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- विशेष : 2 जनवरी के 74वां पुण्यतिथि के बेरा म सादर नमन जोहार : छत्तीसगढ़ के पहली महिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अऊ समाज सुधारक : विरांगना डॉ. राधाबाई : लेख, देव हीरा लहरी [चंदखुरी फार्म रायपुर]
विशेष : 2 जनवरी के 74वां पुण्यतिथि के बेरा म सादर नमन जोहार : छत्तीसगढ़ के पहली महिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अऊ समाज सुधारक : विरांगना डॉ. राधाबाई : लेख, देव हीरा लहरी [चंदखुरी फार्म रायपुर]
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. राधा बाई नागपुर ले रायपुर आय के बाद समाज सुधारक, नारी जागरण, कौमी एकता, छुआछूत निवारन, किसबिन नाच, वैस्यावृत्ति, शराब बंदी, स्वदेशी, परदा परथा, राष्ट्रीय एकता भावना बर जबर बुता करिन , किसान सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन संग जम्मो छोटे बड़े प्रदर्शन म गांधी जी के साथ चलय। ये बखत रोहनी बाई परगनिया, कृष्णा बाई, सीताबाई, राजकुंवर बाई, केतकीबाई, फुलकुंवरबाई, पोचीबाई, पारवती बाई, रुखमनी बाई हमेशा संग म रहय। बछर 1918 ले 1950 तक लगातार छत्तीसगढ़ म आजादी के जन आंदोलन म महिला मन ल लेके अगुवाई करिन ये मऊका म बहुते बार जेलयात्रा घलो करिन।।
छत्तीसगढ़ के पहली महिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विरांगना डॉ. राधा बाई के अवतरन सन 1875 म महाराष्ट्र नागपुर के इतवारी म होय रहिस। 10 बछर के रहिन तभे नागपुर म हि ओकर बिहाव होगे, एक बछर होय नई रहिस पति के देहांत होगिस। ससुराल म हि पड़ोस के महिला ल सखी बनाके ओकरे घर रहे लागिस, हिन्दी भाषा बोलेबर सिखिस, जिये खाय बर घर घर जाके जचकी दाई के काम बुता सिखे। नागपुर नगर पालिका म नौकरी करे लागिस। एक दिन सहेली के देहांत होगे ओकर बेटा-बेटी ल अपन भाई-बहन सहिन रखे। नागपुर, कामटी, रामटेक, अकोला, बिलासपुर के स्वास्थ्य केन्द्र मन म नौकरी करत सन 1918 में स्थानांतरण होके रायपुर आगे, तात्यापारा म स्थाई रूप ले रहे लागिस। 2 जनवरी 1950 के 85 बछर के उमर म सरग सिधार लिन, रायपुर के ओकर मकान ल एक अनाथालय ल दे दिये गिस, डॉ. राधा बाई सहिन विरांगना महान क्रांतिकारी नारी हमेशा हमर दिल म जीवित रही, पुण्यतिथि के बेरा म सादर श्रद्धांजलि नमन जोहार।
किसान सत्याग्रह म गांधी संग – सन 1920 म महात्मा गांधी पहली बार धमतरी जिला के कंडेल गांव म पहुंचे रहिस जिहा किसान मन के बड़का सत्याग्रह म शामिल होइस। ओ समय महात्मा गांधी जी के चर्चा पुरा छत्तीसगढ़ म होवत रहिस, तब ले राधा बाई हा गांधी जी के आंदोलन में जुड़ के काम करे अऊ सबले आगु रहाय, अब राधा ल लगिस ओकर क्रांतिकारी गुरु मिलगे। गांधी जी ले मुलाकात के बाद