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छत्तीसगढ़ी राज्य भाषा दिवस म विशेष : छत्तीसगढ़ी के दशा अउ दिशा – ओमप्रकाश साहू ‘ अंकुर ‘
छत्तीसगढ़ देस के 26 वां राज्य हरे. छत्तीसगढ़ ह 1 नवम्बर म नवा राज्य के रूप सामने आइस.
इहां के राज्य गीत ‘अरपा पैरी के धार…’ हे. येकर रचयिता डा. नरेंद्र देव वर्मा हरे. राजकीय पशु वन भैंसा, राजकीय पक्षी बस्तर के पहाड़ी मैना, राजकीय वृक्ष साल या सरई, राजकीय फूल गोंदा ( गेंदा)अउ प्रमुख भाषा छत्तीसगढ़ी हरे. इहां के अभी राजभाषा हिंदी हे. छत्तीसगढ़ी राजभाषा बने खातिर आठवीं अनुसूची म सामिल होय बर अगोरा करत हे. इहां के रहवासी मन येकर बर अपन अपन तरीका ले उदिम करत हे. छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग घलो बने हावय.
कतको इतिहासकार मन के मत हे कि हमर छत्तीसगढ भगवान श्री रामचंद्र के माता कौशल्या के मईके हरे. छत्तीसगढ़ के पुराना नांव कोसल रिहिस अउ इहां के भाषा ल कोसली कहे जाय.कौशल्या के नांव भानुमति रिहिस जउन ह दक्षिण कौशल के महाप्रतापी राजा भानुमनत के बेटी रिहिन. अयोध्या के राजा दशरथ के महारानी भानुमति कौशल प्रदेश के होय के कारन आगू चलके कौशल्या कहलाइस. आदिकाल म छत्तीसगढ़ महाकौशल नांव ले प्रसिद्ध रहे हे. श्रीराम के जनम भले अयोध्या म होय हे पर कर्मभूमि छत्तीसगढ़ रहे हे. श्रीराम के ननिहाल दक्षिण कौशल म चंदखुरी (आरंग) हरे. बाल्मिकी द्वारा रचित रामायण के अनुसार सूर्यवंशी श्री राम अपन वनवास काल म लगभग बारह बछर तक इही छत्तीसगढ़ (सिहावा) राज्य म वो समय के सप्तऋषि क्षेत्र म बिताय रिहिन.
हैदरअली अउ रत्नदेव के बाद पृथ्वी देव,जाजल्व देव चेदीवंशीय राजा मन कोसल प्रदेश म ३६ किले (गढ़) बनवाइस.येकर अलावा गोंड राजा मन घलो गढ़ बनवाइस.चेदीवंशी राजा मन के कारन ये राज के नांव चेदीसगढ़ रखे गिस जो आगू चलके छत्तीसगढ़ कहलाइस. तेकर सेति इहां के कोसली भाषा ह घलो छत्तीसगढ़ी कहलाय लागिस. छत्तीसगढ़ी अब्बड़ पुराना भाषा आय .राज्याश्रय नइ मिल पाय के कारन छत्तीसगढ़ी के लीखित रुप विकसित नइ हो पाईस.पर इहां के जन जीवन म ये भाषा ह मौखिक रूप ले बराबर फूल -फरत अउ बाढ़त रिहिस.अउ आजो छत्तीसगढ़ राज बने तेवीस बछर पूरा होगे पर सही ढंग ले राज्याश्रय नइ मिल पाय के कारन संविधान के आठवीं अनुसूची म शामिल नइ हो पात हे.
आज छत्तीसगढ़ राज्य बने 23 बछर होगे. अलगे छत्तीसगढ़ के मांग अंग्रेज शासन के समय ले करे जात रिहिन हे. हमर छत्तीसगढ ह मध्यप्रदेश के 44 बछर तक हिस्सा रिहिन.
