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छत्तीसगढ़ आसपास, संयंत्र की खबरें[ हर किसी की जिंदगी से जुड़ा हुआ है सेल ]
भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकारियों के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन
सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के भिलाई प्रबंधन विकास केंद्र (बीएमडीसी) में 27 और 28 जून 2024 को बीएसपी के ई2 से ई7 ग्रेड अधिकारियों के लिए “इन्हेन्सिंग इनोवेशन एंड क्रिएटिविटी”विषय पर दो दिवसीय विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस सत्र में कुल 24 अधिकारीगण भाग ले रहे हैं। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में कार्यपालक निदेशक (खदान) श्री बी के गिरी उपस्थित थे।
अपने संबोधन में श्री गिरी ने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया और कंपनी की ट्रिपल बॉटम लाइन को बढ़ाने के लिए पर्यावरण संरक्षण और हरित इस्पात के उत्पादन में नवाचार के महत्व पर प्रकाश डाला| उन्होंने प्रतिभागियों को रचनात्मकता और नवाचार के माध्यम से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। पूर्व निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन), शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और पूर्व कार्यपालक निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन, सेल), श्री एसपीएस जग्गी ने कार्यक्रम का संचालन किया| श्री एसपीएस जग्गी ने कार्यस्थल पर व्यक्ति द्वारा नवाचार की प्रक्रियाओं को अनलॉक करने में उठाए जाने वाले छोटे प्रयासों पर जोर दिया, जो नवाचार की संस्कृति को जन्म देने में सक्षम है|
महाप्रबंधक (एचआर- एलएंडडी) श्री संजीव श्रीवास्तव ने अपने वक्तव्य में प्रतिभागियों से इस कार्यक्रम में प्राप्त सीख को अपने कार्यस्थल पर विवेकपूर्ण तरीके से लागू करने का अनुरोध किया और संगठन में व्यवसायिक मान्यता में नवाचार के महत्व पर बल दिया।
यह कार्यक्रम समूह कार्यों, गतिविधियों और लघु फिल्मों के साथ इनोवेशन और क्रिएटिविटी को समझाने, मिथकों, बाधाओं की पहचान करने, उन्हें दूर करने के तरीकों और कार्य योजना की तैयारी आदि के साथ प्रतिभागियों के लिए लाभदायक रहा| यह इस वित्तीय वर्ष 2024-25 का पहला कार्यक्रम है और कुल 126 स्व-प्रेरित अधिकारियों के कवरेज के साथ श्रृंखला का पांचवां कार्यक्रम है। कार्यक्रम के सफल आयोजन में बीएमडीसी स्टाफ की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
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बीएसपी सीएसआर द्वारा आयोजित त्रैमासिक जूट शिल्प प्रशिक्षण का समापन
सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग द्वारा संयंत्र एवं संयंत्र की खदानों के परिधीय ग्रामों में अनेक प्रकार के रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इसी कड़ी में निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग, भिलाई इस्पात संयंत्र के तत्वाधान में महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत आदर्श इस्पात ग्राम अंडा में छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के माध्यम से विगत तीन माह से संचालित ‘जुट प्रशिक्षण कार्यक्रम’ का समापन 26 जून 2024 को किया गया। समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उप महाप्रबंधक (कांट्रेक्ट सेल) श्रीमति रेणु गुप्ता थी। साथ ही विशिष्ट अतिथि के रूप में महाप्रबंधक श्री शिवराजन (सीएसआर) तथा प्रबंधक (छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड) श्री सीएस केहरी उपस्थित थे।