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कविता पर राष्ट्रीय कार्यशाला : ‘ छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन ‘ और ‘ होलीक्रॉस वीमेंस कॉलेज ‘ के संयुक्त तत्वाधान में ‘ कविता के तीन क्षण ‘ विषय पर कार्यशाला
अंबिकापुर [छत्तीसगढ़ आसपास न्यूज़] : ‘ छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन ‘ एवं ‘ होलीक्रॉस वीमेंस कॉलेज ‘ के संयुक्त तत्वावधान में विगत दिनों ‘ कविता के तीन क्षण ‘ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की शुरुआत अतिथियों के स्वागत से हुई । आयुषी खाखा एवं साथियों ने स्वागत गीत की सुमधुर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ . (सि) शांता जोसेफ ने किया ।मुख्य अतिथि प्रो.दिनेश कुशवाह वरिष्ठ कवि एवं विभागाध्यक्ष हिन्दी अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा म. प्र.ने कार्यशाला के शीर्षक की सार्थकता पर कहा कि ‘ वास्तव में मुक्तिबोध ने कला के तीन क्षण पर लिखते हुए कविता की रचना प्रक्रिया पर ही लिखा है । उन्होंने लेखन में ज्ञानात्मक संवेदना को स्पष्ट किया। डॉ .उर्मिला शुक्ल साहित्य मंत्री छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन ने आधार वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के लिए आयोजित होनी चाहिए ।इससे उनमें रचनात्मक लेखन का विकास होता है । प्रथम सत्र का संचालन डॉ .मृदुला सिंह ने किया ।द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर दिनेश कुशवाह ने की। विषय विशेषज्ञ के रूप में वरिष्ठ लेखक विजय गुप्त ने कहा कि ‘ कविता हमेशा मेरे लिए रहस्यात्मक पहेली रही है। युवावस्था अपने आप में कविता होती है दिल दिमाग में बहुत से विचार उठते हैं आप उन विचारों को लिखने की कोशिश करते हैं और यह कविता के फ्रेम में होता है। विषय विशेषज्ञ सुप्रसिद्ध कवि एवं चित्रकार महेश वर्मा ने कविता की रचनाप्रक्रिया को समझाने के लिए संवाद शैली का प्रयोग किया। उन्होंने बहुत रोचक शैली में कविता की रचना प्रक्रिया पर अपने विचार प्रस्तुत किए। द्वितीय सत्र का संचालन डॉ . कामिनी ने किया।
तृतीय एवं अंतिम सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार वेद प्रकाश अग्रवाल ने की उन्होंने कार्यक्रम की उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों को लिखने से ज्यादा पढ़ने पर जोर दिया ।
विषय विशेषज्ञ डॉ.नीलाभ कुमार युवा आलोचक एवं सहा . प्राध्यापक हिंदी शा .विज्ञान महाविद्यालय अम्बिकापुर ने रचना प्रक्रिया में रामविलास शर्मा के विचारो को उल्लेख करते हुए कहा कि कई बार विचार हमारे मस्तिष्क में अर्धचेतन अवस्था में कौंधते हैं, हमे उन्हें तुरंत नोट करना चाहिए।
प्रो. रामकुमार मिश्र ने रचना प्रक्रिया में अनुभव के आघात से दृश्य एवं उसकी प्रतिक्रिया से रचना के जन्म का संबंध बताया।
कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए।
अतिथियों ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए । संचालन डॉ. नीलाभ कुमार एवं सुश्री प्रकृति केशरी ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ .सरिता भगत ने किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालयीन शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक स्टाफ का योगदान रहा। इस अवसर पर राजेन्द्र चांडक, डॉ. आशा शर्मा, डॉ. कल्पना गुहा, डॉ. तृप्ति पाण्डेय, डॉ. ममता अवस्थी, डॉ. दीपक सिंह, आदि उपस्थित रहे । छत्तीसगढ़ एवं अन्य राज्यों के प्रतिभागियों ने सहभागिता की। कार्यक्रम का संयोजन डॉ.उर्मिला शुक्ल एवं डॉ . मृदुला सिंह ने किया। डॉ सरिता भगत ,सुमन भगत एवं कविता एक्का आयोजन समिति के सदस्य थे।
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