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समीक्षा ‘स्मारिका 2024 : आकांक्षा का आइना’ : दुर्ग जिला देवांगन समाज का युवक-युवती परिचय विशेषांक ‘स्मारिका- 2024’ समाज की आकांक्षा का आईना है – डॉ. नीलकंठ देवांगन
24 नवम्बर 2024 को कुशाभाऊ ठाकरे भवन, जवाहर नगर दुर्ग में दुर्ग जिला देवांगन समाज के महिला एवं युवा प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित वृहद सामाजिक सम्मेलन में विमोचित विवाह योग्य युवक युवती परिचय विशेषांक ‘ स्मारिका 2024 ‘ आर्कषक कला सज्जा के साथ कई मायनों में खास है, विशेष है। इसमें लेखकों, विचारकों के प्रेरक विचार, विवाह योग्य युवक युवतियों का परिचय, तलाकशुदा, विधवा, विधुर के परिचय, प्रतिष्ठित व्यापारियों, उद्योग पतियों, कारोबारियों के प्रतिष्ठानों के रंगीन पेजों में जानकारी युक्त विज्ञापन हैं।
मुख पृष्ठ मनोमुग्धकारी, नयनाभिरामएवं चित्ताकर्षक है। ईश्वरीय गुणों एवं शक्तियों से सम्पन्न, ब्रह्मांड एवं प्रकृति की सार्वभौम चेतना की पहली अभिव्यक्ति, आदि शक्ति, परम शक्ति, देवांगन समाज की अधिष्ठात्री कुल देवी मां परमेश्वरी की दिव्य वस्त्राभूषणों, अलंकारों से सज्जित मूर्ति का दिव्य दर्शन मन प्राण हृदय को आल्हादित कर गया। दोनों ओर पुष्प वर्षा करतीं स्वागत की मुद्रा में अप्सरा सी सुंदर ललनाएं जिसे देख मन शुद्ध व पवित्र हो गया। वातावरण को शुद्ध पवित्र बनाती ऊपर में घंटियां। घंटी की ध्वनि मन, मस्तिष्क और शरीर को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती, जिसे सुन भक्ति भाव जागृत हो जाता, दृश्य तन मन को शांत शीतल कर गया, शुकून से भर दिया।
श्रद्धावनत हो प्रणाम कर, दृष्टि और सकाश ले, छबि को नयनों के द्वार से हृदय में अवस्थित कर पन्नों को पलटा तो जन प्रतिनिधियों के एवं समाज के विशिष्ट जनों के सामाजिक समारोह एवं स्मारिका के सफल प्रकाशन हेतु शुभकामना संदेश एवं बधाई। फिर रंगीन पेजों में समिति के पदाधिकारियों के सचित्र विवरण। पहले दुर्ग जिला देवांगन समाज के केंद्रीय पदाधिकारी, संरक्षक गण, सलाहकार गण, विविध पदाधिकारी, महिला प्रकोष्ठ, युवा प्रकोष्ठ, देवांगन जन कल्याण समिति भिलाई नगर के केंद्रीय पदाधिकारी, ब्लाक पदाधिकारी, बैकुंठधाम, कैंप 2, भिलाई ब्लाक पदाधिकारी गण, जामुल मंडल, इकाई पदाधिकारी गण।
स्मारिका में 500 से अधिक विवाह योग्य युवक युवतियों का गोत्र, नाम, जन्म तिथि, शिक्षा, कार्य, पिता का नाम, पिता का व्यवसाय, मेबाइल नंबर सहित सचित्र परिचय संकलित है जिसमें न केवल प्रदेश के, बल्कि अन्य प्रदेशों से प्राप्त बायोडाटा सम्मिलित है। साथ ही पुनर्विवाह करने वाले तलाक शुदा, विधवा एवं वधुर जनों के भी सचित्र परिचय इसमें समाहित है जो खास, साहसिक है। उन्हें भी दोबारा जीवन साथी चुनने, पुनः दाम्पत्य जीवन आरम्भ करने का अवसर है। कुछ के परिचय तो सचित्र परिवार सहित हैं।
इतनी बड़ी संख्या में जानकारी एकत्रित करना एक श्रम साध्य एवं दुःसाध्य कार्य है जिसे संकलन कर्ताओं ने एकत्रित प्रकाशित कर स्थाई रूप से सुलभ बना दिया है। प्रशंसनीय कार्य किया है। संकलन कर्ताओं को बहुत बधाई।