अलगे छत्तीसगढ़ राज बर हमर पुरखा मन अब्बड़ लड़ाई लड़िन हे. राजनीति दल, राजनीतिज्ञ के संगे -संग हमर छत्तीसगढ के साहित्यकार, कलाकार, पत्रकार अउ मजदूर, किसान मन के गजब सुग्घर योगदान हे. ये बने बात हे कि छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन म कोनो किसम के खून- खराबा, सरकारी संपत्ति ल नुकसान नइ पहुंचाय गिस. ये हमर छत्तीसगढ के बड़का उपलब्धि हरे.आप सब ल मालूम हे कि
आने राज बने म नंगत खून खराबा होय हे.
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना म इहां के साहित्यकार अउ कलाकार मन के गजब सुग्घर योगदान हे.
कोनो भी देश अउ राज्य के पहिचान उहां के भाषा के माध्यम ले होथे.अपन स्वाभिमान, अतीत के गौरव, संस्कृति के रक्षा अउ विकास बर अपन मातृभाषा सबले बड़का माध्यम होथे. वइसने छत्तीसगढ़ी छत्तीसगढ़ के आत्मा हरे. हमर छत्तीसगढ़ी ह आठवीं अनुसूची म शामिल होय बर लड़त हे.
धनी धर्मदास – संत धर्मदास संत कबीर के शिष्य रिहिन. उंकर जनम सन १३९५ म कसौदा गांव , बाधोगढ़,के वैश्य परिवार म होय रिहिन हे. उन्कर कर्म क्षेत्र छत्तीसगढ़ रिहिन. बांधो गढ़ पहिली छत्तीसगढ़ म रहिस हे.१४५२ म वो सत्यलोक प्रयान करिन. हेमनाथ यदु जी ह धर्मदास ल छत्तीसगढ़ी के पहिली कवि मानथे. वोहर कवर्धा (कबीरधाम) म कबीर पंथ के स्थापना करिन. वोहर संत कबीर ले प्रेरित होके निर्गुन भक्ति के कतको पद के रचना छत्तीसगढ़ी भाषा म करिन. वोकर पद म हमला छत्तीसगढ़ी भाषा के पुराना रूप के दर्शन होथे. छत्तीसगढ़ी चौका गीत म धर्मदास के नांव के उल्लेख हे.ये ह लोकगीत अउ लोक भजन के रूप म गजब प्रसिद्ध हे. संत धर्मदास ह लोक गीत के सहज,सरल शैली म निगूढ़तम दार्शनिक भावना ल अभिव्यक्त करिन. धर्मदास के उद्देश्य साहित्य सृजन करना नइ रिहिस. वोहर
तो निर्गुन भक्ति के प्रचार के रूप म छत्तीसगढ़ी ले प्रभावित होके पद लिख के संतोस कर लेइस.
जमुनिया की डार मोरी टोर देव हो।
एक जमुनिया के चउदा डारा,सार शबद ले के मोड़ देव हो.
मोर हीरा गवां के कचरा में, कोई पूरब,कोई पछिमम बतावै, कोई बतावै है पानी पथरा में।
छत्तीसगढ़ के संस्कृति, साहित्य अउ धर्म परंरपरा के बढ़वार म संत धर्मदास के अब्बड़ योगदान हे.
दलपत राव – खैरागढ़ के राजा लक्ष्मी निधि राय के चारण कवि दलपतराव ह सबले पहिली छत्तीसगढ़ शब्द के प्रयोग १४९४ ई.म करे रिहिन.
सुंदर राव – देवी प्रसाद शर्मा,बच्चू जाजगीरी है खैरागढ़ के कवि सुंदर राव ल छत्तीसगढ़ी के पहिली कवि बताय हे. १६४६ म रचित उंकर कविता म छत्तीसगढ़ी के पुट कम दिखथे अउ अवधी के नजदीक जादा दिखथे.
