वोकर गोसइया राहुल खुद इंजिनियरिंग कॉलेज म प्राध्यापक हावय. बिहाव के समय राहुल ह वादा करे रिहिस कि गंगा के योग्यता के मान राखे जाही. वोला नौकरी करवाबो कहे रिहिस. पर ये का राहुल ह तो गंगा के सबो सपना के छर्री -दर्री कर दिस अउ गंगा ह पिंजरा के चिरई बन के रहिगे जेहा मन से न पिंजरा ले निकल सकय न उड़ सकय. धंधाय रहिगे पिंजरा म. आजो गंगा असन न जाने कतको गंगा ले वोकर गोसइया अउ ससुर- सास मन बिहाव होत ले आगू बढ़ाय के हामी भरे रहिथे तहां ले धीरे ले पिंजरा के चिरई कस धांध के राख देथे अउ गंगा मन के सबो सपना ह टूट जाथे.! अपन वादा ल भुलके गोसईया अउ ससुराल कोति के मन कहिथे कि तोला नौकरी करे के का सउंक पड़ गे हावय. तोर सब जरूरत ह तो हमर नौकरी / धंधा -पानी ले पूरा होवत हे कि नइ.कोनो कमी हे त बता! कतको झन मन ह कतको गंगा मन के नौकरी लगे रहिथे तहू ल छोड़ा के पिंजरा के चिरई कस धांध के रखना चाहथे. वोकर सबो प्रतिभा ल मुरकेट के रख देथे.कतको सास म अपन पढ़े लिखे बहू के आगू बढ़ई ल पचा नइ पाये. अपन दिन ल याद दिलाथे कि कइसे हमन आधा- एक किलोमीटर ले बोरिंग – कुवां ले पानी डोहारन. बहू ह भले महीना म बीस- तीस, चालीस – पचास हजार कमा के लाय तभो ले वोकर घर म हीनमान होथे. बहू ल ड्यूटी जाय म भले देरी हो जाय पर वोहा अपन खुद के पइसा ले घलोक घर के काम – काज बर काम वाले बाई नइ रख सकय. कतको नौकरी वाले गंगा मन के एटीएम ह वोकर पास नइ राहय. वोहर घर वाले मन बर खुद एटीएम बन जाय रहिथे. वोकर पैसा ल निकाले के बाद घलो नइ बताय कि पइसा के उपयोग का काम म करे जाही. पूछही त नंगत ले गाली खाही.
पर चंद्रहास साहू के गंगा ह अपन अधिकार बर जोम दे देथे. सास ससुर के अब्बड़ सेवा घलो करथे तेकर सेति वोला सास ससुर मन वोला बेटी बरोबर मानथे. गंगा के बने बेवहार ह वोला आगू बढ़े म मदद करथे. वोकर सास ससुर मन अपन लड़का राहुल ल वोकर बेवहार बर फटकारथे अउ अपन बहू गंगा ल नौकरी करे बर भेजथे. राहुल के आंखी ल खोलथे कि बेटा अपन वादा ल झन भुला.
ये मामला म चंद्रहास साहू जी के गंगा ह अब्बड़ भाग्यशाली हावय. नि ते गोसईया , सास -ससुर के कतको सेवा करय लेय गंगा मन. पर वोला आगू बढ़ाय बर उंकर मन के कान म जुआं नइ रेंगे. अउ बिहाव के बेरा के अपन वादा ल नेता मन कस भुला जाथे!
एक धारदार अउ सीखपरक कहानी हे ” पिंजरा के चिरई” ह. पात्र के हिसाब ले सुघ्घर भाषा के प्रयोग करे गे हावय. कहानी के शैली सरल,सहज अउ प्रवाहमयी हे. बोलचाल के अंग्रेजी शब्द मन के प्रयोग करे गे हावय. घर,कालेज अउ आफिस के सजीव चित्रण देखे ल मिलथे. एक बढ़िया अउ संदेशपरक कहानी बर कहानीकार चंद्रहास साहू ल गाड़ा – गाड़ा बधाई अउ शुभ कामना हे.
•संपर्क –
•79746 66840
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