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‘दीप साझा काव्य गगरी’ : 31 रचनाकारों का साझा संकलन : छत्तीसगढ़ भिलाई के ख्यातिलब्ध कवि गोविंद पाल भी शामिल : संग्रह का संपादन व संकलन दिनेश गोरखपुरी ने किया है
‘छत्तीसगढ़ आसपास’ :
दिनेश गोरखपुरी के संपादन में संकलित ‘दीप साझा काव्य गगरी’ गोविंद पाल के सौजन्य से प्राप्त हुई. ‘दीप साझा काव्य गगरी’ में देशभर के 31 रचनाकारों की 2-2 कविताएं/परिचय के साथ प्रकाशित हुई है. पृष्ठ संख्या-111/प्रकाशक- श्री दीप प्रकाशन, गोरखपुर, उत्तरप्रदेश और मुद्रित कागज वाला, दिल्ली से किया गया है. मूल्य-200 रु.
• 31 रचनाकार हैं-
दिनेश गोरखपुरी की सरस्वती वंदना से कविताओं की शुरूवात किया गया है.
* डॉ. शिव कुमार मिश्र ‘अलग’ [ग्वालियर मध्यप्रदेश]
* चंद्रगुप्त प्रसाद वर्मा ‘अकिंचन’ [गोरखपुर उत्तरप्रदेश]
* डॉ. प्रजेश पांडेय [पीलीभीत उत्तरप्रदेश]
* अनीता सिन्हा [लखनऊ उत्तर प्रदेश]
* डॉ. अलका गुप्ता ‘ प्रियदर्शिनी’ [लखनऊ उत्तरप्रदेश]
* गोविंद पाल [भिलाई छत्तीसगढ़]
* डॉ. संजीता खानम [जोधपुर राजस्थान]
* जालिम प्रसाद [कुशीनगर उत्तर प्रदेश]
* डॉ. रेखा गुप्ता [जयपुर उत्तरप्रदेश]
* आशाराम उइके [सिवनी मध्य प्रदेश]
* श्रीनिवास यन [विजयावाड़ा आंध्रप्रदेश]
* ऋषि तिवारी [सिवान बिहार]
* श्रीमती जलेश्वरी वस्त्रकार [बिलासपुर छत्तीसगढ़]
* कुंदन वर्मा ‘पूरब’ [गोरखपुर उत्तरप्रदेश]
* प्रियंका त्रिवेदी [बक्सर बिहार]
* दीपा विरमानी राठौर [बरेली]
* रमेशचंद्र यादव [लखनऊ उत्तर प्रदेश]
* डॉ. विश्वम्भर दयाल अवस्थी [बुलंदशहर उत्तरप्रदेश]
* नंदलाल मनी त्रिपाठी ‘पीतांबर’ [देवरिया उत्तरप्रदेश]
* सुषमा वोहरा
* हरमन कुमार बघेल ‘हरमन’ [आरंग छत्तीसगढ़]
* दिनेश कुमार श्रीवास्तव [चारगावाँ, उत्तरप्रदेश]
* मोहन पाण्डेय ‘भ्रमर’ [कुशीनगर उत्तरप्रदेश]
* कु. रेखा [बलिया उत्तरप्रदेश]
* किरण कुमारी ‘वर्तनी’ [सोनारी झारखंड]
* डॉ. उर्मिला साव ‘कामना’
* अरुण कुमार श्रीवास्तव ‘ अरुण’ [गोरखपुर उत्तरप्रदेश]
* डॉ. सरिता सिंह [लखनऊ उत्तर प्रदेश]
* प्रेमलता ‘रसबिंदु’ [गोरखपुर]
* प्रतिभा गुप्ता ‘प्रबोधिनी’ [गोरखपुर उत्तरप्रदेश]
और
* अज़हरुद्दीन फ़ारूखी ‘मसीह’ [परभनी महाराष्ट्र]
यह संग्रह ‘दीप साझा काव्य गगरी’ नव रचनाकार एवं वरिष्ठ कवियों का मिला-जुला संगम है. देशभर में ऐसे साझा संग्रह का प्रकाशन कई शहरों से हो रहा है. प्रकाशन और मुद्रक भी इस तरह के संयुक्त संकलन करते हैं, जो रचनाकार स्वयं संकलन निकाल सकने में सक्षम नहीं है, उनके लिए इस तरह के साझा संग्रह में शामिल हो जाना उपयुक्त है.
संपादक दिनेश गोरखपुरी का यह पहला प्रयास अच्छा है. सुधार की बहुत आवश्यकता है. प्रिंटिंग में सुधार की गुंजाइश है. कुछ कविताएं स्तरहीन है. मुखपृष्ठ को आकृषक नहीं बनाया गया है. अंतिम पृष्ठ में रचनाकारों की तस्वीर स्पष्ट न होना भी संग्रह और मुद्रक की कमजोरी दिखाई देती है. श्री दीप प्रकाशन की अपनी बात अपने विचार हैं. नज़र मगहरी के संदेश में लिखा गया है-
“कुछ रचनाकारों की रचनाओं में नयापन भी है तो कुछ रचनाकार वही घिसी पिटी बातों को दोहरा रहे हैं, जैसे कि नवोदित रचनाकार लिखते हैं. वहीं कुछ रचनाकारों ने तो लिखने का बहुत अच्छा प्रयास भी किया है.अधिकांश रचनाओं में श्रृंगाररस की कमी, अलंकार की कमी और श्रष्ठता की कमी है, भले ही रचनाएं गीत के रूप में लिखी गई है.”
‘दीप साझा काव्य गगरी’ में ‘ मुक्तकंठ साहित्य समिति’ के अध्यक्ष एवं अंतर्राष्ट्रीय कवि गोविंद पाल लिखित 2 गीत ‘चापलूसी की दुकान है…’ और ‘पत्थर हो गए…’ प्रकाशित हुई है. दोनों रचना गंभीर है और आज के हालात पर है. गोविंद पाल साहित्य के सभी विधाओं में विगत 40 वर्षों से लिख रहे हैं. अब तक इनकी एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई है. आकाशवाणी एवं टीवी चैनलों से भी रचनाओं का प्रसारण. डायमंड पॉकेट बुक्स हाउस नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित ’21 श्रेष्ठ बाल मन की कहानियां’ छत्तीसगढ़ का संपादन किया है. राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेकों सम्मान से सम्मानित हैं गोविंद पाल.
👉 • ‘दीप साझा काव्य गगरी’ की प्रति ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के संपादक प्रदीप भट्टाचार्य को भेंट करते हुए कवि गोविंद पाल
• समीक्षा : प्रदीप भट्टाचार्य
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