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- 7वां राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस समारोह : 21 नवम्बर को 3 दिवसीय स्वास्थ्य शिविर : श्री महावीर प्राकृतिक व योग विज्ञान महाविद्यालय नगपुरा-दुर्ग में : छत्तीसगढ़ राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल शामिल होंगे
7वां राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस समारोह : 21 नवम्बर को 3 दिवसीय स्वास्थ्य शिविर : श्री महावीर प्राकृतिक व योग विज्ञान महाविद्यालय नगपुरा-दुर्ग में : छत्तीसगढ़ राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल शामिल होंगे
‘छत्तीसगढ़ आसपास’ [दुर्ग]
भारत में हर साल 18 नवंबर को प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक चिकित्सा नामक दवा रहित चिकित्सा प्रणाली के माध्यम से सकारात्मक मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है। इस दिन को आयुष मंत्रालय (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी), भारत सरकार द्वारा 18 नवंबर, 2018 को घोषित किया गया था।
इस दिन एवं इससे पहले पखवाड़े, सप्ताहिक कार्यक्रम पूरे देश में प्राकृतिक चिकित्सा जागरूकता शिविर, कार्यशालाएं, सेमिनार और सम्मेलन आयोजित करके इस दिन को मनाया जाता है। कई प्राकृतिक चिकित्सा अस्पताल, संगठन और बीएनवाईएस डिग्री कॉलेज इस दिन आम जनता के लिए एक सप्ताह तक जागरूकता और चिकित्सा शिविर आयोजित करते हैं।
इस वर्ष के प्राकृतिक चिकित्सा दिवस समारोह का विषय “समग्र स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक चिकित्सा” है , जहां कोई भी व्यक्ति रोग और उसकी जटिलताओं को रोकने और स्वास्थ्य और कल्याण को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के तहत विभिन्न उपचारों और चिकित्साओं का उपयोग कर सकता है।
प्रतिवर्ष की तरह पूरे छत्तीसगढ़ में भी बी एन वाय एस चिकित्सकों की टीम (इनिग्मा छत्तीसगढ़ ईकाई) व श्री महावीर प्राकृतिक व योग विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय नगपुरा-दुर्ग छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में प्राकृतिक चिकित्सा दिवस समारोह का आयोजन विभिन्न जिलों व जगहों पर कर रहे हैं जिसमें
*श्री महावीर प्राकृतिक व योग विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय नगपुरा-दुर्ग में 3 दिवसीय स्वास्थ्य शिविर व 21 नवम्बर 2024 में राज्य स्तरीय समारोह आयोजित है जिसमें छत्तीसगढ़ के माननीय स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल जी, पं दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ रायपुर के कुलपति, कुलसचिव एवं आयुष विभाग के संयुक्त संचालक जी शामिल होने वाले हैं।
*ड्रीम पाथ प्राकृतिक व योग चिकित्सा सेंटर बिलासपुर में डॉ उमेश कुमार यादव बी एन वाय एस” द्वारा 7 दिवसीय स्वास्थ्य शिविर व 17 नवम्बर 2024 को राज्य स्तरीय समारोह आयोजित है जिसमें कई स्थानीय विधायक व सम्माननीय जन शामिल होंगे।
*आरोग्यवेदा भिलाई व उतई में स्वास्थ्य शिविर पखवाड़ा दिनांक 4 नवंबर से 18 नवंबर तक डॉ प्रेमलाल पटेल “बी एन वाय एस” पूर्व चिकित्सक फुकेट-थाईलैड, दिल्ली, कलकत्ताव बैंगलोर, (18 वर्षों से अधिक के चिकित्सकीय अनुभव) द्वारा नि: शुल्क चिकित्सा परामर्श व उपचार कोर्स में 50%तक छूट के साथ रीढ़ -स्पाइन संबंधित एवं हड्डियों के जोड़ संबंधित समस्याओं का ईलाज किया जा रहा है।
*गौतमब्यास प्राकृतिक व योग चिकित्सा सेंटर दुर्ग में डॉ अमित वासनिक “बी एन वाय एस” एवं डॉ भूमिका साहू “बी एन वाय एस” द्वारा 7 दिवसीय स्वास्थ्य शिविर।
*सुविधी प्राकृतिक व योग चिकित्सा सेंटर राजनांदगांव में डॉ कन्हैया पटेल “बी एन वाय एस” द्वारा 7 दिवसीय स्वास्थ्य शिविर।
*सर्व निदान प्राकृतिक व योग चिकित्सा क्लीनिक खरोरा रायपुर में डॉ मुकुन्द साहू “बी एन वाय एस” द्वारा 7 दिवसीय स्वास्थ्य शिविर।
*आरोग्य मंदिर रायपुर में डॉ विवेक भारतीय “बी एन वाय एस” द्वारा एक दिवसीय स्वास्थ्य सेमिनार का आयोजन।
*फाइव लोटस इंडो-जर्मन नेचर केयर सेंटर में डॉ रंजिता सिंह “बी एन वाय एस”द्वारा एक दिवसीय स्वास्थ्य सेमिनार का आयोजन।
*पोजिटिव हेल्थ जोन रायपुर में डॉ संस्कृति सिंह “बी एन वाय एस” द्वारा एक दिवसीय स्वास्थ्य सेमिनार व शिविर का आयोजन।
प्राकृतिक चिकित्सा क्या है?
