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- ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के तत्वावधान में ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-70’ में – ‘मध्यबलय’ के संपादक दुलाल समाद्दार का जन्मोउत्सव, साहित्यिक विचार- विमर्श और काव्य गोष्ठी में शामिल हुए स्मृति दत्त, दुलाल समाद्दार, वीरेंद्रनाथ सरकार, प्रदीप भट्टाचार्य, बृजेश मल्लिक, आलोक कुमार चंदा और रविंद्रनाथ देबनाथ
‘बंगीय साहित्य संस्था’ के तत्वावधान में ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-70’ में – ‘मध्यबलय’ के संपादक दुलाल समाद्दार का जन्मोउत्सव, साहित्यिक विचार- विमर्श और काव्य गोष्ठी में शामिल हुए स्मृति दत्त, दुलाल समाद्दार, वीरेंद्रनाथ सरकार, प्रदीप भट्टाचार्य, बृजेश मल्लिक, आलोक कुमार चंदा और रविंद्रनाथ देबनाथ
👉 जन्मदिवस दुलाल समाद्दार [बाएँ से] आलोक कुमार चंदा, वीरेंद्रनाथ सरकार, प्रदीप भट्टाचार्य, स्मृति दत्त, दुलाल समाद्दार, बृजेश मल्लिक और रविंद्रनाथ देबनाथ.
‘छत्तीसगढ़ आसपास’ [भिलाई निवास, इंडियन कॉफी हाउस : 18 जनवरी, 2025]
👉 {बाएँ से} रविंद्रनाथ देबनाथ, आलोक कुमार चंदा, स्मृति दत्त, वीरेंद्रनाथ सरकार, बृजेश मल्लिक, प्रदीप भट्टाचार्य और दुलाल समाद्दार.
बांग्ला भाषा, संस्कृति और साहित्य को विगत 60 वर्षों से जीवंत रखने वाली भिलाई की एकमात्र साहित्यिक संस्था है ‘बंगीय साहित्य संस्था’. इस संस्था की परिकल्पना 60 वर्ष पहले बांग्ला के लब्धप्रतिष्ठित लेखक स्व. शिबब्रत देवानजी और बांग्ला-अंग्रेजी के लेखक डॉ. भवानी प्रसाद मुखर्जी. वर्तमान में ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के सभापति बांग्ला की चर्चित कवयित्री श्रीमती बानी चक्रवर्ती और सचिव हैं ‘पूबेर हावा’ के संस्थापक कवि शुभेंदु बागची.
‘बंगीय साहित्य संस्था’ वार्षिक कैलेंडर में प्रतिमाह ‘साहित्य आसोर’ {सभा} का आयोजन करती है. ‘साहित्य आसोर’ की बैठक जनवरी- 2025 तक 345 हो चुकी है. ‘साहित्य आसोर-345’ बैठक, 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन संस्था के वरिष्ठ सदस्य, कवि वीरेंद्रनाथ सरकार के निवास पर हुई. प्रति सप्ताह शनिवार को ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा’ नियमित रूप से हो रहा है. इस सप्ताह 18 जनवरी, 2025 तक आड्डा-70 हो चुका है. संस्था एक लिटिल मेंगजिंन ‘मध्यबलय’ का नियमित प्रकाशन कर रही है. साहित्यिक पत्रिका ‘मध्यबलय’ का अबतक 58 अंक प्रकाशित हो चुकी है. ‘मध्यबलय’ के संपादक हैं, सुप्रसिद्ध कवि दुलाल समाद्दार.
इस सप्ताह ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-70’ में शामिल हुए-
* ‘बंगीय साहित्य संस्था’ की उप सभापति एवं बांग्ला लेखिका स्मृति दत्त.
* ‘मध्यबलय’ के संपादक दुलाल समाद्दार.
* विचारवान कवि वीरेंद्रनाथ सरकार.
* ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के संपादक एवं प्रगतिशील कवि प्रदीप भट्टाचार्य.
* राष्ट्रवादी कवि बृजेश मल्लिक.
* साहित्यिक चिंतक आलोक कुमार चंदा. और
* सामाजिक चिंतक रविंद्रनाथ देबनाथ.
प्रारंभ में कवि दुलाल समाद्दार का जन्मदिवस को सदस्यों ने केक काटकर किया. सभी सदस्यों ने उन्हें पुष्पगुच्छ भेंट कर उनके दीर्घायु होने की कामना की.
👉 • दुलाल समाद्दार के जन्मदिन पर बंगीय सदस्य बधाई देते हुए…
▪️ काव्य पाठ { उपस्थित सदस्यों ने बांग्ला और हिंदी में अपनी-अपनी प्रतिनिधि कविताओं का पाठ किया }
• स्मृति दत्त जय पराजय/बासुदेव मंडल रचित कविता ‘जोदी पारी’.
• दुलाल समाद्दार ‘खेला’.
• वीरेंद्रनाथ सरकार रवि ठाकुर की एक कविता ‘नाई तुमी भगवान’ और विचार विमर्श में कहा कि बांग्ला भाषा को मैं ‘माँ’ और अन्य भाषा को ‘मासी’ मानता हूँ. हमें सभी भाषा में लिखी रचना का आदर करना चाहिए.
• प्रदीप भट्टाचार्य ने अपनी छोटी-छोटी प्रभावित मुक्तक को पढ़ा. ‘मेरे कत्ल की गवाही में…./’मेरे शब्दों के…
• बृजेश मल्लिक ने दुलाल समाद्दार लिखित एक रचना ‘भोर’ का पाठ किया और एक रचना स्वयं लिखित ‘जिबॉन – र – ठाट बाट’.
• आलोक कुमार चंदा ने नवनीता देबसेन की कविता शीर्षक ‘पाणिग्रहण’ को पढ़कर सुनाया.
आज के आड्डा-70 की अध्यक्षता स्मृति दत्त, संचालन वीरेंद्रनाथ सरकार और आभार व्यक्त बृजेश मल्लिक ने किया.
[ • रिपोर्ट by प्रदीप भट्टाचार्य और फोटो क्लिक by दुलाल समाद्दार ]
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