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समीक्षा : दास्ताँ-ए-कलम, लेखक- नरेंद्र प्रताप पाठक ‘अभाषित’ : पुस्तक परिचय, पुनम पाठक ‘बदायूं’
‘दास्तां-ए-कलम’ एक एहसास है।भाव है। अनुभव है।दुख -दर्द मानवीयता कल्याण न जाने क्या-क्या है। जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि। कलम की दास्तां के न जाने कितने रूप हो सकते हैं।
पुस्तक “दास्तां ए कलम “लेखक नरेंद्र प्रताप पाठक N. P.Pathak Ji का काव्य रचना स्रोत है।पुस्तक में वैसे तो 108 रचनाएं हैं।पुस्तक लेखक की धर्मपत्नी को समर्पित है।समर्पण भाव एक रचना के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
पुस्तक गणपति और मां शारदे की स्तुति से प्रारंभ होती है। पुस्तक में गीत,ग़ज़ल, नज़्म, कव्वाली साहित्य की कई विधाएं हैं।
पुस्तक में क्या है यह जानने के लिए कुछ रचनाएं इस प्रकार हैं………..
रचना 3″दासतां ए कलम “के माध्यम से जीवन, प्रकृति,देशभक्ति को परिभाषित किया है……..
” सर जमी जो पड़े, जिंदगी- एक -कदम।
साथ लेकर के आए,खुशी रंजोगम।
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सारे मौसम का मेला,लगे है जहां
तत्व,जल, थल हवा -ओ -गगन के शमां।
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एक पन्ने महकता,किसान -ओ-जबान।
एक तिरंगे तले,मेरा हिंदोस्तान।”
पलक, बसंत आगमन,कलम आदि सुंदर रचनाओं के बाद रचना 10 “राष्ट्रभाषा हिंदी” दर्शाती है किकवि को अपनी राष्ट्रभाषा से बहुत प्रेम है….
” हिंदी भाषा भारत आन बान शान।
साहस शांति शुभता तिरंगा मान।”
रचना 14 “कागज कलम और शायर “में शायर और शायरी के प्रकार बताते हुए कवि ने कहा है……
“कोरे कागज का कलम से सिंगार किया।
एक शायर ने,लफ्जों संग प्यार किया।”
रचना 18 “खूंटा( मोबाइल )”के माध्यम से कवि ने मोबाइल से बंधे रहने वालों को नसीहत दी है…….
” मोबाईल नामक खूंटे से, मानव के हाथ बंधे अपने।
पग -पग पर गुरु बने खूंटे,करने पूरण मेरे सपने। ”
रचना 23 “तीरगी (गीत )के माध्यम से कवि ने शिक्षा दी है अंधेरों से दूर रहा जाए…..
” तम में तिमिर की तीरगी,तराश्ते रहे।
हम अंधेरों के इर्द गिर्द नाचते रहे। ”
खूबसूरत रचना 27 “सरगम में सृष्टि “के माध्यम से मां सरस्वती को मनाने की सलाह दी है।सात सुरों से परिचय कराया है।
दिल की कश्ती,करवा चौथ,इश्क जैसी रचनाओं के बाद रचना 32 “सुखनबर” के माध्यम से बताया है कि सब का भाव और तरीका अलग होता है……….
” सुखनसाज,सुखन फहम, सुखन कलम की वसीयत है।
ना मुमकिन को मुमकिन बनाना उसकी इल्मियत है।
गुनाह राह से, नेकी पनाह से लाना जिसकी नसीहत है।
हर सुखनबर का अलग अंदाज अलग कैफियत है। ”
इश्क,दो कदम,श्री राम अवध में पधारे,रात भर शहर रोता रहा,तेरे बाद आदि रचनाओं के बाद रचना 50 “आचरण /उदाहरण /अनुकरण/ शरण “के माध्यम से सच्चे रास्ते पर चलने की सलाह दी है………..
” कलियुग मति,गति,भ्रमति बरामती आचरण के पल ये।
महाभारत के अवगुण,मार्गदर्शन उदाहरण के लिये।
रामचरितमानस के समष्टि गुण अनुकरण के लिये।
वेद,पुराण,गीता सनातन शाश्वत सत्य शरण के लिये। ”
नववर्ष,सावन,तेरी दोस्ती जैसी प्रभावी रचनाओं के बाद रचना 58 “मर्द” पुरुष को इम्तिहान बताती है। वह मुसीबत का सामना करता है……
“तौहमतें हमसफर जो दे,तो औलाद भी क्या कम।
मशक्कत लाख हो लेकिन,घुटा अरमान होता है।”
देवता,जीवन, वफा की चाह,प्रेम सम्मान बिन, बुजुर्गों का सम्मान रचनाएं पाठन निरंतरता बनाती हैं।
रचना 77 “देश” दर्शाती है कि कवि को देश से बहुत प्रेम है। जिससे जनमानस को देशभक्ति की प्रेरणा मिलती है।
रचना 78 “आदमी एक जिंदगी दो “बताती है जगह बदलने पर महत्व बदल जाता है चाहे व्यक्ति या वस्तु वही है……….
“कागज एक बनाया,जिंदगी दो मिलीं उसको। एक को जाना रद्दी में,एक को रहना तिजोरी में।
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बहुत आयाम हैँ ऐसे,बात तो एक ही सबकी। किसी की रहती उथली में, कोई ले जाता गहरी में।”
कौन जाने यहां,खयाल ए जिंदगी,साकी के बाद रचना 93″आतिशे गम (गजल )में लोभ,मिथ्या, अरमान मौत को बयां करते हुए कहा है………..
“आतिशे गम भुला न सके,आप फिर मुस्कुराना न सके।
दर्द दिल का बता न सके,आप फिर मुस्कुरा न सके।
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कौन किसकी सुने दास्तां,जमीन, मिट्टी,हवा आसमां।
क्षितिज में गोद पा न सके,आप फिर मुस्कुरा न सके।”
रचना 96 “लरज़ते आंसू (ग़ज़ल) बहुत सुंदर रचना है………..
” जिंदगी जीने के उनके तरीके सब सुनहरे रहे।
खुशी और गम में भी,सलीकों के पहरे रहे। ”
रचना 108 “जीवन और मृत्यु “जो अंतिम रचना है पुस्तक की।कहती है सावन के आने पर मानो जिंदगी मिल जाती है…….
“अंबर से बदरी के धरती पर लगे कान।
खेतों की हरियाली, भूखे की बनी जान।
श्रावण ऋतु की तो वाट देखते नदी पहाड़।
सूखे वट वृक्षों को,मिला हो जैसे प्राण दान।”
पुस्तक में उर्दू शब्दों का अधिक से अधिक प्रयोग किया गया है। जो पुस्तक की सुंदरता को और भी बढ़ा रहे हैं।”दास्तां- ए -कलम” पुस्तक महज एक पुस्तक नहीं है।व्यक्ति है।समाज है।देश है।भावों की कथा है।
पीड़ित की व्यथा है।बहुत कुछ है “दास्तां- ए -कलम “।
पुस्तक पढ़ने पर अच्छा एहसास हुआ। निश्चित ही पाठकगण पढ़ने के बाद औरों से चर्चा करें बिना नहीं रह सकते।
• पुस्तक : दास्तां-ए-कलम
• लेखक : एन पी पाठक
• प्रकाशक : यूनिक फील
• पृष्ठ : 118
• संपर्क-
• 97192 33149
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