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साहित्य सृजन संस्थान द्वारा काव्य संध्या और साहित्य रत्न सम्मान
मंचासीन अतिथि
छत्तीसगढ़ आसपास न्यूज़ रायपुर : ‘साहित्य सृजन संस्थान’ के तत्वावधान में विगत दिनों काव्य संध्या का आयोजन और ‘साहित्य रत्न सम्मान’ एवं ‘श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान’ का आयोजन किया गया.
मुख्यअतिथि ‘दैनिक पत्रिका’ रायपुर के संपादक प्रदीप जोशी, अध्यक्षता ‘साहित्य सृजन संस्थान’ के अध्यक्ष वीर अजीत शर्मा और विशिष्ठ अतिथि सिवनी, जिला बालाघाट मध्यप्रदेश से पधारे कवि प्रणय श्रीवास्तव ‘ अश्क’ थे.
काव्य संध्या में प्रस्तुत कुछ प्रमुख झलकियां-
ज़ख्म बहुत गहरा है ,
दूध की रखवाली पर।
बिल्लियों का पहरा है।
अंधेरा आंनद में है।
सूरज वहीं पर ठहरा है।।
योगेश शर्मा योगी
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मैं समंदर हूं नदी नालों की परवाह क्यों करूं, सामने मेरी तेरी औकात क्या कुछ भी नहीं। हाजी रियाज खान गौहर,
भिलाई
सफेद बालों की अजमत पे वार क्या करते,
कि हम बुढ़ापे में नैनाविहार क्या करते।
डा, नौशाद अहमद
सिद्दीकी,भिलाई तीन,
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आखिर कहो क्यों चुप रहें हम, शांति के पोषक बनें हम,क्यों नहीं ढाए सितम हम, वीर हैं बुझदिल नहीं हम।
श्रीमती आशा झा आदर्श नगर दुर्ग
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प्यार जीवन का संगीत है,
साथ जो भी निभाये वहीं मीत है।
हो इजाज़त अगर आपकी तों कहूं,
घर बनाना दिलों में असल जीत है।।
ममता मधु खरे
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वक्त अपना है तो अपनी सहर ओ शाम हैं आज।
फ़र्ज़ करता हूं कि आराम ही आराम हैं आज।
हाॅं मगर सबसे बड़ा दुख तो यही है आलिम।
आदमियत जिसे कहते हैं वह बदनाम है आज।।
आलिम नकवी
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जिसने देखा है करीब से गरीब को।
उसके ऊंचे कभी अरमान नहीं होते हैं।
जहां पर गूंजते हैं ठहाके बुजुर्गों के।
शहर के वो मकान वीरान नहीं होते हैं।
पूर्वा श्रीवास्तव
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हम इश्क जीतें हैं बिल्कुल समाधि की मानिंद।
हमारे हिस्से में किरदार भी नहीं होते।
तुम्हारी यादों ने मारें नहीं है बंक कोई।
तुम्हारी यादों के इतवार भी नहीं होते।
सुदेश मेहर
————————————-कमा उसने बहुत दौलत, स्वयं को पाक कर डाला।
गिरेबां में लगे थे दाग़ जितने साफ़ कर डाला।
विवेक भट्ट आशा परशुराम
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छत्तीसगढ़ के मया के खदान अंव, मैं ह तीन अक्षर के शब्द मितान अंव।
इस्माईल खान, जामुल।
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ढले जब आचरण में कविता।
दीप हृदय का जल जाता है।
अंधकार की गलियों में।
भुल पथिक संभल जाता है।।
संध्या कीर्ति कुमार जैन
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कटे हजारों पेड़ छाॅंव के झगड़े में।
शहर नया बन गया गाॅंव के झगड़े में।
डा.माणिक विश्वकर्मा नवरंग
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मैं कलमकार हेतु शृंगार, तुझे गहने दिला ना पाऊंगा,
पर शब्दों के आभूषण से मैं अंग -अंग तेरे सजाऊंगा।।
अनिल राय/भारत/
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तुमको कुछ शिकायत हो ,
और कुछ भ्रम मुझको रहने दो।
कुछ तुम चुप चुप से रहना,
मुझको भी चुप रहने दो।।
विजय सुनील पांडे
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जिसके सपने संभाल रखता है।
खुद को पिंजरे में पाल रखता है।
बाप के घर को बेचने के लिए।
वो ही बेटा दलाल रखता है।।
पंखुरी मिश्रा
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मुक्कमल खयालात पैदा होने चाहिए,
दिल में भी जज़्बात पैदा होने चाहिए।
जब चले कलम सुखनवर की कभी।
वाजिब उससे हालात पैदा होने चाहिए।
अमृतांशु शुक्ला
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उसको अपना कहूॅं तो कैसे कहूॅं।
काम जो वक्त पर नहीं आता
लोग इक दूसरे के दुश्मन है
हाल अच्छा नजर नहीं आता।
सुखनवर हुसैन रायपुरी।
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ओजवान दिव्य ज्ञान, शुद्ध भावना महान ,
ध्येय ध्यान ईश भक्ति ,
राम -राम नाम है।
सुषमा पटेल
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बहुत फर्क है
राम और रावण में
जिंदगी के साथ
मरने के बाद
याद किये जाते हैं
अच्छे और बुरे काम।
जे एस उर्कुरकर
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वतन के वास्ते जिनको
यहां गोरो ने दी फांसी,
मै उन जांबाज जवानों का
वहीं बलिदान लिखता हूं।।
प्रणय श्रीवास्तव अश्क
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ढूंढ रही हूं खुशी
कहीं छुप सी गई है।
ढूंढ रही हूं हंसी
कहीं खो सी गई है
ढूंढ रही हूं बचपन
कहीं खो सा गया है
कु.सुषमा बग्गा
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दिल है मेरा, कोई किराने की दुकान थोड़ी है।
जब चाहें लौटा दो, कोई बिका हुआ सामान थोड़ी है।
अजी ठहरे थे तेरे लिए,कब तक दरबदर करोगे।
फकीर है चल देंगें, शहर में अपना मकान थोड़ी है।।
प्रदीप जोशी दीप
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बाजे नंगारा उड़त हे गुलाल, हाय उड़त हे गुलाल, बेटा पिए परे हवय ए हमर घर के हाल। जितेंद्र कुमार वर्मा, वैध, कोहका भिलाई।
काव्य गोष्ठी में, राम मूरत शुक्ला, राजेश जैन राही,
उमेश सोनी नयन
पल्लवी झा रुमा।
रुनाली चक्रवर्ती।
छबिलाल सोनी
ने भी और अंचल के प्रतिष्ठित कवियों ने काव्य पाठ कर कार्यक्रम को सफल बनाया।।
रचनाकारों का सम्मान
‘साहित्य सृजन संस्थान’ द्वारा वरिष्ठ कवि प्रणय श्रीवास्तव ‘ अश्क’ को ‘साहित्य रत्न सम्मान’ और श्रीमती रूपाली चक्रवर्ती, श्रीमती श्रृद्धा सुमन पाठक को ‘ श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान’ प्रदान किया गया.
सभागार में उपस्थित रचनाकार
संचालन श्रीमती ममता मधु खरे और योगेश शर्मा योगी ने किया.
[ • रिपोर्ट, डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘सब्र’ : प्रमुख संवाददाता ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ प्रिंट मासिक पत्रिका, वेब साइट वेब पोर्टल और यू ट्यूब चैनल ]
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