गोपाल मिश्र और माखन मिश्र-
गोपाल मिश्र रतनपुर के हैहयवंशी राजा राज सिंह के राजकवि अउ दीवान रिहिन.राम नरेश त्रिपाठी ह उंकर जनम १६३३अउ
प्यारेलाल गुप्त ह १६३४ माने हे. उंकर रचना’ खूब तमाशा’ अब्बड़ प्रसिद्ध होइस.उंकर आखिरी अपूर्ण ग्रंथ ‘राम प्रताप’ ल वोकर सुयोग्य बेटा कवि माखन मिश्र ह
पूरा करिन. हरि ठाकुर के कहना हे कि गोपाल मिश्र एक महान कवि रिहिन पर वो मन अपन साहित्य के रचना छत्तीसगढ़ी म नइ करिन. येला छत्तीसगढ़ी के दुर्भाग्य ही कहे जा सकथे.
बाबू रेवा राम – बाबू रेवा राम बहुमुखी प्रतिभा के धनी रिहिन. वोकर जनम रतनपुर म सन् १८१३ म होय रिहिस. वोहर हिंदी, संस्कृत, ब्रजभाषा,अउ छत्तीसगढ़ी के बढ़िया जानकार रिहिन हे. संगे संग उर्दू अउ फारसी म घलो अधिकार रखे. हरि ठाकुर जी के अनुसार रेवाराम बाबू छत्तीसगढ़ी म कुछ भजन लिखा के थिरागे. समीक्षक अउ भाषाविद् डा. विनायक कुमार पाठक के कहना हे कि बाबू रेवा राम के रचना ‘सिंहासन बत्तीसी’ म छत्तीसगढ़ी के पुट देखे ल मिलथे.
प्रहलाद दुबे – सत्रहवीं शताब्दी म सारंगढ़ निवासी प्रहलाद दुबे के रचना ‘जय चंद्रिका ‘ म छत्तीसगढ़ी के प्रकृत रूप देखे ल मिलथे.
संत घासी दास – संत घासीदास के जनम छत्तीसगढ़ के गिरौदपुरी म होय रिहिस हे. सतनाम पंथ के संस्थापक संत घासी दास के उपदेश छत्तीसगढ़ी म लिखे गे हवय. उंकर रचना म संसारिक संबंध के असारता अउ ईश्वरीय कृपा के प्राप्ति के इच्छा ह झलकथे. ‘चल हंसा अमर लोक जइबो ‘ अउ ‘ खेलथे दिन चार मइहर मा ‘ जइसन पद येकर उदाहरण हे.
नरसिंह दास वैष्णव – समीक्षक डा.विनय कुमार पाठक ह जांजगीर जिले के गांव तुलसी निवासी नरसिंह दास वैष्णव ल छत्तीसगढ़ी के पहिली कवि मानथे. उंकर रचना शिवायन (१९०४)म आय रिहिस.
पंडित सुंदरलाल शर्मा – डा. नरेन्द्र देव वर्मा ह छत्तीसगढ़ी के प्रथम कवि चमसूर ( राजिम)निवासी, छत्तीसगढ़ के गांधी पंडित सुंदरलाल शर्मा ल मानथे.छत्तीसगढ़ी म
बड़का सृजन करइया वो पहिली रचनाकार रिहिन. १९०६ म प्रकाशित’ छत्तीसगढ़ी दान लीला ‘ अब्बड़ प्रसिद्ध होइस.येहा छत्तीसगढ़ी के पहिली प्रबंध काव्य माने जाथे. ये कृति ह हमर छत्तीसगढ के साहित्यकार मन ल छत्तीसगढ़ी म लिखे बर प्रेरित करिन. उंकर देहावसान २८ दिसंबर १९४०म होइस.
पं. लोचन प्रसाद पाण्डेय – नंद किशोर तिवारी जी ह पं.लोचन प्रसाद पाण्डेय ल छत्तीसगढ़ी के पहिली कवि बताय हे. अइसने दया शंकर शुक्ल ह घलो’ कविता कुसुम ‘ १९०८-०९ म प्रकाशित उंकर छत्तीसगढ़ी कविता ल छत्तीसगढ़ी के पहिली रचना माने हे.
