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घर, जमीन, ट्रेनिंग और भत्ता… अमित शाह की ‘अटैकिंग’ नीति के बीच छत्तीसगढ़ में नक्सलियों को सरेंडर ऑफर!
रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के सफाए को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कठोर नीति अपनाई है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में अतिरिक्त सुरक्षा बलों को भी उतार दिए हैं। इसके साथ ही अमित शाह ने मार्च 2026 तक इसके लिए डेटलाइन तय की है। शाह की आक्रामक नीति के बीच छत्तीसगढ़ सरकार सरेंडर ऑफर लेकर आई है। इसके तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों घर, जमीन और भत्ता सरकार दे सकती है। इसे लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने योजना बनाई है। इस ऑफर से हथियार डालने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
केंद्र को भेजा गया प्रस्ताव
सूत्रों का कहना है कि आत्मसमर्पण प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने माओवादी प्रभावित राज्यों में सुरक्षा की समीक्षा करने के लिए छत्तीसगढ़ की अपनी हालिया यात्रा के दौरान माओवादियों से सरेंडर करने की अपील की थी। साथ ही चेतावनी दी थी कि जो लोग बंदूक के दम पर जीना जारी रखेंगे, उन्हें आक्रामक अभियानों का सामना करना पड़ेगा।
आत्मसमर्पण नीति के तहत मिलेंगी सुविधाएं
सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति की एक प्रमुख विशेषता पूर्व माओवादियों के लिए एक स्थायी घर है। यह एक परिसर होगा। साथ ही आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों के लिए पीएमएवाई घरों के निर्माण के लिए भूमि का सीमांकन किया जाएगा।
जिला प्रशासन को भेजे चा चुके हैं पत्र
इसके लिए जिला प्रशासन को पत्र पहले ही भेजे जा चुके हैं। घर आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों के नाम पर पंजीकृत किया जाएगा और उनके बैंक खातों में धनराशि जमा की जाएगी।
10,000 रुपए भत्ता मिलेगा
प्रस्तावित नीति के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को हर महीने 10,000 रुपये का भत्ता दिया जाएगा। साथ ही, सरकार ने सबसे ज्यादा प्रभावित पांच जिले कांकेर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर में आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के लिए ‘पुनर्वास केंद्र’ स्थापित करने की योजना बनाई है।
पुनर्वास केंद्रों में रखा जाएगा
एक अधिकारी ने बताया कि इस पर केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा गया है। एक बार जब कोई माओवादी आत्मसमर्पण कर देता है, तो उसे तीन साल के लिए इन पुनर्वास केंद्रों में से एक में रखा जाएगा, जहां उन्हें पेशेवर कौशल में प्रशिक्षित किया जाएगा। वे अपनी पसंद की नौकरी चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे।
अभी प्रस्ताव पर होगी चर्चा
अधिकारियों ने कहा कि नीति को और बेहतर बनाने और कार्यान्वयन के लिए खाका तैयार करने के लिए आगे भी चर्चा होगी। हाल ही में, उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा ने घोषणा की कि बस्तर में माओवादी हिंसा का मुकाबला करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले 1,200 से अधिक जवानों के लिए उनके संबंधित गांवों में स्मारक बनाए जाएंगे।
युवाओं में देश भक्ति की भावना जागृत होगी
एक अधिकारी ने बताया कि करीब 20 करोड़ रुपए की लागत वाली यह परियोजना स्थानीय युवाओं में देशभक्ति की भावना पैदा करेगी। स्थानीय लोगों को उग्रवादियों से सुरक्षित रखने के लिए किए गए बलिदानों की सच्चाई लोगों तक पहुंचाएगी। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए शर्मा ने कहा कि हमारा लक्ष्य छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद को खत्म करना है।
उन्होंने कहा कि हम इसे हासिल करने के लिए कई दिशाओं में काम कर रहे हैं। चाहे वह बच्चों की शिक्षा हो, सुरक्षा बटालियनों में युवाओं की भर्ती हो या स्थानीय लोगों को आदिवासी संस्कृति और भोजन से जोड़ना हो। बस्तर के बच्चों, खासकर उग्रवाद से पीड़ित बच्चों के लिए सरकार इस साल ‘बस्तर ओलंपिक’ का आयोजन करेगी।
आगे बढ़ने में की जाएगी मदद
विजय शर्मा ने कहा कि अपने-अपने जिलों में अच्छा प्रदर्शन करने वालों को सम्मानित किया जाएगा और उनकी रुचि के क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह पहल 13-18 वर्ष और 19-24 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं को माओवादी भर्ती प्रयासों से दूर कर मनोरंजक, उत्पादक गतिविधियों की ओर ले जाएगी। शर्मा ने कहा कि इसी उद्देश्य से आत्मसमर्पण नीति को नवीनीकृत किया जा रहा है, ताकि उनका आत्मविश्वास हासिल किया जा सके।
गौरतलब है कि सरकार जहां माओवादियों के लिए नरम रुख अपनाकर हिंसा से बाहर निकलने का रास्ता सुझा रही है। वहीं, सुरक्षा बल नक्सलियों के साथ सख्ती से पेश आ रहे हैं जो राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़े हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस साल बस्तर संभाग में 200 से अधिक माओवादियों को मार गिराया गया है। बस्तर से माओवादियों को जड़ से उखाड़ने के लिए आक्रामक अभियान सटीक तरीके से जारी रहेगा।