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होली विशेष : डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘सब्र’
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दुश्मन को भी दोस्त बना दे ये होली…
प्यार के रंग में रंगा हुआ जो मन होता है, उसका चर्चा हर घर, हर आंगन होता है।
कुदरत भी तो खेला करती है होली, बासंती रंगों से, रंगा मधुबन होता है।
सारी उदासी बह जाती है रंगों में, चेहरे पे मुस्कान अल्हादित मन होता है।
दुश्मन को भी, दोस्त बना दे, ये होली, इस दिन मन में बहुत निरालापन होता है।
जब देवर और भाभी होली खेलें, फिर देखो लोगों उनमें कितना अपनापन होता है।
नौशाद समझते हैं, जो मतलब होली का, उनके आंगन में होली पर कवि सम्मेलन होता है।
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होली आई होली आई…
होली आई होली आई,
प्रफुल्लित तन और मन है,
मस्ती में डूबा आज हर एक जन है।
होली खेलो, गुलाल उड़ाओ ,
रंग लो जीवन, लेकिन ये भी याद रहे कि जल ही तो है जीवन।
खील, बताशे, भांग की गुझिया खाएं और खिलाएं,
प्रेम का रंग डालें दुश्मन पर, उनको गले लगाएं।
हर्बल होली खेलें प्यारे,
पिरीत का रंग बरसाएं,
इस होली में कसम ये खाएं,
पानी आप खूब बचाएं,,,
🤣 संपर्क-
🤣 93015 84627
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