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कहानी : ‘ पराये घर का दरवाजा ‘ – संतोष झांझी
–“मैडम , सीतो किसी लड़की को साथ लेकर आई है।’
भोला आकर बता गया। जया ड्राइंग रूम मे पहुंची। सीतो के साथ साथ उस लड़की ने भी हाथ जोड़े। मैली जर्जर पिंडलियों तक ऊँची साड़ी में सत्रह अठारह साल की दुबली साँवली लड़की, एक मैली सी गुदड़ी में बच्चा सीने से लगाये खड़ी थी।
–“बड़ी मैडम को बुला लाओ।” आर्डर सुनते ही भोला लगभग दौड़ते हुए चला गया।
–“क्या नाम है तुम्हारा ?”
–“जी…रोदना…रोदना….” रोदना की फंसी फंसी आवाज आई।
—“रोदना है मैडम !”सीतो बोली।
–“बच्चा कितने महीनें
–“जी पच्चीस रोज का है मैडम।” सीतो बोली
–“यह उपर का दूध पी लेगा ?”
–“जी, पी लेगा…पी लेगा।” महरी हड़बड़ाई। तभी बड़ी मैडम आ गई। दोनों नें फिर हाथ जोड़े।
–“तुम्हें एक साल तक यहीं रहना होगा।” बड़ी मैडम बोली
–“जी।” सीतो ही हर बात का जवाब दे रही थी।
–” हमारी पसंद का खाना होगा। रोज दो वक्त नहाना, दो वक्त कपड़े बदलनें होगें। साबुन,कपड़े, खाना, रहनें के लिये अलग कमरा, साफ बिस्तर हम ही देंगे, और…..” मैडम थोड़ा ठहरी–“और तुम्हारा घरवाला?एक साल तक उससे दूर रहना होगा।”
–“आप चिन्ता मत करो मैडम, ये हमारी बहू है। मेरा लड़का तो ठेकेदार के साथ कमाने दिल्ली गया है।
छोटी बच्ची के साथ ये दिल्ली मे कहाँ कमाने जाती? इसी वास्ते हम एको आपका पास लई आये।
आपका राजा बाबा एक साल का होने तक ये इधरेच रहेगी, कहीं नहीं जायेगी। मेरे लड़के का साया भी मैं एक साल तक इसपर नहीं पड़नें देगी। आप चिन्ता मत करो मैडम,….
–“ठीक है…. हम इसे महीनें का दो हजार रूपया देंगे, इसकी बच्ची के लिये गाय के दूध का भी इंतजाम कर देंगे। ” बड़ी मैडम ने अपनी बात खतम की।
–“गाय के दूध की क्या जरूरत मैडम ?इसकी छाती मे बहुत दूध उतरता है।” सीतो खुशी से बोली।
—” नहीं….हमारा राज बाबा जूठा दूध नहीं पिएगा। इन्फेक्शन हो सकता है। बच्ची को उपर का दूध ही पीना होगा।” मैडम सख्ती से बोली।
—“जी…जी…” सीतो और रोदना घबराकर एक सुर में बोली।,
—“और सीतो, तुम आज तक जो काम करती थी, अपना वह काम पहले की तरह करते रहना।”
—“जी मैडम…..