स्मारिका पत्रिका का प्रकाशन दुष्कर कार्य है। दुर्ग जिला देवांगन समाज के महिला एवं युवा प्रकोष्ठ द्वारा वृहद सामाजिक सम्मेलन एवं विवाह योग्य युवक युवती परिचय सम्मेलन के अभिनव आयोजन में स्मारिका का विमोचन किया गया। दुर्ग जिला देवांगन समाज के अध्यक्ष पुरानिक राम देवांगन प्रशंसा के पात्र तो हैं ही। प्रधान संपादक राजेंद्र कुमार लिमजे, प्रबंध संपादक पुरानिक राम देवांगन जो दुर्ग जिला देवांगन समाज के अध्यक्ष हैं को इस सराहनीय कार्य के लिए बहुत बहुत बधाई। कार्यवाहक अध्यक्ष राकेश देवांगन सहित सभी पदाधिकारियों को भी बधाई। महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष कीर्ति देवांगन, युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष आशीष देवांगन को उल्लेखनीय श्रेष्ठ कार्य के लिए अनेक बधाइयां। उनकी पूरी टीम को धन्यवाद बधाई। समय की मांग एवं आवश्यकता के अनुरूप आपने समाज हित में यह बड़ा कार्य किया है।
विविध जानकारी युक्त विज्ञापन पृष्ठ रंगीन चिकने कागज में प्लास्टिक कोटेड हैं जो उस व्यवसाय, उद्योग, प्रतिष्ठान के निर्माण, विक्रय, कारोबार को दर्शाता है। अधिकतर विज्ञापन पूरे पृष्ठ में, कुछ आधे में तो कुछेक चौथाई पृष्ठ में संग्रहित हैं। सभी पृष्ठ शोभनिक हैं। विज्ञापन संकलन सहयोगियों को बधाई।
‘ संपादक की कलम से ‘ शीर्षक में राजेंद्र कुमार लिमजे ने समाज के विवाह योग्य युवक युवतियों का परिचय विशेषांक निकालने एवं परिचय सम्मेलन आयोजित करने के उद्देश्य एवं आवश्यकता पर बल देते स्पष्ट किया है कि काफी तलाश के बाद भी जिन्हें पुत्र पुत्रियों के लिए रुचि अनुकूल रिश्ता नहीं मिल पा रहा हो, उन्हें इसके माध्यम से योग्य रिश्ता ढूंढने में मदद मिलेगी। पुनर्विवाह के इच्छुक तलाक शुदा, विधवा, विधुर को भी अवसर मिलेगा।
उन्होंने जनवरी में सम्पन्न जिला समाज द्वारा आयोजित शिव पुराण कथा का जिक्र कर बताया कि इससे न केवल जिला के, बल्कि सुदूर अंचल के समाज का बड़ा वर्ग लाभान्वित हुआ है। अच्छा प्रतिसाद मिला है।
समाज हित में जिला समाज द्वारा एक जिला – एक नियम लागू करने हेतु सामाजिक नियमावली का प्रकाशन कर विभिन्न इकाइयों के माध्यम से सामाजिक जनों तक पहुंचाने की जानकारी दी है। यह संगठन में समन्वय, समरसता, अनुशासन के लिए आवश्यक है।
यह बहुत अच्छी पहल है। समाज में शीर्ष नेतृत्व से दिशा निर्देश हो जिसका अनुपालन सबके लिए सुनिश्चित हो। ऐसा न हो कि निर्देश या नियम सामाजिक जनों तक न पहुंचा हो। सभी बंधुओं को इसकी जानकारी न हो। जब कोई बात या मामला सामने आये, तब बताया जाय कि समाज का यह नियम है। नियम की जानकारी सबको हो।
‘ अध्यक्ष की कलम से ‘ शीर्षक में पुरानिक राम देवांगन ने वर वधु के चयन में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों को रेखांकित करते बताया है कि एक उम्र के बाद पुत्र पुत्रियों के लिए योग्य वर वधु की तलाश में माता पिता एड़ी चोटी एक कर देते हैं, जमीं आसमां नाप लेते हैं। बेटी के हाथ पीले हो जांय, बेटे को बहु का साथ मिल जाय। नहीं मिलने पर उनकी चिंताएं बढ़ती जाती हैं। बच्चों का भावुक मन भी भटकने लगता है। पहले रिश्ते घर के बड़े बुजुर्ग, माता पिता या मध्यस्थ तय कर देते थे। बदलते दौर में जीवन साथी का चयन अब बच्चों की हां और उनकी पसंद पर होने लगा है। रिश्ते चयन में माता पिता गौण हो गए हैं।
