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भिलाई रंगमंच का वर्तमान हमेशा जिंदा रहेगा – सुबीर दरीपा
भिलाई : ‘कला साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ एवं नोस्टॉजिओ 80’ के संयुक्त प्रयास से महात्मा गांधी कला मंदिर में 7 दिसंबर से 10 दिसंबर 2023 तक अंतरराष्ट्रीय नाट्य,संगीत एवं डांस महोत्सव 2023 का प्रथम वर्ष का इंद्रधनुषी आयोजन भिलाई के कला प्रेमी दर्शकों के मन में एक अमिट छाप छोड़ गया।
आयोजन के प्रथम दिन भिलाई के अपने प्रख्यात फिल्म डायरेक्टर श्री अनुराग बसु ने यह पुनः साबित कर दिया कि भले ही वे मुंबई जाकर बसे हों, लेकिन उनका दिल भिलाई में ही है। भिलाई वासियों ने जितना उनको प्यार दिया, उतने ही उत्साह से उन्होंने सबके प्रश्नों का जवाब दिया। मौका था एक वर्कशॉप का आयोजन, जिसमे बड़े ही सहज ढंग से अनुराग जी ने फिल्म के निर्माण, एक्टिंग, फोटोग्राफी और ढेर सारे सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कला साहित्य अकादमी और नोस्टाल्जिया 80 के सदस्यों को इस चार दिवसीय फेस्टिवल के आयोजन के लिए साधुवाद दिया।
पहले दिन ही शाम को पंडित दिशारी चक्रवर्ती के संतूर वादन दर्शकों का मन मोह लिया। पखावज पर श्री निशांत सिंह ने उनका बखूबी साथ दिया। उल्लेखनीय है कि आयोजकों ने पंडित दिशारी द्वारा ऑनलाइन और ऑफलाइन संगीत वर्कशॉप की व्यवस्था की थी जिसमे पहले ऑनलाइन और फेस्टिवल के दौरान कला मंदिर में ही चारों दिन पंडितजी ने छात्रों को शास्त्रीय संगीत के गुर सिखाए। छात्रों द्वारा आखरी दिन एक प्रस्तुति दी गई जिसे सभी दर्शकों ने सराहा।
▪️ सखाराम बाइंडर नाटक का दृश्य
▪️ चित्रांगदा नृत्य नाटिका का दृश्य
▪️ नृत्याधाम नाटक दल
आयोजन के दूसरे दिन 8 दिसंबर को कला मंदिर नाट्य सुधि दर्शकों की उपस्थिति ने एक नया कभी ना भूलने वाला इतिहास रच दिया। अवसर था आयोजकों द्वारा आमंत्रित सात समन्दर पार से आए एपिक एक्टर्स वर्कशॉप, न्यू जर्सी द्वारा नाटक “सखाराम बाइंडर” की मंचन का।
भारत के सुप्रसिद्ध नाटककार स्व विजय तेंदुलकर का य़ह नाटक जो मूलतः मराठी में हैं, अन्य भाषाओं में भी खेला जाता रहा हैं, लेकिन भिलाई मे मंचित यह नाटक की भाषा अंग्रेज़ी थी। भिलाई के रंगमंचीय इतिहास में अंग्रेजी नाटक को रंग दर्शकों ने अपने दिल में जगह दी। सारा हाल आख़िरी दिवाल तक भरा हुआ था l दर्शकों ने हाल में खड़े होकर नाटक को देखा।
भिलाई रंगमंच ने साबित किया कि भाषा से ज्यादा हम भावनात्मक रूप से जुड़े हैं। यहीं कारण था कि लगभग 2 घंटे 10 मिनट के पूर्ण अवधि के नाटक में एक अजीब सी सन्नाटा थी कि अगर सुई भी गिरे तो पता चल जाए।
▪️ पंडित दिशारी चक्रवर्ती संतुर वादन प्रस्तुति
▪️ पंडित जी के संगीत वर्कशॉप के छात्रों की प्रस्तुति
▪️ शर्मिष्ठा घोष
