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विशेष : सौभाग्य जगाथे- अक्ति तिहार- डॉ. नीलकंठ देवांगन
छत्तीसगढ़ मं अक्ती के तिहार शुभ संकल्प भाव से मनाय जाथे | किसान मन खेती किसानी के काम इही दिन ले शुरू करथें | लोटा या बरतन मं पानी भरके ओमा लीम के पाना (छोटे डंगाली) बोरके ठाकुर देवता समेत गांव के सबो मान्य देवी देवता अउ मंदिर मं विराजित देवी देवता मन ल जल अर्पित कर ( छिड़क के ) आशीर्वाद लेके शुभ काम शुरू कर थें | कोनो कोनो गांव मं किसान मन अपन घर ले बिजहा धान लेके एक जगा सकलाथें | बैगा ह धान के बीज ल अभिमंत्रित करके किसान मन ल बांटथे | उही बीज ल किसान मन अपन खेत मं जाके धान बोय के बोहनी करथें | येला ‘मूठ धरना’ घलो कहिथें | खेत मं किसान मन अपन नांगर के मूठ धरके खरीफ फसल के बीज बोनी शुरू करथें | अक्षय तृतीया ( अक्ति,अकती,अक्ती, आखा तीज) बैसाख महीना अंजोरी पाख के तीज के दिन आथे | ये दिन जवुन भी काम किये जाथे, सब सफल होथे, विघन बाधा ले दूर होथे, मन चाहा होथे, काम मं रुकावट नइ आवय | येला अबूझ मुहूरत माने जाथे | संस्कृत मं ‘ न क्षय: इति अक्षयः कहिथें | ‘ जिसका नाश नहीं होता वह अक्षय है | वइसे साल मं चार दिन अइसे हे जेमा शुभ काम करे खातिर लगन मुहूरत निकाले के जरूरत नइ पड़य | ये दिन हे- रथ यात्रा, गनेश चतुर्थी, राम नवमी, अक्षय तृतीया | येला मनोकामना के पूर्ति, सपना पूरा होय के, दुर्भाग्य ल सौभाग्य मं बदले के दिन केहे जाथे | जिनगी मं अटके काम बन जथे, सफलता के दुवार घलो खुल जथे | येखर सेती येला ‘सौभाग्य दिवस’ केहे जाथे |
शुभ काम करे के अच्छा दिन- ये दिन शुरू करे सब काम पूरन फलदायी होथे | शादी बिहाव बर तो ये दिन सबले अच्छा माने जाथे | सबले जादा बिहाव इही दिन होथे | ये दिन धार्मिक महत्व के संग व्यापारिक वैभव बढ़ाय के शुभ अवसर होथे | किसान मन इही दिन देवालय मं धान चढ़ाके धान बोय के शुरूआत करथें | ये दिन ल देव लगन मानथें |
संपत्ति खरीदे के शुभ अवसर- ये दिन सोना खरीदना बहुत शुभ माने जाथे | सोना के बने गहना,जमीन जायदाद, मकान खरीदना, घर बनाना, नवा घर मं प्रवेश करना, पूजा पाठ करना आज के दिन उत्तम माने जाथे |
दान पुन्न के बड़ महत्व- ये दिन स्नान, दान पुन्न, जप होम के बड़ महत्व होथे | ये दिन के दिये दान पुन्न के नाश नइ होवय बल्कि मरे के बाद कई गुना बढ़ के मिलथे | जरूरत मंद मन ल जरूर दान देना चाही | बसंत ऋतु के बिदाई अउ गरमी के चढ़ती मं ये तिहार आथे | तेखर सेती गरमी ल शांत करइया चीज जादा दान देना चाही- कुल्हड़, सकोरा, छाता, पंखा, पहिरे ओढ़े के, खाय पिये के सामान | गाय, भूमि, सोना के दान शुभ माने जाथे | सबले जादा पुन्न कन्या दान के बताय गे हे | कहूं बिहाव के लगन नइ मिलथे , त इही दिन बिहाव करके कन्या दान के महा पुन्न पा सकथें | गरीब कन्या के कन्यादान कर के खुद के बेटी के जिनगी ल सुख,समरिद्धि, खुशी से भरपूर कर सकथें |
दान पुन्न अउ शुभ काम करे खास तौर ले अक्ती के दिन श्रद्धा के साथ बाम्हन मन ल दान दक्षिना देके, पितर मन ल तरपन करे अउ विधि विधान ले भगवान के पूजन करे के फल रूप मं शाकल नगर के धरमदास वैश्य ह अगले जनम मं द्वारका के कुशावती नगर के राजा बन गे रिहिसे | ये दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी के पूजा उपासना के विधान हे | एखर ले सुख शांति अउ समरिद्धि आथे | बाम्हन मन ल सेंधा नमक के दान करे ले पितर मन के कृपा मिलथे |