हरि ठाकुर – सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर प्यारेलाल लाल सिंह जी के पुत्र, छत्तीसगढ़ी गीतकार हरि ठाकुर जी छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन ले 1956 ले जुड़ गे रिहिन. उंकर रचना म छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान झलकथे. छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर नारायण सिंह पर खण्ड काव्य अउ छत्तीसगढ़ी गीत अउ कविता लिख के छत्तीसगढ़िया मन के स्वाभिमान ल जगाइस. राजनांदगांव के विद्रोही कवि कुंज बिहारी चौबे जी के छत्तीसगढ़ी कविता मन के संपादक करिन.
डा.नरेंद्र देव वर्मा – छत्तीसगढ़ राज्य गीत -अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार… के रचयिता डा. नरेन्द्र देव वर्मा हरे. ये गीत ह छत्तीसगढ़वासी मन के स्वाभिमान ल जगाय के काम करिन. सोनहा बिहान के लेखक.
लक्ष्मण मस्तुरिया – दाऊ रामचंद्र देशमुख द्वारा स्थापित’ चंदैनी गोंदा’ बर गीत लिख के स्थापित होय लक्ष्मण मस्तुरिया जी के छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना म अब्बड़ योगदान हे. उंकर लिखे गीत – ‘मोर संग चलव रे’ अउ ‘मंय छत्तीसगढ़िया अंव रे’ ह अलग छत्तीसगढ़ राज्य के नेंव तइयार करिस.
संत कवि पवन दीवान – संत कवि पवन दीवान जी ह प्रवचन अउ कवि सम्मेलन के माध्यम ले अलगे छत्तीसगढ़ राज्य बर जनता मन ल जागरुक करिन. छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन म गजब योगदान दिस. दीवान जी के गीत ‘तोर धरती तोर माटी ‘ ले छत्तीसगढ़वासी मन म जागृति आइस.
गिरिवर दास वैष्णव – छत्तीसगढ़ सुराज गीत
डॉ निरुपमा शर्मा- डॉ निरुपमा शर्मा छत्तीसगढ़ी के प्रथम मंचीय कवयित्री माने जाथे . उंकर पतरेंगी रचना के अब्बड़ सोर होइस.
अइसने छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन म मुकुटधर पांडेय,द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र, बंशीधर पांडे ,सीताराम मिश्र , ,लखन लाल गुप्त, प्यारे लाल गुप्त, निरंजन लाल गुप्त,पालेश्वर शर्मा, अमृत लाल दुबे , कपिल नाथ कश्यप प्रणयन जी, कपिल नाथ मिश्र, सुकलाल प्रसाद पाण्डेय, शिवदास पाण्डेय,नारायण लाल परमार, भगवती लाल सेन, स्वर्ण कुमार साहू,चतुर्भुज देवांगन , रवि शंकर शुक्ल, पं. रामदयाल तिवारी,बद्रीविशाल परमानंद,हनुमंत नायडू कुंजबिहारी चौबे,, कोदू राम दलित, मेहत्तर राम साहू जी, डॉ.खूबचंद बघेल, केयूर भूषण, श्याम लाल चतुर्वेदी, दानेश्वर शर्मा, रामेश्वर वैष्णव, नंदकिशोर तिवारी, नंद किशोर शुक्ल, डॉक्टर परदेशी राम वर्मा, हरि ठाकुर, डा. विनय कुमार पाठक,डा.विमल कुमार पाठक, जागेश्वर प्रसाद ( छत्तीसगढ़ी सेवक के संपादक), डा. चित्तरंजन कर,सुशील यदु,बसंत दीवान, किसान दीवान,शिव शंकर शुक्ल, डा.