महिला मन ल सकेल के रोज बिहनिया प्रभातफेरी निकाले, खादी के कपड़ा बेचे, सत्याग्रह के तैयारी करें, सफाई टीम बनाके सफाई करे लागे, चरखा चलाय म महिला मन हमेशा आगु रहे। एकादशी पुजा कथा सुने बर महिला मन सकलाय उहे राधा बाई चरखा चलाय लगे अऊ आपस में देशहित आंदोलन बर चर्चा करय। सब मिलके गीत “मेरे चरखे का टूटे न तार, चरखा चलता रहे” गाके रायपुर में अलग-अलग जगा घुमे। सन 1920 ले 1942 तक सबो सत्याग्रह म शामिल होय रहिस, बहुत बार जेलयात्रा भी करीन, जेल के अधिकारी मन तको चिन्हय अऊ आदर सम्मान घलो करय।
सत्याग्रह के केन्द्र बनिस रायपुर – सन 1920 म जनसंघ अऊ जन आंदोलन के केन्द्र बने रायपुर के माहौल म राष्ट्रीय भावना जागिस, महिला मन ल संगठित करे अऊ खुद आगुवानी करय। खादी स्वदेशी समान के प्रचार-प्रसार, शराबबंदी बर मुहिम, हरिजन मन बर बुता, जनजागरण के संगठन म मुख्य सेविका के रूप म काम करत रहिस। रायपुर जिला में महिला कार्यकर्ता मन के चार केन्द्र रहिस जिहा सत्याग्रही बहन मन ह प्रशिक्षण लेवय, साथ हि प्रभातफेरी, धरना प्रदर्शन, बहिष्कार जनजागरण कार्यक्रम के रूपरेखा बनय, एक केन्द्र खुदे राधा बाई के घर रहाय जेकर नेतृत्व अपने करय। राधा बाई के मकान मोमिनपारा मसजिद के आगु म रहिस, उहे रोहनीबाई परगनिया, कृष्णा बाई, सीताबाई, राजकुंवर बाई, केतकीबाई, फुलकुंवरबाई, पोचीबाई, पारवती बाई, रुखमनी बाई मन सकलाय।
भारत छोड़ो अऊ सविनय अवज्ञा आंदोलन – भारत छोड़ो आंदोलन में राधा बाई सत्याग्रही मन के एक रैली जुलूस ल अपन अगुवाई म निकालिन फेर गिरफ्तार होगे। सविनय अवज्ञा आंदोलन म राधा बाई के मेहनत संघर्ष प्रयास ले महिला सत्याग्रही बहन मन के एक समूह तैयार होइस। जेमे रोहनीबाई परगनिया, कृष्णा बाई, सीताबाई, राजकुंवर बाई, केतकीबाई, फुलकुंवरबाई, पोचीबाई, पारवती बाई, रुखमनी बाई रहिस। कीका भाई के घर के आगु 2 बार धरना प्रदर्शन महिला सत्याग्रही मन करीन जेमे मार्च 1932 में सबो झन ल गिरफ्तार कर लिस। दूसर सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय राधा बाई ल जून 1932 म फेर गिरफ्तार कर लिस 6 महिना जेल होइस, व्यक्तिगत भूख हड़ताल सत्याग्रह तको करे रहिस।
केयूर भूषण के जूबानी – स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लेखक समाज सुधारक केयूर भूषण बताइस सन 1930 म कुछ सत्याग्रही मन ल अमरावती जेल ले रायपुर जेल लाये जात रहिस, डॉ. राधा बाई अपन सगी साथी ल लेके रायपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे रहिस। ओकर एक हाथ म खाना के थैली अऊ दूसर हाथ म तिरंगा झंडा धरे रहिस, उही समय अंग्रेज कलेक्टर के अनुमति ले सिपाही मन लाठी डंडा ले हमला कर दिन। राधा बाई आगु अऊ हाथ म तिरंगा रहिस तेकर पाय के उही ल सबले जादा मार पड़िस।
