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छत्तीसगढ़ी कहनी : प्रेम के परख – डॉ. दीक्षा चौबे
निधि के आँखी के आघु म घुप अमावस के रात सही मुंधियार होगे अउ ओहर अपन मुड़ी ल धर के उही मेर बैठ गे । छाती म कस के पीरा उठिस अउ ओहर भुंइया म निश्चेत होके ढलंग गे बीच रोड म ,देखो देखो होगे । दु-चार झन लइका मन ओला अस्पताल पहुंचाइन । कोन जनी के घण्टा ओहर बेहोश रिहिस होश म आइस त मुड़ी पीरा हथौड़ा कस घन-घन परत रिहिस । फेर ओ फोटो हर ओखर दिमाग म छप गे रिहिस , आँखी खुले बंद सब्बो डहर उही दिखत रिहिस । ओखर आघु म बीस पच्चीस साल पहिली के बात मन सनीमा सही घूमे लगीन ।
सावन के महीना अउ नौकरी के पहली दिन दुनो संघरा आईन निधि के जिनगी म । घर ले निकलिस अउ टिपिर-टापर बूँद गिरे बर चालू होगे । इही थोरकिन देर पहिली गिरतीस त घर ले रेनकोट नई ते छाता लेके निकलतेंव ..ओहर बस म बैठ के सोचत रहय । बस म बीस किलोमीटर रद्दा तय करके ओहर रिक्शा कर लिस अउ लकर-धकर ऑफिस जाए बर निकलिस । पहिली दिन ओहर देरी मत होवय सोचत रिहिस त उल्टा होगे । भीजत बाँचत कइसनहो कर के ऑफिस पहुँचीस । सब्बो झन ओला आँखी गड़िया के देखत रहय , तभे पहिली मुलाकात होय रिहिस नवीन ले । लंबा-चौड़ा स्मार्ट अउ सुंदर नवीन हर ओला देख के मुस्कियाइस अउ अपन नांव बताइस । ओला पोंछे बर एक ठन नेपकिन दिस अउ बने सही बोल के ओकर हड़बड़ासी ल कमती करे के कोशिश करीस । अतका सहायता निधि बर बहुत बड़े सहारा के काम करीस । शुरुआत म कतेक कन फिकिर म डूबे रहिथे मन हर ,धुकधुकी छूट त रहीस तेन हर नवीन के गोठ बात ले थोरकिन निडर होइस ।
सुक्खा भुइंया म सावन के पहिली फुहार समाथे त सोन्ध-सोन्ध महके लगथे भुइंया हर वैसनहे निधि के मन म नवीन के सुघ्घर व्यवहार हर अपन सुवास छोड़ दे रिहिस । दिनों दिन उमन के दोस्ती हर बाढ़त गिस अउ कब ए दोस्ती के ऊपर परेम के रंग चढ़ गे पता नई चलिस । निधि के अतेक ख्याल रखना ,ओखर घर परिवार जम्मो झन के पूछ परख हर निधि के मन ल जीते बर बहुत रिहिस । फेर ओखर ऑफिस के लोगन मन काबर ए ते नवीन ले छिटियाय सही करय । निधि के एक झन संगी हर त ओला चेताय के भी कोसिस करीस के अतेक झटकुन कोनो बर भरोसा नई करना चाही । पहिली बने पता कर के रिश्ता बनाना चाही । फेर जेन ला पियार हो जाथे ओखर आँखी म बिश्वास के परदा पर जाथे । ओला सब्बो झन जलनखोर लगय जउन मन ल नवीन हर भाव नई दिस । ए दुनिया के सब्बो माया हर मन के रचे आय जइसन हमर मन के इस्थिति रहिथे वइसनहे हम ला दुनिया दिखथे । मन हर फरेब के झटका खाथे त दुनिया के जम्मो मइनखे फरेबी लागथे अउ मन हर बने-बने रहिथे त जम्मो डहर खुशी के फूल खिले दिखथे । एहि पाय केहे गे हे “मन के हारे हार हे मन के जीते जीत “।
