- Home
- Chhattisgarh
- ‘अपना मोर्चा’ के संपादक राजकुमार सोनी द्वारा लिखित यह ज्वलंत रपट लेख आपको लिंक खोलकर पढ़ना चाहिए! सवाल क्या है ❓
‘अपना मोर्चा’ के संपादक राजकुमार सोनी द्वारा लिखित यह ज्वलंत रपट लेख आपको लिंक खोलकर पढ़ना चाहिए! सवाल क्या है ❓
▪️
क्या सच में पत्रकार मुकेश चंद्राकर का हत्यारा मुख्यमंत्री निवास गया था ❓
हत्याकांड में अफसरों की भूमिका को लेकर भी उठ रहे हैं सवाल… लेकिन अब तक कार्रवाई सिफर ?
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने एक्स हैंडल में लिखा है-बड़े दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि मुकेश चंद्रकार की मृत्यु के बाद भी सरकार ने अब तक उनके परिवार के लिए किसी भी प्रकार की सहायता राशि, नौकरी इत्यादि की घोषणा नहीं की है. सरकार को संवेदनशील होना चाहिए.पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे लिखा है- जनता को अब तक यह जवाब भी नहीं मिला है कि ठेकेदार सुरेश चंद्रकार 15 दिन पहले मुख्यमंत्री निवास आया था या नहीं ? क्या पिछले 15 दिन के मुख्यमंत्री निवास के सीसीटीवी फुटेज और आगंतुक सूची को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए ?
मुकेश चंद्रकार की हत्या के बाद प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने हत्या में शामिल ठेकेदार सुरेश चंद्रकार को कांग्रेस का पदाधिकारी बताया था जबकि कांग्रेस के मीडिया प्रभारी सुशील आनंद शुक्ला का कहना था कि कुछ समय के लिए सुरेश को कांग्रेस का पदाधिकारी अवश्य बनाया गया था लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही वह भाजपा में शामिल हो गया था. उसे बस्तर में तीन जिलों के संगठन प्रभारी जी वेंकटेश ने बकायदा फूलमाला पहनाकर प्रवेश दिलवाया था. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी यह माना है कि सुरेश चंद्रकार जब तक कांग्रेस से जुड़ा था तब-तक उसने किसी पत्रकार की हत्या नहीं की थी, लेकिन भाजपा में शामिल होते ही उसने पत्रकार की हत्या करने की ताकत हासिल कर ली थीं क्योंकि उसे राजनीतिक संरक्षण मिल गया था.
बहरहाल पूर्व मुख्यमंत्री के इस गंभीर आरोप के बाद भाजपा में सन्नाटा पसर गया है. सीसीटीवी फुटेज की बात तो छोड़िए…कोई भी जिम्मेदार यह बताने को तैयार नहीं है कि आखिरकार ऐसी कौन सी परिस्थिति थी जिसकी वजह से अपराधिक गतिविधियों में लिप्त ठेकेदार को शुचिता का दावा करने वाली भाजपा में शामिल करना पड़ा था ?
सवाल-दर-सवाल
इधर पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या को एक हफ्ते होने जा रहे हैं लेकिन कई तरह के सुगबुगाते सवाल अब भी मुंह बाए खड़े हैं.
सबसे बड़ा सवाल तो यहीं है कि क्या पूरी जांच और कार्रवाई केवल सुरेश चंद्रकार और उसके भाई रितेश चंद्रकार तक ही सिमटी रहेगी.जबकि इस हत्या को राजनीति और प्रशासन का गठजोड़ माना जा रहा है.
1-बीजापुर के अलावा घटनास्थल का मुआयना करके लौटने वाले देश-प्रदेश के तमाम पत्रकार मानते हैं कि मुकेश की हत्या के पीछे परोक्ष या अपरोक्ष ढंग से बीजापुर के पुलिस कप्तान जितेंद्र यादव और वहां के थाना प्रभारी दुर्गेश शर्मा का अहम रोल रहा है…लेकिन सरकार ने अब तक दोनों पुलिस अफसरों को जिले से नहीं हटाया है. अफसरों पर यह मेहरबानी समझ से परे हैं?