किसबिन नाच वैस्यावृत्ति – गांव शहर दुनो जगा बड़े जमींदार अऊ अंग्रेज अधिकारी घर जा जाके कुंवारी लड़की मन नाचा गाना करें के साथ ओकर हवस बुझाय तेला किसबिन नाच कहें। वैस्यावृत्ति, देवदासी, मेड़नी प्रथा आजो बहुत जगा चलत हे, ये दल-दल म फसे बहिनी मन ल मुक्ति दिलाना राधा बाई के लक्ष्य रहिस। राज्य म किसबिन नाच करइया मन के एक ठन समुदाय बन गे रहिस, जेमे गरीब असहाय परिवार के माता-पिता मन जिये खाय पइसा कौड़ी बर अपने घर के कुंवारी लड़की ल किसबिन नाच वैस्यावृत्ति म भेजे बर मजबूर रहाय। राधा बाई अऊ बाकी महिला मन ये कुप्रथा बर विरोध म एक दिन बड़का आंदोलन सत्याग्रह रायपुर के खरोरा म करके किसबिन नाच वैस्यावृत्ति प्रथा ल खत्म करे गिस। ये बुता म लगे परिवार मन खेती-बाड़ी किसानी करें लागिस।
शराबबंदी बर मुहिम – ओ बखत शराबबंदी बर आंदोलन करना बहुत कठिन रहाय, शराबी मन से शराब छोड़ाना, भट्ठी बंद कराना, ये अभियान म लगे महिला मन ल अंग्रेज सिपाही द्वारा लाठी डंडा से मारे, बाल पकड़के घसीटय, गिरफ्तार कर लेवय फिर भी राधा बाई अपन साथी मन साथ शराब बंदी के मुहिम म डटे रहय।
परदा परथा – रायपुर सदर बाजार के जगन्नाथ मंदिर सत्याग्रह के केन्द्र बनय, उहे सबो जाति धर्म के बहिनी मन घुंघट परदा परथा के खिलाफ चर्चा अऊ भाषण देवय, सब झन ल समझावय, मारवाड़ी समाज के संग सबो समाज के महिला मन परदा घुंघट के सेती अपन आप म घुटन महसूस करय।
पोल्का ब्लाऊज पहिरे के शुरुआत – छत्तीसगढ़ में पहली परदा परथा नई रहिस, ब्लाऊज पहिरे के चलन भी नई रहिस, कोई पोलखा पहिरय त ओला नाचने गाने वाली औरत समझय। राधा बाई के बोले समझाय म पंडित सुंदरलाल शर्मा के पत्नी बोधनी बाई हा सबले पहिली ब्लाऊज पोलखा पहिरे के शुरुआत करिस। ओला देखा सिखी धीरे-धीरे सबो महिला मन पहिरना शुरू करिस।
छुआछूत मिटाय बर बुता – अस्पृश्यता छुआछूत मिटाय बर बड़ बुता करिन, सफाई कर्मचारी के बस्ती जाके सफाई करय, ओकर लइका मन ल स्नेह प्यार से नहलावय, पढ़ाई लिखाई करवाय। राधा बाई धर्म समाज भेद नई मानत रहिस, सबो समाज के लोगन ओकर घर आवय जावय, मुस्लिम भाई मन ल भाईदूज में पूजा करय, खुद खाना बनाके खिलावय।
डाक्टर बने के कहानी – जिये खाय पइसा कौड़ी जीविकोपार्जन बर जचकी दाई के बुता करे, स्वास्थ्य केन्द्र अऊ घर घर जाके प्रेम लगन के साथ काम करे सबके मां बन गये रहिस। लोगन मन डाक्टर कहे के बुलाय ल लगे, जन उपाधि देके डॉ. कहे, ओकर सेवा भावना देखके रायपुर नगर निगम घोड़ा वाला तांगा दे रहिस। तभे ले राधा बाई डॉ. राधा बाई बनगे। सन 1986 ले रायपुर के मठपारा म स्थित डॉ राधा बाई के नाम से शासकीय कन्या नवीन महाविद्यालय संचालित हे।
▪️ लेखक, देव हीरालहरी
•संपर्क-
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