उंखर जिनगी के बड़ सुघ्घर दिन बादर आय रिहिस । दिन हर आँखी म आँखी डारे निकल जाय अउ रात हर सुंदर भविष्य के सपना गढ़े म । नवीन के चकोर मन हर अपन चंदा ल छोड़े के मन नई करय अउ ओहर निधि ल छुए के मौका देखत रहय । लड़की अउ लड़का के मया म इही अंतर रहिथे । लड़की मन देह ले जियादा मन के मया के चाह रखथें । नवीन हर अब्बड़ कोशिश करय के ओमन तन मन ले एक हो जाय फेर निधि हर ए मामला म अब्बड़ कट्टर रिहिस । ओहर रिश्ता के मरजाद ल समझत रिहिस । बिहाव के पहिली सम्बंध बनाना ओखर नजर म पाप रिहिस । नवीन हर कतको बरजोरी करीस फेर निधि हर तइयार नई होइस । इही ओखर प्रेम के परीक्षा तको रिहिस के अगर नवीन ल ओखर ले सच्ची म प्रेम हे त ओहर ओकर इंतजार करही । मॉडर्न होय के मतलब अपन रीति परम्परा ल बिसराना नोहय । हमर पुरखा मन जउन मर्यादा बनाय हे तउन बहुत सोच बिचार के बनाय हे । जेन लड़की मन ए बात ल नई समझय तउने मन ल उंखर प्रेमी मन उंखर देह ल भोग के गर्भवती बना के छोड़ के भाग जाथे । फेर पछताय के सिवा कुछु नई कर सकय । फेर निधि के ए ब्यवहार हर नवीन के आकर्षण ल कमती करे लागिस ।ओहर त मदमस्त भौंरा रहय कभू ए फूल म कभु ओ फूल म बइठ के ओकर रस चूस के निकल जाने वाला भंवरा । एहि गोठ ल बताय के निधि के सहेली मन कतेक कोशिश करीन फेर ओहर कोनो ऊपर बिश्वासे नई करीस ।
मया पीरीत के बंधना म बंधाय उंखर जावर जोड़ी के खबर हर लुकाय म कहाँ लुकाही , दुनो झन के घर म ए गोठ होय लागिस । निधि हर अपन अम्मा ल जम्मो जिनिस ल गोठियाय त उमन ल कोनो आपत्ति नई रिहीस । बने कमात खात लइका , अपने जात के अउ बने पोठ घर के , अउ का खोजही दाई ददा मन । फेर नवीन हर बड़हर घर के एकलौता बेटा रिहिस । ओखर माँ बाप मन अपनेच सही नइते अपन ले अउ बड़हर घर देखत रिहिन । निधि सही सामान्य घर म उमन बिहाव करे बर राजी नई होइन । नवीन ल तो खाली टाइम पास करना रिहिस बिहाव तो ओह अपन मां बाप के मर्जी ले विधायक के सुंदर अउ धनवान लड़की संग करीस । ओहर अपन माँ बाप ल एको घ नई कहीस कि ओहर निधि ले प्यार करथे अउ बिहाव करना चाहत हे । नवीन के छल अउ पहिली प्यार के सपना टूटे के पीरा हर अब्बड़ दुखदायी रिहिस । खड़े फसल म पाला परे ले ओखर जेन हाल होथे निधि के दुनिया हर वइसनहे उजड़ गे रिहिस । अम्मा पापा अउ भाई बहिनी के संग रहे ले ओला बड़ सहारा मिलिस ।ओखर ऑफिस के मन भी ओखर बहुत संग निभाईन काबर कि ओमन नवीन के बनावटी पियार ल अउ कपटी ब्यवहार ल जानत समझत रिहिन । निधि हर काम , बात-ब्यवहार म बढ़िया रिहिस त सब्बो झन ल ओखर दुख ह पीरा देवत रिहिस । सब्बो संगी रिश्तेदार मन के पियार के पतवार हर निधि ल पीरा के समंदर ले बाहिर निकले म मदद करीस । निधि हर बड़ मुश्किल ले ए सदमा ले बाहिर आइस ।