2- जब सलवा जुडूम अभियान प्रारंभ हुआ था तब प्रदेश में भाजपा की ही सरकार थीं और सुरेश चंद्रकार स्पेशल पुलिस आफीसर यानि एसपीओ बनाया गया था. उसे किस अफसर ने एसपीओ बनाया था ?
3- एसपीओ बनने के बाद जब सुरेश ने वरिष्ठ पुलिस अफसरों से नजदीकियां बढ़ाई तब माओवादी उन्मूलन के नाम पर उसे थाने में कटीली तार यानी बारबेड़ वायर लगाने का ठेका दिया जाता रहा. इन ठेकों के पीछे कौन सा पुलिस अफसर शामिल था ?
4- एसपीओ की नौकरी छोड़ने के बाद जब सुरेश चंद्रकार सड़कों का निर्माण करने वाला ठेकेदार बना तब उसे किस अफसर की मेहरबानी से ए केटेगरी का लायसेंस मिला… जबकि उसने कभी भी सड़क बनाने का काम नहीं किया था. यह भी जांच का विषय है.
5- वर्ष 2015 में जब सुरेश को सड़क निर्माण का पहला ठेका मिला तब भी प्रदेश में भाजपा की सरकार थीं और लोकनिर्माण विभाग के अफसर उस पर विशेष रुप से मेहरबान थे. सुरेश को 54 करोड़ का एकमुश्त ठेका देने के पीछे मंत्रालय और बीजापुर के किन अफसरों अहम भूमिका निभाई थीं ?
6- यह देखें बगैर कि वर्ष 2015 में सौंपा गया काम गुणवत्ता के साथ संपन्न हुआ है या नहीं… सुरेश चंद्रकार की फर्म को मार्च 2024 में फिर से 195 करोड़ के सड़क निर्माण का नया काम ( कुटरू-फरसगढ़ ) सौंप दिया गया. इस मेहरबानी के पीछे लोक निर्माण विभाग के कौन से अफसर शामिल थे ?
7- बीजापुर में यह चर्चा आम है कि पत्रकार मुकेश चंद्रकार की हत्या से पहले सुरेश चंद्राकर ने लोक निर्माण विभाग के एक अफसर को तीन लाख रुपए देकर मामले को सुलटाने के लिए कहा था. सवाल यह है कि सरकार के बजाय हत्यारे ठेकेदार के लिए काम करने वाला वह अफसर कौन है और उस पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई ?
8- बीजापुर के एक इलाके की लगभग पांच एकड़ जमीन पर जहां सुरेश चंद्रकार ने अवैध ढंग से कब्जा कर रखा था उसे प्रशासन ने अब जाकर ध्वस्त कर दिया है. सवाल यह उठता है कि छह साल से कब्जे वाली इस जगह पर वन विभाग के अफसरों की पहले नजर क्यों नहीं पड़ी ?
9- सरकार के जीएसटी विभाग ने घटना के बाद अब जाकर सुरेश चंद्रकार के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई कर लगभग दो करोड़ की कर चोरी पकड़ी है. विभाग के अफसर अब तक सो क्यों रहे थे ?
10- मौका-मुआयना से लौटने वाले पत्रकार बताते हैं कि जिस जगह पर मुकेश चंद्रकार की हत्या हुई है वह थाने से महज कुछ कदम की दूरी पर स्थित है और इस इलाके के आसपास नशे का कारोबार खूब फलता-फूलता रहा है. लगभग 12 हजार स्केवेयर फीट जमीन पर ठेकेदार ने अपने निजी कर्मचारियों के रहने के लिए आवास बनाया था. यह जमीन भी किस अफसर की मेहरबानी से मिली यह भी जांच का विषय है.