इन्हीं कठिनाइयों को दूर करने जिला देवांगन समाज द्वारा सामाजिक मंच से परिचय सम्मेलन के माध्यम से जीवन साथी चुनने की सुविधा व्यवस्था की गई है। आयोजन की सार्थकता बताते इस उक्ति को कि पति पत्नि की जोड़ी विधाता ऊपर से बनाकर भेजता है, युवक युवतियों को एक मंच पर मिलाप कराना ईश्वरीय कार्य है। उन्होंने इस सम्मेलन को सामाजिक कुंभ बताया है।
श्री पुरानिक राम देवांगन में कुशल नेतृत्व क्षमता है। कार्य निष्पादन के अनुपम गुण विद्यमान है। मुझे याद है, जब वे देवांगन जन कल्याण समिति भिलाई नगर के अध्यक्ष थे, समिति द्वारा 18 फरवरी 2001 को आयोजित भव्य परमेश्वरी महोत्सव में सिविक सेंटर स्थित स्टेडियम के समीप मैदान में हजारों लोगों की उपस्थिति में सामूहिक आदर्श विवाह के अंतर्गत आठ जोड़े वर वधु परिणय सूत्र में बंधे थे। यह उस समय की बड़ी उपलब्धि थी। इस विशाल आयोजन के मुख्य अतिथि तत्कालीन विधान सभा अध्यक्ष माननीय राजेंद्र प्रसाद शुल्क थे। उस आयोजन में मंच संचालन का अवसर मुझे भी मिला था।
‘ सचिव की कलम से ‘ में धनुष राम देवांगन ने विवाह योग्य युवक युवतियों के माता पिता के बरसों भटकने के बाद भी तलाश पूरी नहीं होने पर उनकी भाव दशा को दर्शाते बताया है कि उन्हें चिंता घेर लेती है। पुत्र पुत्रियों में भी निराशा के भाव घर कर जाते हैं। उन्हें लगने लगता कि विवाह सपना बन कर ही न रह जाय। तब जीवन साथी, वर वधु की तलाश में भटक रहे परिवार को अनावश्यक खर्च एवं समय की बर्बादी से बचाने समाज के माध्यम से सुविधा मिल सके, दुर्ग जिला देवांगन समाज ने बायोडाटा एकत्र कर स्मारिका का प्रकाशन एवं युवक युवती परिचय सम्मेलन का वृहद आयोजन किया जिसमें तलाक शुदा, विधवा, विधुर को पुनर्विवाह के लिए अवसर मिल सके। उनकी आकांक्षाएं पूरी हो सके।
‘ महिलाध्यक्ष की कलम से ‘ कालम में श्रीमती कीर्ति देवांगन ने बताया है कि सोलह संस्कारों में सबसे महत्वपूर्ण विवाह संस्कार सृष्टि के आदि से ही संपादित होते रहा है। वर वधु की तलाश आदि काल से जारी है। योग्य वर वधु की तलाश सुलभ बनाने, पूरी करने दुर्ग जिला देवांगन समाज के इस पहल को अविस्मरणीय एवं ऐतिहासिक बताते विश्वास जताया है कि जहां समाज में माता पिता अपने बच्चों के लिए, युवक युवतियां अनुकूल जीवन साथी ढूंढने के चक्कर में सालों साल भटकते रहते हैं, उन्हें एक मंच पर या स्मारिका में बायोडाटा की मदद से रिश्तों की तलाश पूरी करने का सुनहरा अवसर मिलेगा।
‘ युवाध्यक्ष की कलम से ‘ शीर्षक में आशीष देवांगन ने विवाह को सबसे श्रेष्ठ संस्कार बताते विवाह और विवाह संस्कार के अर्थ को स्पष्ट किया है। विवाह का मतलब परिचय से परिणय तक और विवाह संस्कार का मतलब सामाजिक गुणों का विकास और परंपराओं का निर्वहन है। उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त की है कि विवाह संस्कार अब समाज में समारोह, आयोजन, प्रदर्शन और प्रतिस्पर्धा का रूप लेता जा रहा है। योग्य रिश्तों का चयन आज के समय में कड़ी चुनौती है। वर वधु की तलाश पालकों के लिए गंभीर विषय है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि दुर्ग जिला देवांगन समाज द्वारा आयोजित परिचय सम्मेलन एवं स्मारिका में संग्रहित बायोडाटा रिश्तों के चयन में मददगार सिद्ध होगी
