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लिव इन रिलेशनशिप में बच्चे का जन्म, पिता मुस्लिम और मां हिंदू, अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
हाईकोर्ट जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डीबी ने लिव इन रिलेशनशिप से जन्म लिए बच्चे का संरक्षण प्राप्त करने पेश की गई अपील में बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि समाज के कुछ वर्ग में लिव इन रिलेशनशिप का पालन किया जाता है, जो भारतीय संस्कृति में अभी कलंक के रूप में जारी है, क्योंकि लिव इन रिलेशनशिप एक आयातित दर्शन है, जो भारतीय सिद्धान्तों के सामान्य अपेक्षाओं के विपरीत है।
कोर्ट ने कहा कि विवाहित पुरुष के लिए लिव इन रिलेशनशिप से बाहर निकलना बहुत आसान है। मामले में अदालत इस संकटपूर्ण लिव इन रिलेशनशिप के उत्तरजीवी और इस रिश्ते से पैदा हुए बच्चे की कमजोर स्थिति के प्रति अपनी आँखें बंद नहीं कर सकती है।
कोर्ट ने मुस्लिम ला में चार शादी की अनुमति होने के तर्क पर कहा इसके लिए सामान्य नियम है। इसमें पहली पत्नी से तलाक होना चाहिये और यह मुस्लिम रीति को मानने वालों के बीच होना चाहिए। मामले में दूसरा पक्ष हिन्दू है और उसने अपना धर्म नहीं बदला है। मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया है।
दंतेवाड़ा निवासी शादीशुदा अब्दुल हमीद सिद्दिकी करीब तीन साल से एक हिंदू महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में था। साल 2021 में महिला ने धर्म परिवर्तन किए बगैर उससे शादी कर ली। पहली पत्नी से उसके तीन बच्चे हैं। हिंदू महिला ने अगस्त 2021 में बच्चे को जन्म दिया। 10 अगस्त 2023 को महिला अपने बच्चे के साथ गायब हो गई।
इसके बाद अब्दुल हमीद ने 2023 में ही हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई। जिस पर सुनवाई के दौरान महिला अपने माता-पिता और बच्चे के साथ पेश हुई। महिला ने कहा कि वह अपनी इच्छा से अपने माता-पिता के साथ रह रही है। बच्चे से मिलने नहीं देने पर अब्दुल हमीद ने फैमिली कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया। जिसमे कहा गया, कि वह बच्चे की देखभाल करने में सक्षम है, लिहाजा बच्चा उसे सौंपा जाए।
कोर्ट ने आवेदन खारिज कर दिया था। इस पर उसने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में महिला ने तर्क दिया कि विवाह को साबित नहीं कर पाने पर याचिका खारिज हो गई। इसके बाद उसने बच्चे का संरक्षण प्राप्त करने अपील पेश की थी। कोर्ट ने पहली पत्नी से तीन बच्चे होने व लड़की के अपने बच्चे का पालन पोषण करने में सक्षम होने पर अपील खारिज कर दी है।
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