देशभर में देखने को मिल रहा है प्रतिवाद
मुकेश चंद्रकार की हत्या के बाद देशभर में आम नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओ, लेखकों और पत्रकारों का प्रतिवाद देखने को मिल रहा है. इधर राजधानी रायपुर प्रेस कल्ब के सदस्यों ने जहां राजभवन तक मार्च किया तो आयोजित की गई एक विचार गोष्ठी में अमूमन सभी सदस्यों ने यह माना कि घटना के दौरान पुलिस अफसरों की भूमिका बेहद संदिग्ध थीं. वरिष्ठ पत्रकारों के एक प्रतिनिधि मंडल ने उचित जांच और कार्रवाई की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से मुलाकात कर मामले की विस्तार से जानकारी दी है और अफसरों की संदिग्ध भूमिका के बारे में बताया है. खबर है कि जल्द ही जगदलपुर प्रेस कल्ब के वरिष्ठ सदस्य भी एसआईटी इंचार्ज मयंक गुर्जर से मुलाकात कर जांच के कुछ नए बिन्दुओं को शामिल करने की मांग करने वाले हैं. देश की राजधानी दिल्ली से भी पत्रकार संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के बीजापुर आने की खबर है.
▪️
क्या मुकेश चंद्राकर के हत्यारे ने किसी नेता या अफसर को देने के लिए निकाली थी बैंक से बड़ी रकम ❓
-पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बार-बार क्यों कहना पड़ रहा है कि ठेकेदार सुरेश चंद्रकार मुख्यमंत्री निवास गया था ?
-भूपेश बघेल किस भुगतान की कर रहे हैं बात ?
-हत्यारा ठेकेदार किस पुलिस अधिकारी के घर बावर्ची बनकर करता था काम ?
-सुरेश का सबसे बड़ा राजदार रामशंकर शर्मा कौन है ?
बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्रकार की हत्या में शामिल सभी आरोपी भले ही गिरफ्तार कर लिए गए हैं, लेकिन कई सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब अब भी नहीं मिल पा रहा है. हत्या की जांच में जुटी एसआईटी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में यह माना है कि हत्या से पहले यानि 27 दिसम्बर 2024 को ठेकेदार सुरेश चंद्रकार ने अपने बैंक खाते से बड़ी रकम निकाली है. एसआईटी की ओर से दी गई इस जानकारी के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या ठेकेदार ने किसी नेता या अफसर को भुगतान करने के लिए रकम निकाली है ? या फिर उसे मालूम था कि हत्या के बाद बैंक खाते सीज हो जाएंगे तब आगे कानूनी शिकंजे से बचने के लिए अकूत धनराशि की आवश्यकता होगी. इधर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए गए बयान में साफ तौर पर कहा है कि पत्रकार का हत्यारा सुरेश चंद्रकार दस दिन पहले मुख्यमंत्री निवास गया था. उनका कहना है कि जब सरकार ने एसआईटी का गठन कर ही दिया है तो फिर जांच में यह बिन्दु भी शामिल होना चाहिए कि ठेकेदार भाजपा का नेता है या नहीं ? भुगतान हो गया है या नहीं ?
छत्तीसगढ़ की खबरों पर पैनी नजर रखने वाले कन्हैया शुक्ला ने अपने एक्स हैंडल लिखा है-आरोपी ने हत्या के चार दिन पहले बैंक से बड़ी रकम निकाली है. कितना निकाला है एसआईटी ने यह नहीं बताया है… जबकि यह बताना तो बहुत आसान है. ये तो बैंक स्टेटमेंट से ही पता चल जाता है.
रकम के कनेक्शन का सच कहीं ये तो नहीं है..
ये बड़ी रकम क्या किसी बड़े अधिकारी या सत्ताधारी नेता तो देने के लिए निकाली गई है… ?
क्योंकि कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री @bhupeshbaghel पिछले 15 दिन के सीएम हाउस में इंट्री का फुटेज निकालने और सार्वजनिक करने की बात कह रहे हैं. आरोप है कि ये आरोपी सीएम हाउस गया था… तो क्या एसआईटी जांच में आए इस बड़ी रकम से सीएम हाउस का कोई अधिकारी या नेता जुड़ा है ?
