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छत्तीसगढ़ आसपास ‘बंगीय साहित्य संस्था’ कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा
👉 आड्डा में उपस्थित ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के सक्रिय सदस्य
भिलाई [भिलाई निवास इंडियन कॉफी हाउस से ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ न्यूज़ :
बांग्ला संस्कृति, सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्था ‘बंगीय साहित्य संस्था’ विगत 62 वर्षों से लौह नगरी में संचालित है. इस संस्था की नींव बांग्ला के देशव्यापी लेखक स्व. शिवब्रत देवानजी ने रखी थी, तब से अब तक अनवरत चल रही है. ‘बंगीय साहित्य संस्था’ कलेंडर वर्ष में कई आयोजन करते आ रही है. संस्था का मुखपत्र लिटिल साहित्यिक पत्रिका है ‘मध्यबलय’. ‘मध्यबलय’ के संपादक हैं दुलाल समाद्दार.साहित्यिक आयोजन की इस कड़ी में प्रत्येक शनिवार को कॉफी विथ साहित्यिक विचार- विमर्श आड्डा भी है.
👉 [बाएँ से] : प्रदीप भट्टाचार्य, रविंद्रनाथ देबनाथ, पं. वासुदेव भट्टाचार्य, प्रकाशचंद्र मण्डल, बृजश्वर मलिक, स्मृति दत्ता, गोविंद पाल और दुलाल समाद्दार
इस सप्ताह ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा’ में शामिल हुए-
‘बंगीय साहित्य संस्था’ की उप सभापति सुप्रसिद्ध लेखिका श्रीमती स्मृति दत्ता‘ संस्था के उपदेशटा व बांग्ला-हिंदी के चर्चित कवि गोविंद पाल, संस्था के उप सचिव व बांग्ला- हिंदी के गंभीर कवि, नाट्यकार प्रकाशचंद्र मण्डल, ‘मध्यबलय’ के संपादक, बांग्ला-हिंदी के प्रगतिशील कवि दुलाल समाद्दार, बांग्ला-हिंदी के लोकप्रिय कवि पल्लव चटर्जी, बांग्ला-हिंदी के ओजस्वी कवि बृजश्वर मलिक, सामाजिक चिंतक व संस्था के आजीवन सदस्य रवींद्र नाथ देबनाथ, ‘हिंदू मिलन मंदिर’ के पुरोहित व बांग्ला के कवि पं.वासुदेव भट्टाचार्य और ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के संपादक व प्रगतिशील कवि, पत्रकार प्रदीप भट्टाचार्य.
▪️ आज आड्डा में साहित्यिक विचार-विमर्श के पश्चात काव्य पाठ हुआ. सभा की अध्यक्षता गोविंद पाल ने की और कवि गोष्ठी का संचालन प्रकाशचंद्र मण्डल ने किया-
👉 कवि गोविंद पाल कविता पाठ करते हुए…
प्रकाशचंद्र मण्डल ने बांग्ला में कविता का पाठ किया. शीर्षक था ‘आहत कवि’.गोविंद पाल ने एक ग़ज़ल और एक कविता ‘सलम बस्ती के लोग’ पढ़ा. पं. वासुदेव भट्टाचार्य ने पढ़ा ‘मन के लिए समस्या’. स्मृति दत्ता ने बहुत ही मार्मिक कविता को पढ़कर सुनाया शीर्षक था ‘आमार छेलेर जन्मोदिन’. दुलाल समाद्दार ने ‘ बंगीय साहित्य संस्था’ के जन्मदाता स्व. शिबव्रत देवानजी के जन्मदिन 7 अप्रेल पर लिखी एक कविता ‘शिबू दा’ को समर्पित रचना का पाठ किया और एक कविता एसएमएस पर. पल्लव चटर्जी ने एक गंभीर कविता ‘ जोदी फिरे पेताम आबार’ याने ‘फिर जीवन मिलता मुझे’ पढ़ा. बृजश्वर मलिक ने दो मार्मिक व गंभीर हालात के संदर्भ में अपने मन के उद्गार को पढ़कर सुनाया. पत्नी को समर्पित कविता ‘महामारी रूपी कोरोना’ और ‘प्यारी बिटिया और हमारी बेटियां’ . अंत में प्रदीप भट्टाचार्य ने छोटी- छोटी मुक्तक का पाठ किया.
शोक सभा
👉 श्रीमती माधुरी विश्वास, अजय पाल और दीपक डे को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए… 🕉
▪️ अंत में विगत दिनों निधन हुए कवि सम्रेंदु विश्वास की पत्नी श्रीमती माधुरी विश्वास, गोविंद पाल के परिवार से अजय पाल और दीपक डे को सदस्यों ने विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए 2 मिनट का मौन रखा.
आभार व्यक्त रविंद्रनाथ देबनाथ ने करते हुए आड्डा की समाप्ति की यह कहते हुए कि अगले आड्डा में फिर मिलते हैं.
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