‘ सुखमय वैवाहिक जीवन ‘ शीर्षक में पुरानिक राम देवांगन ने सुखी दाम्पत्य जीवन के सुंदर सूत्र पिरोये हैं। विवाह संस्कार से दाम्पत्य जीवन की शुरुआत होती है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि विवाह शारीरिक या सामाजिक अनुबंध मात्र नहीं है अपितु पति पत्नि के बीच एक दूसरे के प्रति जिम्मेदारियां हैं, प्रेम और समर्पण है, आपसी समझ और विश्वास है। दाम्पत्य एक आध्यात्मिक साधना है
उन्होंने वैवाहिक जीवन को दो पहियों वाली गाड़ी के समान बताते सामंजस्य बिठाकर चलने से जीवन सहज और आनंदमय होने की बात कही। जीवन में आने वाली परेशानियों को दोनों को एक दूसरे का सहयोगी बनकर हल करने पर बल दिया, न कि प्रतियोगी बनकर। व्यावहारिक जीवन में कभी कभी समस्याएं भी आती हैं, उन्हें मिल बैठकर बातचीत से अपनेपन के भाव से दूर कर सकते हैं। एक दूसरे का दिल से सम्मान करें, ईमानदार रहें, भावनाओं का कद्र करें, नीचा दिखाने का भाव कभी न रखें, साथ साथ समय बिताएं, एक दूसरे को समझ कर चलें तो वैवाहिक जीवन श्रेष्ठ और सुखमय हो सकता है।
व्यक्ति के जीवन में परिवार की अहमियत बताते उन्होंने कहा है कि परिवार से ही व्यक्ति को प्रारंभिक शिक्षा और संस्कार मिलते हैं। समाज निर्माण की प्रारंभिक इकाई परिवार है। परिवार से बड़ा कोई धन नहीं।
‘ प्रगतिवादी परिवार – रिश्तों में दरार ‘ शीर्षक में हेमंत देवांगन ने विवाह को शाश्वत मूल्यों का पड़ाव कहा है जिससे नए युग की शुरुआत होती है। वैवाहिक जीवन कोई फूलों की सेज नहीं और न ही इसमें कांटे बिछे हैं। यह सोच पर निर्भर करता है। सकारात्मक सोच से व्यक्ति ऊंचा उठता, नकारात्मक सोच से उसका पतन हो जाता है। आपसी समझ, विश्वास और ईमानदारी से रिश्ता मधुर व प्रगाढ़ बनता है। नए जीवन में प्रवेश करने के बाद एक दूसरे पर अटल विश्वास करना गृहस्थ जीवन की पहली और अनिवार्य शर्त है। अहम का त्याग, मित्रवत व्यवहार जीवन को सुखमय बना देता है। जीवन के अंतिम सांस तक साथ देने वाली ही जीवन संगिनी है। उन्होंने व्यावहारिक तीखी बात कही है – पुरुष प्रधानता के जीवाणु अभी भी हमारे रगों में है और महिला शक्ति का उभरना हमें घायल कर देता है।
श्री हेमंत देवांगन जी साहित्यकार, चिंतक, विश्लेषक, व्यवसायी, समाजसेवी, पत्रकार, व्यंग्यकार के साथ राजनीति के कुशल चितेरे भी हैं। उन्हें जीवन का खासा अनुभव है। समाज की दशा और दिशा पर उनकी पैनी नजर होती है। उनके देखने की दृष्टि अपनी होती है। कहने का अंदाज अपना होता है। पहले के लेखों में उनकी लेखनी समाज में व्याप्त कुरीतियों, प्रथाओं, आडंबर पर चुटीले अंदाज में चोट करती सत्य का उद्घाटन करते चलती थी। पर इस लेख में उनकी भाषा काफी संयत और गंभीर है। सच्चाई को सीधे प्रस्फुटित करती परिवार और समाज को सोचने पर विवश कर रही है। दो सत्य घटनाओं को बेबाकी से उजागर कर समाज को सत्य का आईना दिखाया है। क्या ऐसा भी हुआ है? ऐसा भी होता है? हां, हुआ है, होता है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि एक नहीं कई मिल सकते हैं। दीया तले अंधेरा – – -।
जब समाज के सामने कोई मामला आता है तो उसे हल्के में न लेकर गंभीरता से तहकीकात कर ऐसा समाधान तलाश करें जो नजीर बन जाए। दूसरा ऐसा करने के पहले दस बार सोच ले कि इसका क्या अंजाम हो सकता है?
