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समीक्षा : ‘यज्ञ प्रश्न’ लेखिका रेनू श्रीवास्तव

12 months ago
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रेनू श्रीवास्तव मूलतः
शहडोल म.प्र की मूल निवासी हैं ,का
यह पहला कहानी संग्रह है । इस कहानी संग्रह में कुल पाँच कहानियां
अनुक्रम से यक्ष प्रश्न , लिव इन रिलेशनशिप , लाँकडाउन , उतरती
धूप ऐवं चरित्रहीन शीर्षक से लिखी
व संकलित की गई है ।
स्वयं रेनू श्रीवास्तव जी के शव्दों
में यक्ष प्रश्न हमारे चारों तरफ फैली
मान्यताओं, विचारों, और धटनाओं
का स्वरुप है । अपने इर्द गिर्द जहाँ
दृष्टि गई यक्ष प्रश्न ने अपना ताना बाना
बुना । इस कथा संग्रह की प्रत्येक
कहानी ने मुझे उद्धेलित किया । यक्ष
प्रश्न की गिन्नी जो उम्र के उस अनुभवहीन मोड़ पर जहाँ भावनायें
ही भावनायें होती हैं गलत निर्णय ले
कर ऐक छोटी सी चूक कर बैठती है ,
परिणाम स्वरूप उस का जीवन
बिषाक्त हो जाता है तो मेरा मन
प्रश्न करता है इस का उत्तरदायी
कौन ?
लिव इन रिलेशनशिप की नायिका
मेधा अपना पूरा जीवन अपनी संतान
के लिये जी कर गुजार देती है और
उम्र के उस ठहराव में जहाँ उसे सर्वाधिक संबल की आवश्यकता
होती है वो अकेली पड़ती है और
ऐसी परिस्थिति में यदि उसे कोई
खुशियाँ देता है तो गलत क्या है ?
युवा पीढ़ी के लिये रोजमर्रा की हुई
बात यदि अभिवावक करे तो वह
सब के साथ बच्चों की नजर में भी
गलत क्यों ?
और इसी क्रम में लाँकडाउन के
दौरान जीवन में कितने अमूलचूल
परिवर्तन हुऐ । लोगों का जीवन के
प्रति दृष्टिकोण ही बदल गया इस
दौरान इस कहानी की नायिका जिस का प्रेम पर से विश्वास ही उठ गया था
उसे प्रेम ऐवं जीवन का नया स्वरूप
समझ आता है वह गलत है या सही
? यह प्रश्न शेष रह ही जाता है ।
इसी प्रकार उतरती धूप की
नायिका सुमी वर्तमान की आपा धापी
और नीरस जिंदगी से ऊब कर अपने
विस्मृत प्रेम को ढूढ़ती है और निराश
होती है तब पुनः ऐक प्रश्न उठता है
कि इस मशीनी युग में प्रेम है कहाँ ?
अब बात करें चरित्रहीन की
नायिका तापसी की ऐक पढ़ी लिखी
सभ्य सुसंस्कृत युवती जो अपनी
इच्छानुसार अपना कठिन जीवन
अपने तरीके से जी रही है तो
समाज की तथाकथित अच्छी औरतें
उस का आकलन क्यों करें ? कौन
होती है वो उस के बिषय में अच्छा
या बुरा बोलने बाली ? तापसी
जैसी नायिकाओं को मापने का
पैमाना तय करने वाले हम होते
कौन है ?
इस तरह हम देखते है कि
पाँचों कहानियों के केन्द्र बिंदु में
प्रेम है व कथा लेखिका रेनू जी
ने नायिकाओं के माध्यम से प्रेम के
संदर्भ में उन वर्जनाओं के प्रति गंभीर
प्रश्न खड़े किये जो वर्जनायें नारी को
नैसर्गिक प्रेम से अभी तक बंचित
किये हुये हैं । सभी कहानियों की
भाषा सरल सुबोध व हृदयस्पर्शी
है ।
इस कहानी संग्रह की ऐक कहानी
उतरती धूप को शंभूनाथ विश्वविद्यालय शहडोल के किसी
पाठ्यक्रम में सम्मिलित भी किया
गया है । रेनू जी का यह कहानी संग्रह
सुनिश्चित ही पठनीय व संग्रह करने
योग्य है । मै रेनू जी को इस प्रथम
कहानी संग्रह के लिये हार्दिक बधाई
व शुभकामनाएं देते हुऐ आशा करता
हूँ भविष्य में हमें उन की कलम से
निसृत कुछ अन्य कहानी संग्रह
पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त होगा ।

• समीकक्ष-
• डॉ. शिवसेन जैन ‘संघर्ष’

• प्रकाशक-
• इंक पब्लिकेशन, प्रयागराज

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