बल्देव साव,डा. बिहारी लाल साहू,मंगत रवीन्द्र, जी. एस. रामपल्लीवार नूतन प्रसाद शर्मा ( गरीबा महाकाव्य),डॉ. बलदाऊ राम साहू,(बाल साहित्यकार, गजलकार, छत्तीसगढ़ी निबंध अउ आलेख – मोटरा संग मया नंदागे)रामेश्वर शर्मा, कृष्ण कुमार शर्मा,सीता राम मिश्र, विद्या भूषण मिश्र,विमल मिश्र,सीता राम मिश्र,मेदिनी प्रसाद पाण्डेय,लाला जगदलपुरी, हरिहर वैष्णव, देवी प्रसाद वर्मा,डा. नरेश कुमार वर्मा, नरेंद्र वर्मा, विश्वंभर यादव मरहा, डा. गोरे लाल चंदेल,डा. जीवन यदु, डा. देवधर महंत, संत राम साहू,विनय शरण सिंह, सुरेन्द्र दुबे,रामेश्वर वैष्णव, बंधु राजेश्वर खरे,डा.पीसी लाल यादव , आचार्य सरोज द्विवेदी, कुबेर सिंह साहू( छत्तीसगढ़ी कहानी संकलन- भोलापुर के कहानी2010, कहा नहीं 2011,निबंध, आलेख अउ संस्मरण- सुरति अउ सुरता (2021), महान रूसी कहानीकार अंतोन पाब्लाविच चेखव के कहानी के हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी अनुवाद), लोक कथा संग्रह -छत्तीसगढ़ी कथा कंथली, साकेत स्मारिका के संपादक) जे. आर. सोनी,
डा. दादू लाल जोशी( भारतीय ज्ञानपीठ ले पुरस्कृत चौदह भारतीय भाषा के कविता मन के छत्तीसगढ़ी अनुवाद) आनी बानी- ,मुकुंद कौशल, बसंत देशमुख, उधो राम झखमार , मीर अली मीर( कविता- नंदा जाही का रे), डा. अनिल भतपहरी, संजीव बक्शी, डा. माणिक विश्वकर्मा नवरंग,संजीव तिवारी, आरेख चंद्रकांत, अनंत राम पांडेय, दया शकर शुक्ल, शत्रुघन सिंह राजपूत ,हेमनाथ यदु, सुरजीत नवदीप ,गणेश सोनी प्रतीक, प्रभंजन शास्त्री,दशरथ लाल निषाद,दुर्गा प्रसाद पाकर ,सुशील भोले, कांशीपुरी कुंदन, चेतन भारती, गुलाल वर्मा , परमानंद वर्मा( उपन्यास- करौंदा),डॉक्टर सुखनंदन सिंह धुर्वे नंदन , कामेश्वर पांडेय, डा.दीनदयाल साहू , डा. सी. एल. साहू ( कहानी), डा. राजेंद्र सोनी ( छत्तीसगढ़ी के प्रथम लघु कथा संग्रह के लेखक, व्यंग्य -खोरबाहरा,तोला गांधी बनाबो), रमेश कुमार सोनी,भगत सिंह सोनी, डी. पी. देशमुख ( कला परंपरा के संपादक), प्रदीप कुमार दास” दीपक”, नवल दास मानिकपुरी, गिरवर दास मानिकपुरी, नरेश मानिकपुरी,बुधराम यादव,पुनू राम साहू राज, लतीफ खान गजलकार,डुमन लाल ध्रुव,प्यारेलाल देशमुख , गजपति साहू,संतराम निषाद,सीता राम साहू श्याम , डॉक्टर रामनाथ साहू, रामनाथ साहू, टिकेंद्र टिकरिहा, चंद्रशेखर चकोर,गजानंद देवांगन, हरिशंकर गजानंद देवांगन, वीरेंद्र साहू सरल, ध्रुव राम वर्मा, अरुण कुमार निगम, रमेश कुमार सिंह चौहान,मुरली चंद्राकर,प्रेम साइमन, चंद्रहास साहू, भोला राम सिन्हा गुरुजी, हीरा लाल साहू गुरूजी,दिनेश चौहान, राजेश चौहान, गया प्रसाद साहू, मुरारी साव, बसंत साव राघव, टिकेश्वर सिन्हा गब्दीवाला,चोवा राम वर्मा बादल, बलराम चंद्राकर, कन्हैया साहू अमित,बोधन राम निषाद, जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया, विजेन्द्र वर्मा, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर, द्वारिका प्रसाद लहरे,