पुलिस ने आरोपी के घर या हत्या वाली जगह पर कोई रकम नहीं बरामद की है तो आखिरकार ये बड़ी रकम हैं किसके पास ? क्या एसआईटी कभी सच्चाई बता पाएगा ?
छत्तीसगढ़ के आरटीआई कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने भी अपने एक्स हैंडल में लिखा है-मुकेश चंद्रकार का हत्यारा सुरेश चंद्रकार पुरस्कार प्रिय एसपी के आवास में कुक हुआ करता था. वह एसपी कौन है इसकी जांच होनी चाहिए.
इधर जगदलपुर प्रेस क्लब के सदस्यों ने गुरुवार को बीजापुर में कलेक्टर, एसआईटी प्रभारी और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर कई अन्य बिन्दुओं को भी जांच में शामिल करने की मांग की है. प्रेस कल्ब के सदस्यों का कहना है कि जगदलपुर के हाटकचौरा में रहने वाले रामशंकर शर्मा को भी जांच के दायरे में लेना उचित होगा क्योंकि रामशंकर शर्मा ठेकेदार सुरेश चंद्रकार का सबसे बड़ा राजदार है.
इसके अलावा प्रेस कल्ब के सदस्यों का कहना है कि ठेकेदार सुरेश चंद्रकार किन-किन वीआईपी लोगों और अधिकारियों से बात करता था उसका विवरण भी सामने आने चाहिए. सदस्यों ने लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों से बातचीत की रिकार्डिंग और काल डिटेल को सार्वजनिक करने की मांग की है. सदस्यों का कहना है कि आरोपी और लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता की जांच होनी ही चाहिए.
बलात्कार का आरोपी कार्यपाल अभियंता पदस्थ है बीजापुर में
इधर खबर है कि आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और एक युवती दैहिक शोषण का आरोपी कार्यपालन अभियंता मधेश्वर प्रसाद बीजापुर के लोक निर्माण विभाग में ही पदस्थ है. बताते हैं कि इस अभियंता के आरोपी सुरेश चंद्रकार से बड़े मधुर संबंध थे. जब पत्रकार मुकेश चंद्रकार ने सड़क के मामले में भ्रष्टाचार का खुलासा किया तब अभियंता ने ठेकेदार का लायसेंस निरस्त करने में किसी भी तरह की कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. यहां तक मंत्रालय में चिट्ठी-पत्री भी नहीं लिखी. मुकेश की हत्या के बाद जब मामले ने तूल पकड़ा तब ठेकेदार का ए केटेगिरी का लायसेंस निलंबित और 207 करोड़ का टेंडर निरस्त कर दिया गया. जगदलपुर प्रेस क्लब के सदस्यों ने यह माना है कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर की मौत प्रशासन के भ्रष्ट अफसरों और राजनीति के गठजोड़ का नतीजा है इसलिए घटना में परोक्ष अथवा अपरोक्ष ढंग से लिप्त रहने वाले सभी अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
इन सवालों का जवाब आना भी बाकी
1-बीजापुर के अलावा घटनास्थल का मुआयना करके लौटने वाले देश-प्रदेश के तमाम पत्रकार मानते हैं कि मुकेश की हत्या के पीछे परोक्ष या अपरोक्ष ढंग से बीजापुर के पुलिस कप्तान जितेंद्र यादव और वहां के थाना प्रभारी दुर्गेश शर्मा का अहम रोल रहा है…लेकिन सरकार ने अब तक दोनों पुलिस अफसरों को जिले से नहीं हटाया है. अफसरों पर सरकार की मेहरबानी समझ से परे हैं
2-जब सलवा जुडूम अभियान प्रारंभ हुआ था तब प्रदेश में भाजपा की ही सरकार थीं और सुरेश चंद्राकर स्पेशल पुलिस आफीसर यानि एसपीओ बनाया गया था. उसे किस अफसर ने एसपीओ बनाया था ?
