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रामलला प्राण प्रतिष्ठा पर विशेष : पूनम पाठक बदायूं
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मन में बसे हैं राम
मेरे मन में बसे हैं राम
राम मैं कहां ढूंढने जाऊं।
मेरे तन में बसे हैं राम
राम में कहां ढूंढ़ने जाऊं।
हनुमत के हृदय में हैँ राम
राम मैं हनुमत को मनाऊं।
प्राण हैँ मां सीता के राम
राम मैं सीता को ध्याऊं।
लक्ष्मण के पूजनीय हैँ राम
राम मैं लक्ष्मण को मनाऊं।
सारा जग अयोध्या राम
राम अयोध्या कैसे पठाऊं।
सब तत्वों में बसे हैं राम
राम मैं तुझे कैसे लाऊं।
सब माँओं के प्रिय हैं राम
राम मैं तेरा प्रेम पाऊं।
चारों दिशाओं दिखते राम
राम मैं तुझे क्या चढ़ाऊं।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम
राम तव चरणों में आऊं।
शबरी के बेर खाये राम
राम आंगन कैसे सजाऊं।
राम नाम रामा राम राम
राम मैं तेरा नाम गाऊं।
मेरे मन में बसे हैं राम
राम मैं कहां ढूंढने जाऊं।
मेरे तन में बसे हैं राम
राम मैं कहां ढूंढने जाऊं।
•पूनम पाठक बदायूं इस्लामाबाद बदायूं उत्तरप्रदेश से हैं.
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