पोखन लाल जायसवाल, अजय साहू अमृतांशु, मनी राम साहू मितान, जगदीश साहू हीरा, राम कुमार चंद्रवंशी, ज्ञानु मानिकपुरी,कमलेश शर्मा बाबू , मोहन निषाद मयारू,गैंद लाल साहू दीया, तिलोक साहू बनिहार, नंद कुमार साहू साकेत, कृष्ण कुमार चंद्रा,आत्मा राम कोशा अमात्य,राज कुमार चौधरी रौना( व्यंग्य संग्रह -का के बधाई, गजल संग्रह – पांखी काटे जाही)महेन्द्र कुमार बघेल मधु, श्रवण कुमार साहू,ओमप्रकाश साहू अंकुर ( काव्य संग्रह – जिनगी ल संवार -2008) लखन लाल साहू लहर ( काव्य संग्रह – मंय छत्तीसगढ़ तांव), गिरीश ठक्कर, फागू दास कोसले ( काव्य संग्रह – वाह रे जमाना), शिव प्रसाद लहरे ( काव्य संग्रह – सुनता के गांठी)अशोक पटेल, जयंत साहू,तुका राम कंसारी, धनराज साहू, राज कुमार मस्खरे,मिनेश कुमार साहू, राम कुमार साहू, ईश्वर साहू आरूग, ईश्वर साहू बंधी, हेम लाल सहारे कृष्णा भारती, अरविन्द कुमार लाल,वीरेन्द्र कुमार तिवारी वीरू, रामानंद त्रिपाठी,कैलाश साहू कुंवारा, ग्वाला प्रसाद यादव नटखट,पुष्कर सिंह राज, शिव कुमार अंगारे, शशिभूषण स्नेही, गजराज दास महंत, नारायण चंद्राकर, सुनील शर्मा नील, हीरामणि वैष्णव, गुणी राम बादल, जयवंत जंघेल,शेर सिंह गोड़िया आदिवासी, अमृत दास साहू,रमेश कुमार मंडावी,कुलेश्वर दास साहू ( एकांकी) ,फकीर प्रसाद साहू फक्कड़, भूखन वर्मा,रोशन लाल साहू , ऋतु राज साहू , दुर्गेश सिन्हा दुलरवा, घनश्याम कुर्रे, जयंत पटेल, देवनारायण नंगरिहा,द्रोण कुमार सार्वा सहित कतको साहित्यकार मन महतारी भाषा म कलम चलावत हे.
महिला साहित्यकार मन के योगदान
हमर छत्तीसगढ के छत्तीसगढ़ी महिला साहित्यकार मन म डॉक्टर सत्यभामा आडिल, डा. सुधा वर्मा, डा. निरूपमा शर्मा,सरला शर्मा, डा. उर्मिला शुक्ला, शकुंतला तरार, शकुंतला शर्मा( छंदबद्ध काव्य- छंद के छटा, चंदा के छांव म) , शकुंतला वर्मा,गीता शर्मा, डा. शैल चंद्रा, डा. मीता अग्रवाल,बसंती वर्मा,शोभा मोहन श्रीवास्तव,आशा देशमुख , हंसा शुक्ला, लता शर्मा, डा. जयाभारती चंद्राकर, लता राठौर, शुचि भवि, धनेश्वरी गुल,नीलम जायसवाल,केंवरा यदु, शशि साहू, द्रोपदी साहू सरसिज, सुमित्रा कामड़िया,चित्रा श्रीवास, पदमा साहू पर्वणी, प्रिया देवांगन, गायत्री श्रीवास, अउ आने महिला साहित्यकार मन अपन सुघ्घर लेखनी ले छत्तीसगढ़ी भाषा ल समृद्ध करत हे.