सुख कामना के परब – ये दिन वरत पूजा करे ले जिनगी मं खुशहाली आथे | सब सुखी रहयं ,स्वस्थ रहयं, सबके कल्यान होवय अइसन भावना, कामना अउ परार्थना करे के परब आय | भिन्सरहा उठके नहा धो के मां लक्ष्मी अउ भगवान विष्णु के पूजा करे ले गृहस्थ जीवन मं समरिद्धि अउ खुशहाली आथे, धन धान्य के बढ़ोत्तरी होथे | शिव पार्वती के पूजा के भी खास महत्व हे | रोग शोक दुख दारिद भागथे, सुख शांति आथे |
ये दिन पुरखा मन ल तिल अर्पन करे ले उंखर आत्मा ल शांति मिलथे, किरपा बरसथे | कहूं कहूं तो तरिया या नदिया के तीर मं उरई घास के पौधा ल गड़िया के नवा करसी या तांबा के चरू मं पानी भरके रितोथें | पुरखा मन ल पानी देथें |
पुन्य फलदायी अउ सुख समरिद्धि के बढ़इया – ये परब ह लोगन मन के जिनगी मं सुख समरिद्धि बढ़इया अउ बड़ पुन्य फल देवइया हे | ये दिन शुभ कारज करके अपन पुन्न के खाता ल बढ़ाना चाही जेखर ले घर परिवार मं सुख शांति अउ समरिद्धि बने रहय | सबके स्वास्थ्य ठीक रहय |
इही दिन संझउती बेरा गांव के लोगन मन एक जगा सकलाके नवा बछर बर पौनी पसारी – सौंजिया पहाटिया, उजियार, मरदनिया के नियुक्ति बेवस्था घलो करथें |
इही दिन नवा करसी के ठंडा पानी पिये के शुरुआत करथें | आमा टोरे के अउ खाय के , चुंहके के मजा घलो लेथें | आजकल तो अक्ती के इंतजार नइ करैं, पहिली ले करसी के पानी पिये के शुरू कर देथें | आमा टोरे, खाय अउ चटनी अथान डार के उदिम घलो कर डारथें | फेर हमर पुरखा मन ये बेवस्था, परंपरा ल बनाय रिहिन हें |
छत्तीसगढ़ बर खास- छत्तीसगढ़िया मन धरम करम मं जादा विश्वास करथें | देवी देवता ल मनाथें | हर परब तिहार ल लोक परंपरा के निरबाह करत श्रद्धा के साथ जुरमिल के मनाथें, निभाथें | इहू तिहार मं इही भाव दिखथे |
पुतरा पुतरी के बिहाव- ये दिन पुतरी पुतरा के ब्याह रचा के सबो नेंग-जोग बिधि बिधान ले करके बिहाव संस्कार ल समाज मं प्रवाहित करथें | लइका मन ये दिन बहुत खुश रथें | ये दिन के ओमन इंतजार करत रहिथें | पास पड़ोस के घर वाले मन ल बिहाव के नेवता देथें | सियान मन खास करके माई लोगिन मन आके टिकावन टिकथें | सुग्घर मड़वा सजा के खेले खेल मं घराती बराती के हिस्सा बनथें |
येमा पुतरा पुतरी के बिहाव रचाय जाथे | एखर आड़ मं नाबालिक लड़का लड़की के बिहाव मत होवय, एखर खियाल जरूर रखैं |
किसान मन इही दिन ले अपन खेती किसानी के काम मं मानसिक अउ शारिरिक रूप ले लग जथें | ये दिन के महत्व ल जनइया मन करसी मं पानी भर के ठंडा पानी पिये के शुरुआत इही दिन ले करथें |
परशुराम के जनम इही दिन होय रिहिसे | ओखर जयंती घलो मनाथें | पिता महर्षि जमदग्नि अउ माता रेणुका के पुत्र परशुराम ल भगवान विष्णु के छठवां अवतार माने जाथे | इही दिन मां गंगा धरती मं पदारपन करे रिहिसे | सतयुग अउ त्रेतायुग के आरंभ इही दिन होय रिहिसे | अक्ती के पवित्र तिथि ल अनंत, अक्षय अउ अक्षुन्न फल देवइया केहे गेहे |
👉 डॉ.नीलकंठ देवांगन
• संपर्क-
• 843 555 2828
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