‘समाज हित चिंतन’ लेख में डॉ नीलकंठ देवांगन ने समाज क्या है?, हम क्या हैं?, हम कौन हैं?, दूसरे समाजों की तुलना में हमारी स्थिति कैसी है?, हमें क्या करना चाहिए? आदि बिंदुओं में व्यक्ति, परिवार, समाज के अंतर्संबंधों को स्पष्ट करते संगठन को मजबूत बनाने पर बल दिया है। संगठित समाज ही विकास कर सकता है। निरंतरता, सक्रियता, एकजुटता समाज को मजबूत बनाते हैं
परिवार की अहमियत को समझें, समाज के प्रति अपने दायित्वों को जानें, समाज के विकास से ही व्यक्ति का विकास होता है, हम समाज का हिस्सा हैं, हम हैं तो समाज है, समाज है तो हम हैं, समाज हित सर्वोपरि हो।
उन्होंने स्पष्ट किया है कि नारियां शक्ति पुंज होती हैं। उनकी शक्तियों का लाभ समाज को मिलने लगा है। उनको यथोचित सम्मान व अवसर प्रदान करें। युवाओं में परिवर्तन की असीम क्षमता होती है। सामाजिक संगठन में उनका प्रवेश और दायित्व बोध समाज को ऊंचाइयों पर ले जाने का उनका सार्थक प्रयास सराहनीय है। यह अच्छा संकेत है। उन्होंने जोर दिया कि लड़के और लड़कियों में भेद न कर दोनों को अच्छी शिक्षा व अच्छे संस्कार दें।
घनश्याम कुमार देवांगन देवांगन जन कल्याण समिति के अध्यक्ष हैं, बहु आयामी संस्था सृजन के केंद्रीय अध्यक्ष रहे हैं। वे काफी अनुभवी हैं। उनकी सोच, उनके लेख नयापन लिए समाज को सन्मार्ग दिखाता है। उन्होंने अपने लेख ‘ देवांगन समाज की गौरव गाथा ‘ में परमेश्वरी पुत्र देवांगन जनों के परिश्रम पुरुषार्थ, प्राप्त सुयश को बखान करते स्पष्ट किया है कि अपने पैतृक व्यवसाय में श्रेष्ठता सिद्ध करने के साथ आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक व अन्य क्षेत्रों में उन्होंने अपनी धाक व पहचान बनाई है। हर क्षेत्र में बेहतर प्रगति व समृद्धि हासिल की है। देवांगन महाजन कहलाता है। उन्होंने अपने व्यवसाय में धन के साथ समाज से मान भी पाया है।
देवांगन के लिए ‘ जय देवांगन जय महाजन ‘ कहा जाता है। यह नारा आत्मगौरव से भर देता है और हमें ऊर्जवस्वित कर देता है। यह प्रतिष्ठा हमें ऐसे ही नहीं मिली। इसके पीछे हमारा व्यवहार, दयाभाव, हमारी दानशीलता, समाज के प्रति हमारा दायित्व बोध है।
उन्हें प्रतिभा की अच्छी पहचान है। विभिन्न क्षेत्रों में अपने उत्कृष्ट कार्यों से पहचान बनाने वाले यशस्वी, प्रतिभा के धनी, प्रतिष्ठित जनों का, जिन विधाओं में उन्होंने महारत हासिल की है, लब्ध प्रतिष्ठ समाज के गौरवों का नाम सहित उनकी महिमा को महामंडित किया है।
सांस्कृतिक समृद्धि में – पंडवानी के पुरोधा, पंडवानी गायक, गायिका, लोक गायन वादन में निपुण, साहित्य समृद्धि में – हिंदी और छत्तीसगढ़ी साहित्य में श्री वृद्धि करने वाले साहित्यकारों, कवियों, जिनकी पुस्तकें प्रकाशित हैं, प्रतिष्ठित संस्थाओं से सम्मान पुरस्कार प्राप्त करने वालों, शास्त्रीय संगीत में – गायन, तबला वादन, वायलिन वादन, पखावज वादन, कत्थक नृत्यांगना, राजनीति क्षेत्र में – निगम अध्यक्ष, मंत्री, विधायक, सभापति, नगर पालिक, नगर पंचायत अध्यक्ष सहित अपनी विशिष्ट कार्य शैली से पहचान बनाने वाले जन प्रतिनिधियों, सूती, कोसा वस्त्र के उत्पादन एवं कलात्मक बुनकरी में राष्ट्रीय एवं