हमर छत्तीसगढ के कतको रचनाकार रचना के माध्यम ले छत्तीसगढ़ी भाखा के सेवा करत हे.
साहित्यकार मन छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना म अपन योगदान दिस. कतको साहित्यकार मन छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन म भाग लिस.
छत्तीसगढ़ी शब्दकोश, व्याकरण म हीरालाल काव्योपाध्याय डॉ कांति कुमार जैन, डा.शंकर शेष तिवारी, डा.पालेश्वर शर्मा डॉक्टर नरेंद्र देव वर्मा ,भालचंद राव तैलंग ,नरेंद्र कुमार सौदर्शन ,रमेशचंद्र महरोत्रा, नंद किशोर तिवारी,मंगत रवीन्द्र,मन्नूलाल यदु , महावीर अग्रवाल, जय प्रकाश मानस, ,बिहारी लाल साहू,साधना जैन,डॉक्टर विनय कुमार पाठक, डा. सोमनाथ यादव,डॉ. चंद्र कुमार चंद्राकर, पुनीत गुरु वंश ,डॉक्टर विनोद वर्मा , डा. सुधीर शर्मा,डॉ गीतेश अमरोहित जइसन विद्वान मन पोठ काम करे हे.
पाछु पांच बछर ले छंदविद अरुण कुमार निगम द्वारा स्थापित छंद के छ छत्तीसगढ़ के माध्यम ले छत्तीसगढ़ के कवि मन छत्तीसगढ़ी म छंदबद्ध रचना करके छत्तीसगढ़ी साहित्य के कोठी ल
समृद्ध करत हे. अब छत्तीसगढ़ी साहित्य म गद्य विधा ह घलो पोठ होवत हे. ब्लॉग छंद के छ गद्य खजाना अउ पद्य खजाना, संजीव तिवारी के गुरतुर गोठ, छत्तीसगढ़ आसपास के ब्लॉग ( प्रदीप भट्टाचार्य)म जाके ठाहिल रचना पढ़े जा सकथे.
छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर ग्रुप के संगे- संग अखबार मन के स्तंभ दैनिक देशबंधु के मड़ई अंक( संपादक- सुधा वर्मा)
, दैनिक हरिभूमि के चौपाल अंक( संपादक- दीनदयाल साहू), दैनिक पत्रिका के पहट अंक( संपादक- गुलाल वर्मा), लोकसदन के झांपी अंक( संपादक- डा. सुखनंदन सिंह धुर्वे), गुड़ी के गोठ ( आशीष सिंह) साकेत स्मारिका ( सालाना पत्रिका – कुबेर सिंह साहू)आरूग चौरा( ईश्वर साहू आरूग) , अरई तुतारी पत्रिका , “अंजोर”( जयंत साहू) अउ आने मन के पत्रिका अउ ब्लॉग के माध्यम ले पद्य के संगे -संग गद्य म सुघ्घर काम चलत हे जउन छत्तीसगढ़ी साहित्य ल बढ़वार करत हे.
23 बछर छत्तीसगढ़ राज बने अउ 16 बछर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा बनाय के घोषणा करे होगे पर आज तक येहा राजकाज के भाषा नइ बन पाईस. इहां के अफसर मन के छत्तीसगढ़ी के प्रति उदासीनता अउ नेतामन द्वारा छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा बनाय म श्रेय लेय के चक्कर म आज तक येहा काम- काज के भाषा नइ बन पात हे. उपलब्धि के नांव म प्राथमिक शिक्षा म हिंदी विषय म कुछ छत्तीसगढ़ी पाठ सामिल करके, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के कुछ आयोजन करके अपन मन ल मड़ा लेथन.
छत्तीसगढ़ी ह संविधान के 8 वीं अनुसूची म सामिल होय बर छूट जाथे अउ छत्तीसगढ़ी ल राज -काज के भाषा के रूप म देखे के सपना ह टूट जाथे. 16 बछर ले बस लालीपाप धराथे.
•संपर्क-
•79746 66840
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