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीमति रेणु गुप्ता ने प्रशिक्षणार्थियों द्वारा बनाए गए जुट शिल्प की सराहना एवं उनका उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि यह सामग्रियां बेहद आकर्षक होने के साथ-साथ, आप इनको व्यवसायिक परिपेक्ष्य से बाज़ार में विक्रय कर आर्थिक लाभ उठा सकती हैं एवं अपने परिवार की आमदनी को बढ़ा सकती हैं। महिलाएं जब घर के प्रत्येक कार्य को कुशलतापूर्वक कर सकती हैं तो वे किसी भी काम को करने में सक्षम है। आज महिलाएं इस जुट शिल्प प्रशिक्षण को प्राप्त कर एवं इसे स्वरोजगार के रूप में अपनाकर क्षेत्र की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेंगी तथा अन्य लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराएंगी।
विदित हो कि भिलाई इस्पात संयंत्र के निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग द्वारा ग्राम अंडा में दिनांक 04 मार्च 2024 को यह प्रशिक्षण कार्यक्रम छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के सहयोग से प्रारंभ किया गया था। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से गांव की 30 महिलाओं को प्रशिक्षण के साथ तीन महीने की अवधि तक 3,000/- रुपये मासिक स्टाइपेड (मानदेय) भी प्रदान किया गया।
वरिष्ठ प्रबंधक (सीएसआर) श्री सुशील कुमार कामड़े द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। कार्यक्रम का संचालन उप प्रबंधक (सीएसआर) श्री केके वर्मा द्वारा तथा कार्यक्रम का संयोजन सहायक (सीएसआर) श्री बुधेलाल एवं श्री आशुतोष सोनी, श्री शरद कुमार साहू एवं छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के श्री नितेश कुमार द्वारा किया गया।
उल्लेखनीय है कि जूट एक बहुमुखी प्राकृतिक रेशा है जिसमें सुनहरी और रेशमी चमक होती है, इसलिए इसे ‘सुनहरा रेशा’ भी कहा जाता है। जूट से विभिन्न वस्तुओं के निर्माण की कला, जूट शिल्प कहलाती है| जिससे अनेक उपयोगी सामान जैसे बैग, कई तरह के झूले, फोल्डर, बोतल कवर, चाय के कोस्टर, गुड़िया, दीवार पर लटकाने वाली वस्तुएँ, पेन होल्डर, डोर मैट, बेल्ट और यहाँ तक कि मोबाइल कवर भी जूट से बनाए जाते हैं। कृषि और औद्योगिक उत्पादों के लिए विभिन्न प्रकार की पैकेजिंग सामग्री के निर्माण में भी इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
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बीएसपी अधिकारी की पत्नी श्रीमती सावित्री जंघेल ने डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की उपाधि प्राप्त की
भिलाई इस्पात संयंत्र के कनिष्ठ अधिकारी (आरसीएल) श्री चैन दास जंघेल की पत्नी श्रीमती सावित्री जंघेल ने, शोध निर्देशक डॉ बनिता सिन्हा, विभागाध्यक्ष (शिक्षा संकाय, कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भिलाई नगर, दुर्ग) के मार्गदर्शन में, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग से डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की उपाधि प्राप्त की। शोधकर्ता डॉ सावित्री जंघेल, आर्यावर्त शिक्षा महाविद्यालय रूआबंधा, भिलाई नगर, दुर्ग (छ.ग.) में शिक्षा संकाय की सहायक प्राध्यापक हैं। डॉ सावित्री जंघेल ने “योगाभ्यास का शिक्षकों की रक्षा युक्ति एवं कक्षाकक्ष व्यवहार पर प्रभाव का अध्ययन” विषय पर शोध कार्य किया।
शोध कार्य के लिए, छत्तीसगढ राज्य के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ विकासखंड और खैरागढ़ विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय के 120 शिक्षकों को लिया गया था। प्राथमिक स्तर के शिक्षकों को तीन महीने तक योगाभ्यास में आसन, प्राणायाम, ध्यान का अभ्यास कराया गया। शोध कार्य से यह निष्कर्ष प्राप्त हुआ कि योगाभ्यास करने से शिक्षक शारीरिक और मानसिक रूप से सुदृढ़ होता है। वह वास्तविक स्थितियों का सामना करने के लिए मजबूत बनता है और वह वास्तविकता से पलायन करने वाली रक्षा युक्ति का कम उपयोग करता है।
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