3-एसपीओ बनने के बाद जब सुरेश ने वरिष्ठ पुलिस अफसरों से नजदीकियां बढ़ाई तब माओवादी उन्मूलन के नाम पर उसे थाने में कटीली तार यानी बारबेड़ वायर लगाने का ठेका दिया जाता रहा. इन ठेकों के पीछे कौन सा पुलिस अफसर शामिल था ?
4-एसपीओ की नौकरी छोड़ने के बाद जब सुरेश चंद्राकर सड़कों का निर्माण करने वाला ठेकेदार बना तब उसे किस अफसर की मेहरबानी से ए केटेगरी का लायसेंस मिला… जबकि उसने कभी भी सड़क बनाने का काम नहीं किया था. यह भी जांच का विषय है.
5-वर्ष 2015 में जब सुरेश को सड़क निर्माण का पहला ठेका मिला तब भी प्रदेश में भाजपा की सरकार थीं और लोकनिर्माण विभाग के अफसर उस पर विशेष रुप से मेहरबान थे. सुरेश को 54 करोड़ का एकमुश्त ठेका देने के पीछे मंत्रालय और बीजापुर के किन अफसरों ने अहम भूमिका निभाई थीं ?
6- यह देखें बगैर कि वर्ष 2015 में सौंपा गया काम गुणवत्ता के साथ संपन्न हुआ है या नहीं… सुरेश चंद्राकर की फर्म को मार्च 2024 में फिर से 195 करोड़ के सड़क निर्माण का नया काम ( कुटरू-फरसगढ़ ) सौंप दिया गया. इस मेहरबानी के पीछे लोक निर्माण विभाग के पीछे कौन से अफसर शामिल थे ?
7- बीजापुर में यह चर्चा आम है कि हत्या से पहले पत्रकार मुकेश चंद्राकर को ग्रिप में लेने के लिए सुरेश चंद्राकर ने लोक निर्माण विभाग के एक ओएसडी को तीन लाख रुपए देकर मामले को सुलटाने के लिए कहा था. सवाल यह है कि सरकार के बजाय हत्यारे ठेकेदार के लिए काम करने वाला वह अफसर कौन है और उस पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई ?
8- बीजापुर के एक इलाके की लगभग पांच एकड़ जमीन पर जहां सुरेश चंद्राकर ने अवैध ढंग से कब्जा कर रखा था उसे प्रशासन ने अब जाकर ध्वस्त कर दिया है. सवाल यह उठता है कि छह साल से कब्जे वाली इस जगह पर वन विभाग के अफसरों की नजर क्यों नहीं पड़ी ?
9-सरकार के जीएसटी विभाग ने घटना के बाद अब जाकर सुरेश चंद्राकर के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई कर लगभग दो करोड़ की कर चोरी पकड़ी है. विभाग के अफसर अब तक सो क्यों रहे थे ?
10- बीजापुर के पत्रकार बताते हैं कि जिस जगह पर मुकेश चंद्राकर की हत्या हुई है वह थाने से महज कुछ कदम की दूरी पर स्थित है. लगभग 12 हजार स्केवेयर फीट जमीन पर ठेकेदार ने अपने निजी कर्मचारियों के रहने के लिए आवास बनाया था. यह जमीन भी किस अफसर की मेहरबानी से मिली यह भी जांच का विषय है.
11-खबर है कि ठेकेदार को अफसरों ने भैरमगढ़ में क्रेशर प्लांट संचालित करने के लिए लीज पर जमीन दी है. इस जमीन को भी सुरेश चंद्रकार ने अय्याशी का अड्डा बना दिया है. जमीन की लीज को अब तक निरस्त क्यों नही किया गया है.
०००००
[ • युवा पत्रकार राजकुमार सोनी ‘अपना मोर्चा’ के संपादक हैं ]
🟥🟥🟥🟥🟥