राजकीय सम्मान तथा अलंकरण प्राप्त करने वाले, प्रोत्साहन पुरस्कार पाने वाले प्रतिष्ठित जन, प्रशासनिक अधिकारी – केंद्रीय एवं राज्य प्रशासनिक सेवाओं में चयनित, उच्च पदों पर पदस्थ पदाधिकारियों, चिकित्सा क्षेत्र में – मानव सेवा और समर्पण के मिशाल विशेषज्ञ चिकित्सकों, सर्जनों, शैक्षणिक क्षेत्र में – अपनी अप्रतिम सेवाओं से शिक्षा में योगदान देने वाले, कंप्यूटर एजुकेशन एवं प्रशिक्षण क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले, उद्योग धंधों में – श्रेष्ठता सिद्ध करने वाले व्यवसायियों, उद्योगपतियों, प्रतिष्ठानों, कंपनियों के मालिकों, न्याय पालिका, विधि एवं विधिक क्षेत्र में सेवा देने वाले समाज के गौरवों को चिह्नित कर उनके पदनाम, विधा सहित नामोल्लेख कर उनका मान बढ़ाया है, गौरव गान किया है। व्यक्ति हमेशा अपने कार्यों से ही याद किया जाता है।
श्री मती ईश्वरी देवांगन ने कविता ‘ रोज रामायण ‘ में रामायण से मिलने वाली शिक्षा को ग्रहण करने, झूठ कपट को त्याग धर्मानुकूल कर्म करने, मानवोचित गुण विकसित कर शुद्धाचरण करने प्रेरित किया है। ‘ नम्रता ‘ कहानी में घड़ा और उसके ढक्कन के पारस्परिक संवाद के माध्यम से बताया है कि नम्रता एक बड़ा गुण है।
‘ देवांगन समाज – परंपरायें नई पुरानी ‘ लेख में सुमन देवांगन ने दुर्ग जिला देवांगन समाज के महिला एवं युवा प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित सामाजिक सम्मेलन एवं विवाह योग्य युवक युवती परिचय विशेषांक की प्रशंसा करते इसे आवश्यक, उद्देश्यमूलक एवं क्रांतिकारी कदम बताया है। इससे समाज में विवाह और जीवन साथी चुनने की प्रक्रिया समावेशी और न्यायपूर्ण होगी। एकल जिंदगी जी रहे तलाकशुदा, परित्यकता, विधवा, विधुर को अवसर देना सामाजिक व्यवस्था में बड़े परिवर्तन का प्रतीक है।
समाज में चल रहे पुराने रीति रिवाज, परंपराओं को बदलते समय और समाज की जरूरतों के साथ बदलाव की आवश्यकता पर बल देते मरणोपरांत मृतक के शरीर पर श्रद्धांजलि स्वरूप कफन ओढ़ाने, दिवंगत की तृप्ति के लिए मृत्यु भोज, अस्थि विसजर्न के बाद परिजनों को वस्त्र भेंट करने की परंपरा के बदले समाज हित में दूसरे विकल्पों पर विचार कर, चुनकर और पहल कर प्रेरणास्पद एवं सकारात्मक संदेश देने की बात कही जिससे हम प्रगतिशील समुदाय का परिचय दे सकें।
श्रीमती सुनीता देवांगन की कविता जिंदगी उपहार है, सब अंधकार मिट जाएगा, योग जीवन पद्धति है, रिश्तों में गणित न लगाओ में जिंदगी को प्रभु की अमानत उपहार समझ खुशनुमा बनाने, योग को दिनचर्या में शामिल कर स्वस्थ जीवन जीने, जीवन में आने वाली कठिनाइयों कोअपने विवेक से सहज पार करने, अन्तस में प्रकाश भर जीवन पथ को आलोकित करने और रिश्तों में मधुरता लाने का प्रेरक संदेश निहित है।
आवरण पृष्ठ बहुत ही आकर्षक, रंगीन, हृदयग्राह्य, नयनाभिराम है। रंगीन पृष्ठ संयोजन सुन्दर, चित्ताकर्षक है। हर पृष्ठ शोभनीय है। अपनी बुद्धि युक्ति से सजीव बना दिया है। बधाई।
मुद्रण सही, स्पष्ट, त्रुटि रहित है। पृष्ठ सज्जा काबिले तारीफ है।
• समीक्षक, डॉ. नीलकंठ देवांगन
• संपर्क : 8435552828
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