- Home
- Chhattisgarh
- विमोचन : डॉ. दीपिका लहरी की पहली उपन्यास अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित ‘द वाईट शैडो’ का हुआ विमोचन…
विमोचन : डॉ. दीपिका लहरी की पहली उपन्यास अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित ‘द वाईट शैडो’ का हुआ विमोचन…
माता कौशल्या धाम चंदखुरी समीप मुनगेसर निवासी डॉ. दीपिका लहरी की पहली उपन्यास ‘द वाईट शैडो’ का 12 जनवरी 2024 को अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित हुआ। दिल्ली के प्रगति मैदान में 10 से 18 फरवरी तक आयोजित विश्व पुस्तक मेला 2024 में इस पुस्तक का प्रदर्शन किया गया। अपराध रोमांच कानून से जुड़ी कहानी में युवा पत्रकार जोया मुख्य किरदार में हैं जिनके पिता व भाई पुलिस में रहते लोगों की रक्षा करते अपनी जान गंवा दी। जोया अभी एक अनाथालय चलाती है। वह हर साल 15 नवंबर का इंतजार करती है एक ऐसे व्यक्ति से मिलने के लिए जिसने उसकी धारणा को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया। जोया के दयनीय और अवसादग्रस्त हालत को देखकर उसके अनाथाश्रम के एक दोस्त मंदिश के कहने पर 15 नवंबर 1995 के वारदात को साझा करने का निर्णय लिया जिसके बारे में सोचकर ही जोया की रूह कांप जाती है।
▪️ लेखिका डॉ. दीपिका लहरी
पुस्तक के मुख्य पेज में जोया के एक हाथ मे बंदूक और दूसरे मे फूल है। बंदूक अपराधी को पकड़ने के लिए नफरत से भरी हुई पक्के इरादे को दर्शाता है, वही फूल सच, न्याय, कुर्बानी और यादों को दर्शाता है। कहानी 19 भाग में बना है, भारत सिंगापुर मलेशिया जैसे देशों के लेखकों के पुस्तक छापने वाले प्रतिष्ठित नोशन प्रेस चेन्नई से प्रकाशित हुई हैं। 380 पेज के पुस्तक की कीमत 459 रूपए है, जिसे विभिन्न बुक स्टोर व अमेजन फ्लिपकार्ट में आनलाइन खरीद सकते हैं। डॉ. दीपिका ने बचपन में ही लघुकथा, कहानी व कविताएं लिखना शुरू कर दिया था, जिसे आसपास के लोगों से सराहना मिलती थी।
▪️ विमोचन
मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली दीपिका ने घरवालों के सहयोग से मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। तीन-चार साल की मेहनत और कठिन प्रयास बाद इस उपन्यास को पुरा कर प्रकाशित कराया। ‘द वाईट शैडो’ पुस्तक के लिए सरकारी अधिकारी, वकील, पुलिस विभाग, बुद्धजीवियों से मिलकर अध्ययन पश्चात लेखन कार्य पूर्ण किया। 27 वर्षीय लेखिका डॉ. दीपिका का सपना अपनी कहानियो और विचारो को दुनिया तक पहुंचाना है, दीपिका का मानना है कि हमारे सपने हम नहीं चुनते बल्कि हमारे सपने हमे चुनते हैं। दीपिका इस उपन्यास के माध्यम से पाठकों को यह संदेश देना चाहती है कि वे परोसे जाने वाले तथ्यों को धारणा न बनाकर सत्य और न्याय का विचार करे और उसका साथ दे।
🟥🟥🟥🟥🟥🟥