—” भोला, इस लड़की को नर्स के बाजूवाला कमरा बता दो,और नर्स को जरा मेरे पास भेजो।”
लड़की सर झुकाकर बच्चे सहित भोला के पीछे चलदी।कुछ ही क्षण बाद झक्क सफेद कपड़े पहने नर्स हाजिर थी।
—“वह लड़की क्या नाम है उसका…. हाँ ! रोदना, तुम्हारे साथ वाले कमरे में रहेगी।उसकी चौबीस घंटे की ड्यूटी रहेगी , एकदम तुम्हारी तरह। उसके साफ सफाई से नहाने बाद ही राजा बाबा को उसकी गोद में देना। नजर रखना वह दोनों समय नहा के कपड़े बदल ले। हर बार फीडिंग के समय उसके स्तन स्पंज करना मत भूलना। वह केवल फीडिंग करवाएगी। बाकी समय बाबा को पहले की तरह तुम ही सँभालोगी। और हाँ एक बात का ध्यान रखना वह अपनें बच्चे को दूध न पिलाए।”
–“जी मैम, समझ गई, आप निश्चिंत रहें। ” नर्स चली गई। बड़ी मैडम ने नंबर डायल किया।
–“हैलो, डाक्टर चौहान! हम राय साहब हाऊस से राजरानी बोल रहे हैं। एक यंग लड़की धाय के लिये लाई गई है। आप आकर उसका तुरन्त मेडिकल चेक अप करके मुझे रिपोर्ट करें । चैकअप कर मुझें बताएँ उसका दूध हमारे राजा बाबा के लिए सही होगा या नहीं ।”
थोड़ी ही देर में डाक्टर चौहान दल बल के साथ कई तरह के उपकरण लेकर रोदना का चेकअप करनें रायसाहब हाऊस पहुंच गये। डेढ घंटे में सारी रिपोर्ट तैयार थी । ब्लड, हार्ट, गला, स्किन, स्तन और दूध सब ओके था। हाथ बाँधे डाक्टर ने रिपोर्ट दी।
—“कोई भी स्किन डिसिस नहीं है मैम, स्तन में कोई इन्फैक्शन नहीं है। दूध बच्चे के स्वास्थ्य के लिये सही है।ब्लड भी ठीक है। हमनें उसे कुछ टाॅनिक दे दिये हैं , दो इन्जेक्शन भी लगा दिये हैं।
—“बाल देखे ? उसमें गंदगी… मतलब जुएँ वगैरह…”बड़ी मैडम ने जरा नाक सिकोड़ कर कहा।
—“नही मैम, फिर भी हमनें बालों की भी दवा दे दी हैं। ”
—-“ठीक….. जाओ ।”
राय साहब हाऊस में आठ वर्ष बाद पोता हुआ, पर बेहद कमजोर। पैदा होते ही एक हफ्ते तक पीलिया से जूझता रहा। कुँवर और कुँवारी बेहद व्यस्त, रोज देर रात तक बिजनेस पार्टियां, वैसा ही खाना, फिगर कांशश कुंवारी बच्चे को दूध पिलाने और दूध उतारनें के लिये फैट बढाने वाले घी मेवे से बने फूड खानें को एकदम तैयार नहीं थी। रोदना एक स्वस्थ , बच्ची की मां, चढती उम्र की जवान लड़की, राजा बाबा को दूध पिलाने के लिये लाई गई थी। डाक्टर ने साफ साफ कह दिया था बच्चे को उपर का दूध डाइजेस्ट नहीं होगा। बहुत कमजोर बच्चा है। इसे सिर्फ मदर फीड ही देना होगा। दिन दिन भर रात रात भर जाग कर बच्चे को दूध पिलाना कुंवरानी के बस का भी नहीं था।वैसे तो नर्स और आया ही बच्चे की देख रेख करती,पर दूध तो कुंवरानी को ही पिलाना होता। इसी कारण इतनें वर्षो तक उन्होंने बच्चे के बारे में सोचा ही नहीं था।
