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लोक-जीवन, साहित्य और संस्कृति की पत्रिका ‘अगासदिया’ के 100 वें अंक की समीक्षा : संपादक- डॉ. परदेशीराम वर्मा : समीक्षक- प्रदीप भट्टाचार्य
डॉ. परदेशीराम वर्मा मेरे निवास आए और ‘अगासदिया’ के 100 वें अंक की प्रति मुझे ससम्मान भेंट किए. ‘अगासदिया’ के सभी अंक मेरे पास सुरक्षित है. 112 पृष्ठों की ‘अगासदिया’ [मई- जुलाई, 2024 : 100वां अंक] पूरी लगन व रुचि के साथ पढ़ा. विगत 1 माह से मैं फुल बेड रेस्ट में हूँ, कारण 27 जुलाई को डॉ. दीनदयाल साहू द्वारा आयोजित एक साहित्यिक कार्यक्रम में गया था, वहीं मेरी तबियत कुछ खराब होने लगी. मेरे साथ प्रकाशचंद्र मण्डल भी थे. कार्यक्रम समाप्ति के बाद मैं और प्रकाश घर चले आए. 2 अगस्त को भिलाई के प्लस हॉस्पिटल में इंज्योप्लास्टि हुआ. अब डॉक्टर की सलाह पर बेड रेस्ट में हूँ और खूब किताबें पढ़ रहा हूँ.
डॉ. परदेशीराम वर्मा ने 100वें अंक के संपादकीय में लिखा-
1999 में ‘अगासदिया’ संस्था का गठन हुआ. संत पवन दीवान और दाऊ वासुदेव चंद्राकर की प्रेरणा से हम सबने मिलकर इस संगठन को साहित्य, संस्कृति, लोककला और छत्तीसगढ़ की रचनात्मक पीढ़ियों के लिए स्वरूप दिया. संत कवि पवन दीवान के आदेश के बाद ‘अगासदिया’ का प्रथम अंक 2008 को निकला.
‘अगासदिया’ के 100वें अंक में पठनीय सामग्री भरपूर है. छपाई और टंकण की कमियाँ देखने को मिली. इन सबके बावजूद मैं यही कहूंगा कि अंक को सहेज कर रखा जा सकता है. संपादक डॉ. परदेशीराम वर्मा द्वारा लिखित आलेखों की भरमार है. संपादक द्वारा एक ही अंक में इतने लेख का होना मेरे ख्याल से उचित नहीं है.
‘आशा जगाने वाले विनम्र जनसेवक मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय : बगिया के लाल और माँ के सपूत’/’असहमति को भी भरपूर मान देने वाले उदार जननेता, सबको मान देने वाले राजनेता- डॉ. रमन सिंह’/’व्यक्तित्व विनय और श्रद्धा से अपना नाम सार्थक करने वाले विद्वान राजनेता डॉ. चरणदास महंत’/’छत्तीसगढ़ भाषा, संस्कृति और स्वाभिमान के लिए लड़ने वाले डॉ. खूबचंद बघेल’/’संत और महंत की पूछ सदा नहीं होती’/’संत पवन दीवान का अंतिम वाक्य नई बाँचव तइसे लागथे’/’क्रांतिकारी आदिवासी सपूत हीरा सिंह देव उर्फ कांगला मांझी’/’समाज का इतिहास- बद्री प्रसाद पारकर’ और ‘अंचल के यशस्वी नेत्र विशेषज्ञ- डॉ. बीपी शर्मा’. ये सभी आलेख डॉ. परदेशीराम वर्मा के नाम से छपे हैं. खास बात इसमें ये भी है कि डॉ. परदेशीराम वर्मा का नाम हेडिंग में और आलेख के अंत में भी दिया गया है. ये जरूरी नहीं था.
‘अगासदिया’ के 100वें अंक में इनके भी लेख/कविता/संस्मरण शामिल किए गए हैं. रचना के साथ लेखकों का परिचय आधे-अधूरे प्रकाशित किए गए हैं, जबकि रचना के अंत में खाली जगह पर्याप्त छूटे हैं.
* वो बारिश वाली रात
डॉ. सोनाली चक्रवर्ती
* टाटामारी : प्रकृति का अलौकिक सौंदर्य
रमेश वर्मा
* स्टंट
अरुणिमा शर्मा
* राष्ट्रप्रेम
भुवनलाल श्रीवास स्नेही
* लोकतंत्र और हमारा देश
राधेश्याम सेन
* किसी को मत बताना
भोलाराम सिन्हा
* रहीम साहित्य एक उज्ज्वल दर्पण
विवेक वर्मा
* ननिहाल की छत
अंशुमन रॉय ‘राजा’
* मेरे अंग्रेजों! नई पीढ़ी के लिए क्या छोड़कर जाएंगे? नंदिनी के हेस त मोर गांव देमार
किशनलाल
* रंग संवाद से : बहार बेचैन है उसकी धुन पर
अश्विनी कुमार दुबे
* सरकारी स्कूल में पढ़कर कलेक्टर कमिश्नर बना
एम एस पैकरा
* लेखनी में जीवनी
नासिर अहमद सिकंदर
* सबके हित में अपना हित
खुशबू वर्मा
* आत्मकथात्मक उपन्यास
डॉ. रघुनंदन सिंह धुरव
* आदिवासी जीवन प्रसंग : मुर्गा वही था
जी आर राना
* निबंध : आधुनिकता की बलि चढ़ता एक लोक खेल
दिनेश चौहान
* विचार : राम की शक्तिपूजा
अजय चंद्रवंशी
कविताएं :गज़लें आनंद सिंघनपुरी/जितेंद्र सुकुमार/नूतन लाल साहू/ डॉ.मुन्नालाल देवदास/डॉ. अशोक आकाश/महाबीर चंद्रा/डॉ. अजय पाठक/सतीश सिंह/सुखदेव सिंह आहि लेश्वर/बन्धु राजेश्वर खरे/सनत कुमार चौहान/समयलाल विवेक/सात्विक श्रीवास्तव/चोवाराम वर्मा ‘बादल’/काशीपुरी कुंदन/डॉ. शिरोमणि माथुर/नरेंद्र कुमार कुलमित्र और अब्दुल कलाम.
‘अगासदिया’ 100 अंक संसार के महान कलमकार मुंशी प्रेमचंद को समर्पित किया गया है.
इस अंक के विशेष सहयोगी संपादक में दिनेश चौहान का नाम अंकित है. सह संपादक- रमेश वर्मा, विवेक वर्मा, स्मिता वर्मा और सहयोगी- महेश कुमार वर्मा, राजेंद्र साहू, नारायण चंद्राकर और डॉ. अशोक आकाश हैं.
• मूल्य : 100 रु.
• प्राप्त करने का पता-
[ डॉ. परदेशीराम वर्मा, एलआई जी-18, आमदी नगर, भिलाई- 490009, जिला- दुर्ग, छत्तीसगढ़ : संपर्क- 98279 93494 ]
• संपर्क –
• डॉ. परदेशीराम वर्मा : 9827993494
• प्रदीप भट्टाचार्य : 9424116987
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