प्राकृतिक चिकित्सा या नैचरोपैथी एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, जिसमें स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी अलग-अलग विधियों का उपयोग किया जाता है. इसका उपयोग दुनिया के कई हिस्सों में किया जाता है, विशेषतौर पर भारत में इस चिकित्सा पद्धति का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या काफी है. दरअसल भारत में बहुत से लोग आयुर्वेद तथा प्राकृतिक चिकित्सा को लेकर भ्रमित भी रहते हैं क्योंकि इन दोनों चिकित्सा पद्धतियों के सिद्धांत, उद्देश्य तथा नियम आपस में काफी मिलते हैं.
आरोग्यवेदा भिलाई व उतई (प्राकृतिक चिकित्सा योग होलिस्टिक मेडीसीन एवं स्पाइन केयर सेंटर)के चिकित्सक डॉ प्रेमलाल पटेल ‘बी एन वाय एस’ बताते हैं कि प्राकृतिक चिकित्सा या नेचुरोपैथी केवल एक उपचार पद्धति नहीं है, बल्कि यह एक जीवनशैली हैं. जिसमें स्वस्थ व निरोगी रहने के लिए प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग तथा प्रकृति के सामान्य नियमों के पालन पर जोर दिया जाता है.
प्राकृतिक चिकित्सा में कई अलग-अलग प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज किया जाता है, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखना है. जिसके लिए प्राकृतिक चिकित्सा में खान-पान एवं रहन-सहन की आदतों संबंधी नियमों का पालन करने के लिए कहा जाता है. इसके अलावा प्राकृतिक चिकित्सा में इलाज के लिए प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग तथा उनके उपयोग से जुड़ी क्रियाओं व अभ्यास का पालन किया जाता है, जैसे शुद्धि कर्म तथा जल, वायु, सूर्य, अग्नि व मृदा से जुड़ी क्रियाएं व चिकित्सा आदि।
डॉ पटेल बताते हैं कि प्राकृतिक चिकित्सा में भी रोगों के इलाज से पहले उनसे बचाव को अधिक महत्व दिया जाता है. इसे प्राकृतिक चिकित्सा का सबसे प्रमुख नियम भी माना जाता है. इस चिकित्सा पद्धति में मरीज के शरीर की प्रकृति, उसके वातावरण और उसकी जीवनशैली को ध्यान में रखकर किसी भी रोग या स्वास्थ्य समस्या का इलाज किया जाता है. इसलिए प्राकृतिक चिकित्सा में एक ही रोग का इलाज अलग-अलग व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न हो सकते हैं. इस पद्धति में रोगों का इलाज करने के साथ-साथ मरीज के स्वास्थ्य को प्राकृतिक रूप से बेहतर बनाने के लिए प्रयास किया जाता है. वहीं प्राकृतिक चिकित्सा का एक फायदा यह भी है भी इसका पालन एलोपैथी व अन्य चिकित्सा पद्धतियों के साथ भी किया जा सकता है.
प्राकृतिक चिकित्सा का इतिहास
प्राकृतिक चिकित्सा के जन्म की बार करें तो सबसे पहले स्कॉटलैण्ड के थॉमस एलिन्सन द्वारा वर्ष 1880 में ‘हाइजेनिक मेडिसिन’ का प्रचार किए जाने की बात सामने आती है. जो सेहतमंद तथा निरोगी रहने के लिए प्राकृतिक आहार व नियमित व्यायाम को अपनाने के साथ तम्बाकू आदि सेहत के लिए नुकसानदायक तत्वों के इस्तेमाल से परहेज की सलाह देते थे. लेकिन ‘नेचुरोपैथी’ को वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में लोगों में चर्चित करने का श्रेय अमेरिका के प्राकृतिक चिकित्सक बेनेडिक्ट लस्ट को जाता है. इसलिए उन्हे यूएस में नेचुरोपैथी का जनक भी कहा जाता है. नेचुरोपैथी दरअसल लैटिन भाषा के शब्द नेचुरा तथा यूनानी भाषा के शब्द पैथो से बना है. नेचुरा शब्द का अर्थ है प्रकृति और पैथो का अर्थ है पीड़ा या दर्द. इन दोनों शब्दों को मिलाकर नेचुरोपैथी शब्द बनाया गया था जिसका अर्थ होता है प्राकृतिक उपचार.
अपने देश भारत में प्राकृतिक चिकित्सा की शुरुआत व प्रसार का कुछ श्रेय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को दिया जाता है. दरअसल 18 नवंबर 1945 को महात्मा गांधी, ऑल इंडिया नेचर क्योर फाउंडेशन ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष बने थे और उन्होंने सभी वर्गों के लोगों को नेचर क्योर के लाभ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विलेख पर हस्ताक्षर किए थे. इसके कई सालों बाद भारत सरकार द्वारा आयुष मंत्रालय के गठन के बाद मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 में पहली बार 18 नवंबर को प्राकृतिक चिकित्सा दिवस (नेचुरोपैथी डे) मनाये जाने की परंपरा की शुरुआत की गई.
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