रोदना सहमी सी आँखें फाड़े खड़ी खड़ी कमरे को देख रही थी। नर्स के निर्देशानुसार वह बच्चे सहित नहा कर साफ कपड़े पहन चुकी थी। कमरे के एक कोने मे साफ बिस्तर बिछा था। उसी पलंग पर लिटाकर डाक्टर उसके पूरे जिस्म को उघाड़ कर खोद खोद कर देख गया था। मोटी मोटी दो सुई भी लगा गया। नर्स दो तीन गोली और मीठी कसैली सी दवा पिला गई ।रोदना को समझ नहीं आखिर उसे बीमारी क्या है ? साफ चादर मे लिपटी अपनी बच्ची को उसने एक कोने में सुला दिया और वहीं ऊंकड़ूं बैठ गई
। उसे भूख लग रही थी। कुछ देर बाद ही दनदनाते हुए नर्स अंदर आई, उसके पीछे ट्रे थामे एक बैरा आया। उसे नीचे बैठे देख हड़बड़ाई बोली—” नहा कर ऐसे नीचे नही बैठना,उपर बैठो,सर्दी लग गई तो राजा बाबा पर भी असर होगा। बच्चे को भी उपर सुलाओ ट्रे में विविध व्यंजन थे। दो बड़े बड़े सेब,घी तैरती दाल, घी से तर सब्जी ,मक्खन लगी रोटियां, मेवे,गोंद,सोंठ अजवायन वाले शुद्ध घी मे पगे दो लड्डू। रोदना की नजरे ट्रे में भात तलाश रही थीं। बच्ची के लिये दूध से भरी बोतल थी ।
–“यह बच्ची को पिला देना, खाना खा लो, कुछ और चाहिये तो बता देना।” नर्स ने आदेश दिया। रोदना ने ट्रे की तरफ देख धीरे से सर हिलाया।एक पल को सोचा क्या वह भात मांग ले ?पर चुप रही। कुनमुनाती बच्ची को उसनें दूध पिलाने का प्रयास किया,बच्ची ने बुरा सा मुंह बनाकर कस कर होंठ बंद कर लिये। कहाँ माँ का कोमल स्पर्श, कहाँ यह सख्त अजीब सी महक वाली रबर….रोदना ने नर्स की तरफ देखा।
–“धीरे धीरे आदत हो जायेगी। जब खूब भूख से बिलबिलाते तब देना फटाफट पी जायेगी। तुम खाना खा लो, बाबा को बीस मिनट बाद दूध पिलाना है।” नर्स चली गई।
शुद्ध घी की महक से नर्स की ललचाती नजर बार बार ट्रे की ओर उठ जाती थी और उसी महक के कारण रोदना की तो जैसे भूख ही मर गई। उसनें बेमन से खाना शुरू किया। भूख भी लगी थी। उसके जेहन मे थाली भर कर गीला गीला भात,लहसुन लालमिर्च की चटनी घूम रहे थे। जैसे तैसे उसनें खाना खतम किया। उसे लग रहा था जैसे उलटी हो जायेगी। नर्स चिलमची मे गर्म पानी और स्पंज लेकर आ गई।
—” ब्लाऊज हटा।” ब्लाऊज हटाते ही नर्स ने स्पंज पानी मे बुलाकर उसकी छातियाँ साफ की,फिर उसे सफेद टाॅवेल पकडा कर बोली—-” पोछो , मै राजा बाबा को लेकर आती हूँ। ”
कुछ ही देर में बाबा हुमक हुमक कर रोदना का दूध पी रहा था। नर्स पास खड़ी थी।थक कर तृप्त होकर राजा बाबा सो गया। रोदना की बच्ची रो रो कर बेहाल हो रही थी पर बोतल की निप्पल को उसने मुंह नहीं लगाया। अपनी बच्ची को भूख से तड़पता देख रोदना की आँखें छलछला गई। रोदना का मन भी उस भारी भरकम खानें से नहीं भरा पर छाती मे भारीपन लग रहा था। सादा भात खानें को मन तरस रहा था।
थोड़ी ही देर बाद बैरा मलाईयुक्त दूध से भरा बड़ा गिलास दे गया। उसे बिना भूख के भी खाना पड़ रहा था और उसकी बच्ची भूख से बेहाल थी। वह सब की आँख बचाकर उसे चुपचाप दूध पिला देना चाहती थी।