समाज म बदनामी त होइस फेर ओला संतोष रिहिस के ओहर नवीन के झांसा म आके अपन आप ल समर्पित नई करीस नइते आज फांसी म झूले के अलावा अउ कुछु रद्दा नई बाँचतीस । ओखर देह ह पवित्र हे सीता सही फेर ओहर कहाँ कहाँ अग्नि परीक्षा देतिस । माँ बाप ओखर बिहाव के जिहा खबर देवय ओखर बदनामी हर ओखर ले पहिली पहुंच जाय अउ बिहाव टूट जाय ।” अब मेंहर बिहावेच नई करव अम्मा तुमन मोर फिकिर छोड़ दव । अगर मोर किस्मत म खुशी लिखाय होही त ओहर मोला मिलबेच करही , ओहर बहुत मजबूत होके ए गोठ ल कहे सकिस । ” बड़े ले बड़े घाव हर बखत के संग भर जाथे लोगन कहिथे तौन एकदम सच्ची बात हे । दू चार साल म जम्मो बने बने रहे लागिन ।
बिहाव करे के बाद नवीन हर जूना नौकरी ल छोड़ के दूसर कम्पनी म चल दिस । निधि ल बने लागिस रोज-रोज ओखर मुंह ल देखतीस त ओखर धोखा के घाव हर कभू नई भरतीस । उहा ले टरे म ओला भुलाना आसान होगे । ओखर ऑफिस के इंचार्ज सुभाष वर्मा हर बने इंसान रिहिस । निधि ल चार पाँच साल ले ईमानदारी ले काम करत देखे रिहिस अउ ओखर शांत स्वभाव , गुण ल जानत सुनत रिहिस । ओहर एक दिन अपन माँ बाप अउ बहिनी ल ले के सीधा ओखर घर जाके निधि के हाथ मांगे बर चल दिस । अगर निधि ल मंजूर होही तभे हमन बिहाव करबो कइके उमन निधि के इच्छा के सम्मान भी करीन । निधि अउ ओखर अम्मा बाबूजी जम्मो झन ल अब्बड़ खुशी होइस । सब गोठ ल जान सुन के जेन मन खुद रिश्ता लेके आय हे उमन के सुविचार के स्वागत होना चाही कहिके झटकुन बिहाव के तारीख पक्का कर दिन । सुभाष हर खुद एक समझदार अउ अच्छा इंसान रिहिस संघरा म ओखर घर परिवार के सोच भी खुले रिहिस । उमन निधि ल अपन बेटी के मान दिन । कभू ओखर जिनगी के पुराना अध्याय के ऊपर उमन चर्चा नई करीन अउ न कभू पूछीन ।
दाम्पत्य जीवन म प्रेम अउ बिश्वास दु ठन डोर के मजबूती रहय त उंखर अंगना ले खुशी हर कहूँ नई जाय ।
अस्पताल म निधि ल होश आइस त ओखर आस पास घर के जम्मो आदमी सखलाय रिहिन , का होगे , कइसे बेहोश होगे कइके सब्बो झन ल फिकिर होगे रिहिस । सुभाष हर डॉक्टर ल बने सही जम्मो टेस्ट करे बर कहत रिहिस । ओ बपुरा हर का जानतीस ए हर शरीर के पीरा नोहय ए मन के पीरा ए जउन सालों से नासूर बनके ओला सालथे । आज ओहर अपन बेटी ल एक झन लड़का संग देख के फेर उभरगे । जउन किस्सा ल मन के अंदरूनी हिस्सा म गंठिया के राख दे रिहिस तेला अब खोले के बेरा आ गेहे । ओला अपन बेटी ल दुनिया के ऊंच नीच सिखोय बर ए गड़े मुर्दा ल उखाने बर परहि । एखर बर चाहे ओखर बेटी महतारी के बारे मे कुछु सोचय फेर मोला हिम्मत करे बर परहि । ओला बताय बर परहि कि सच्चा प्रेम के परख करे म नइहे ओला निभाय म हे.
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