नाटक के पात्रों ने अपने अभिनय से पता ही नहीं चलने दिया कि हम अंग्रेजी भाषा का नाटक देख रहे हैं। जितना बेहतर अभिनय था उसी अनुरूप नाटक का संगीत एवं प्रकाश व्यवस्था थी। उल्लेखनीय है नाटक का मुख्य किरदार सखाराम को भिलाई के बीएसपी सेक्टर 10 से पढ़े लिखे सजल मुखर्जी ने बखूबी निभाया। सभी पात्रों का अभिनय अविस्मरणीय रहा।
आयोजन के तीसरे दिन, कोलकाता से आमंत्रित दो दलों ने हिंदी में पंचलेट नमक नाटक तथा गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखे गए चित्रांगदा को डांस-ड्रामा के रूप में पेश किया।
पंचलेट की कहानी गांव के एक दल की है जो रोशनी के लिए हेजाक खरीद लाते हैं लेकिन उसे जलाना नही जानते। रंगशिल्पी दल के पात्रों ने इस नाटक में अपने अपने किरदार को बड़े ही प्रभावी ढंग से निभाया।
इसके पश्चात बंगला भाषा में मणिपुर की राजकुमारी चित्रांगदा और महाभारत के पात्र अर्जुन की प्रेमकहानी को रविंद्रसंगीत और नृत्य के माध्यम से पेश किया गया। कोलकाता से आए पदार्पण दल में शामिल स्कूल और कॉलेज में अध्यनरत कन्याओं द्वारा बड़े ही सुंदरता से नृत्य और संगीत के माध्यम से इस कहानी की पेशकश ने दर्शकों का मन मोह लिया। अर्जुन का किरदार दल के निर्देशक श्री प्रसंजित ने निभाया।
महोत्सव के आखरी दिन इस पूरे अजोजन के मुख्य उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए आयोजकों द्वारा लगभग तीस दलों की प्रस्तुति सूची अनुसार रखा गया था। शहर के कुछ जानेमाने और कई उभरते कलाकारों ने एक नया मंच पाकर बड़े ही उत्साह के साथ अपनी प्रस्तुति दी।
▪️ फिल्म निर्देशक अनुराग बसु संबोधित करते हुए…
महोत्सव के चारों दिन भिलाई इस्पात संयंत्र के वरिष्ठ अधिकारीगण, अन्य विशिष्ठ अतिथिगण एवं कला प्रेमियों का स्वागत स्वयंसिद्धा संस्था के महिला सदस्यों द्वारा भव्य स्वागत किया गया। महोत्सव के दौरान भिलाई के कलाकारों द्वारा एक चित्र एवं स्कल्पचर प्रदर्शनी लगाया गया। चुनिंदा पेंटिंग्स को स्टेज पर भी प्रदर्शित किया गया था।
कला साहित्य अकादमी,छत्तीसगढ़ और नोस्टाल्जिया 80 के सदस्यगण, सभी नाटक एवं अन्य प्रस्तुतियों के पात्र कलाकारों एवं इस महोत्सव के सभी स्पॉन्सर एवम सहयोगियों को अपना साँस्कृतिक सलाम देते हैं। साथ ही भिलाई इस्पात संयंत्र को कला मंदिर जैसे मंच एवम अन्य सुविधाओं प्रदान करने हेतु दिल से धन्यवाद देते हैं।
महोत्सव का सफल आयोजन एवम कलाकारों द्वारा उन्दा प्रस्तुतियों के लिए हर तरफ से अप्रत्याशित एवं रिव्यू अब भी लगातार आ रहे हैं।
कला साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ एवं नोस्टाल्जिया 80 के सभी सदस्यों के उत्साहित सहभागिता के बिना ये महत्वपूर्ण आयोजन सम्भव नहीं होता। सभी ने साबित कर दिया कि जमीन खोद कर पानी निकाला जा सकता हैं, पहाड़ों काट कर रास्ता बनाया जा सकता हैं,तो ईमानदार मेहनत कर नाटकों के सुधि दर्शकों को घरों से निकालकर रंग दर्शक बनाया जा सकता हैं।
कौन कहता है –
आसमान में सूराख नहीं हो सकता,
एक पत्थर सब मिलकर
तबियत से उछालो तो यारों.
▪️ सुबीर दरीपा
•संपर्क : 94079 82080
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