अच्छे खान पान से रोदना पर दिन पर दिन निखार आता गया और उसकी बच्ची दिन पर दिन कमजोर होती गई। छैः महीनें में राजा बाबा खूब स्वस्थ हो गया। मैडम रोदना पर खुश थी।
दिल्ली से बंशी आया तो माँ से चोरी बंगले पर रोदना से मिला, वह रोदना से घर चलने की जिद कर रहा था।
—-“छुट्टी लेकर हम केवल तोरे खातिर दौड़े आये हैं। दू चार दिन के लिये छुट्टी लेकर हमारे साथ घर चल।
नाक के फुल्ली लाये हैं हम तोरे खातिर,, छुट्टी लै ले इहाँ से ।”
बंशी मिन्नतें करता रहा। रोदना छटपटाती आँसूं बहाती रही।छुट्टी नहीँ मिली।सीतो ने बंशी को रोदना के यहाँ रहनें की शर्तों की मजबूरी बताई। बंशी नाराज होकर बिना उससे मिले दिल्ली लौट गया। छः महीनें बाद पति से केवल पाँच मिनट बात हो पाई। कई जोड़ी आँखें उनपर पहरा लगाये रहीं।
सीतो अब बच्ची को अपनें साथ लेगई। बच्ची के लिये दूध ,दलिया और फल जो राय साहब हाऊस से मिलते थे उस लालच में। दो हजार रूपये भी वह हर महीने उससे झटक कर ले जाती। रोदना अच्छे खाने कपड़ों मे जैसे खुद को दबा पाती। उसे लगता उसके हाथों से सब छूटा जा रहा है।उसका पति ,उसकी बेटी भी।वह अपनें घर के रूखे सूखे खाने और बंशी के संग साथ को याद कर दिन रात आँसू बहाती।
अब राजा बाबा कुछ कुछ अनाज खाने लगा था फिर भी बड़ी मैडम ने उसे और छै महीनें के लिये रख लिया। रोदना बहुत छटपटाई, पर सीतो के आगे उसकी एक नहीं चली। बंशी की भी कोई खबर उसे नहीं मिल पा रही थी। सीतो बच्ची को काम पर आते समय साथ ले आती। दो तीन घंटे अपनी बच्ची से मिलकर उसका मन थोड़ा शांत हो जाता। एक अपराधबोध उसे अंदर ही अंदर कचोटता, अपनी बच्ची के हिस्से का दूध उसनें बेच दिया।
आज रोदना बहुत खुश थी। डेढ साल बाद आज वह बंधन मुक्त हो गई थी। दो दिन पहले वह बंशी के दिल्ली से आनें की खबर सुन वह बहुत बेचैन थी।उसे पता था बंशी नाराज है ,इसीलिये मिलनें नहीं आया।घर पर मेरा इंतजार कर रहा होगा। मैडम ने बहुत सारा सामान दिया था। उपहारों से लदी घर पहुँचने की जल्दी में वह जैसे उड़ी जा रही थी, उसे पता था इस समय उसकी सास सीतो काम पर गई होगी। बंशी घर पर होगा। उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। घर पहुँची तो दरवाजा बंद था। उसने दरवाजे को धीरे से धकेला तो वह खुल गया, सामने खाट पर बंशी पीठ करके लेटे था । दरवाजे की आवाज से लाल साड़ी पहनें एक लड़की उसकी बगल से उठी। बंशी लापरवाही से सिर के नीचे दोनो हाथ रखे, सीधा होकर लेट गया । रोदना की तरफ देखा बिना लड़की से बोला—
—-“यह पहले वाली है।” फिर रोदना की तरफ भौहें चढाकर बोला —” दूसरों के घर का दरवाजा बंद देखकर, बाहर से आवाज लगानी चाहिये, तुम्हें इतनी भी अक्ल नही।”
•पता –
डी/7, सड़क – 12, आशीष नगर[पश्चिम], रिसाली, भिलाई नगर-490006, छत्तीसगढ़
•संपर्क-
97703 36177
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