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‘दलित वैचारिकी और सृजन’ पर राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ की संगोष्ठी : दलित साहित्यकार समाज के वंचित और दबे- कुचले वर्गों के उत्पीड़न को प्रकाशमान करें- रत्न कुमार सांभरिया
‘छत्तीसगढ़ आसपास’ [जयपुर]
12 जनवरी को राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ और डॉ अंबेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में जयपुर में “दलित: वैचारिकी और सृजन” पर
दो सत्रों में कार्यक्रम आयोजित हुआ।”
प्रथम सत्र में ‘दलित: वैचारिकी और सृजन’ पर ‘व्याख्यान’ में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ दलित साहित्यकार रत्न कुमार सांभरिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि -“दलित, आदिवासी, स्त्री और हाशिये के लोगों को एक ही श्रेणी में रखकर उनकी चिंताओं को दलित साहित्य में उठाने की जरूरत है। उनमें चेतना जगाने की ज़िम्मेदारी लेखकों की है। दलित साहित्यकार समाज के वंचित और दबे कुचले वर्गों के उत्पीड़न को अपनी क़लम से प्रकाशमान करे।”
वरिष्ठ दलित साहित्यकार डॉ. ताराराम गौतम ने कहा कि -“दलित वैचारिकी आंदोलनों से उत्पन्न होती है। दलितों की पिछली पीढ़ी ने शोषण झेला, वर्तमान पीढ़ी ने संघर्ष किया और नई पीढ़ी स्थापना चाहती है।”
राजस्थान विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वर्षा वर्मा ने कहा कि -“अस्मिता विमर्श का लक्ष्य और ध्येय समतामूलक समाज का निर्माण है।”
इस सत्र को प्रलेस के कार्यकारी अध्यक्ष फारूक आफरीदी डॉ. अंबेडकर वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष व पूर्व आईपीएस जसवंत सम्पतराम ने भी संबोधित किया तथा प्रथम सत्र के कार्यक्रम की संयोजक व प्रलेस महासचिव रजनी मोरवाल ने प्रथम सत्र का सफल संचालन किया।
दूसरे सत्र में दलित वैचारिकी व सृजन पर ‘काव्य पाठ’ का आयोजन हुआ। जिसमें बीकानेर के दलित युवा कवि श्याम निर्मोही ने ‘संताप का सफ़र’, ‘कब आएगा वो सवेरा’, कविताऍं सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
भदोही, उत्तर प्रदेश से आए दलित युवा कवि बच्चा लाल ‘उन्मेष’ ने अपनी चर्चित कविता-“कौन जात हो भाई” सुनाकर सोचने पर मज़बूर कर दिया। जयपुर से राजकुमार इंद्रेश, सूरतगढ़ के युवा कवि शिव बोधि, राजेन्द्र सजल अलवर की कवयित्री सरिता भारत, शिवराम मिमरोठ आदि ने दलित चेतना की रचनाऍं प्रस्तुत करके श्रोताओं में जोश भर दिया ।
दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रलेस अध्यक्ष गोविन्द माथुर ने अपने संबोधन में कहा कि -“दलित लेखन में भोगा हुआ यथार्थ और प्रामाणिकताऍं होती हैं।”
दूसरे सत्र के कार्यक्रम संयोजक प्रेम चंद गांधी ने सफल संचालन किया।
दोनों सत्रों में वरिष्ठ साहित्यकार हरिराम मीणा, डॉ. अनिता वर्मा, पूनमचंद कंडारा, अजय अनुरागी, गुलाब चंद बारासा, डॉ. अम्बेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसायटी के महासचिव जी.एल.वर्मा सहित भारी संख्या में युवा शोधार्थी भी उपस्थित रहे।
ये जानकारी राजस्थान जयपुर ‘प्रलेस’ की महासचिव रजनी मोरवाल ने ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ को दी.
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