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- ‘बंगीय साहित्य संस्था’ : ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-71’ में शामिल हुए- स्मृति दत्त, दुलाल समाद्दार, प्रकाशचंद्र मण्डल, पल्लव चटर्जी, सोमाली शर्मा, वीरेंद्रनाथ सरकार, बृजेश मल्लिक, गौरचंद्र तालुकदार, पं. बासुदेव भट्टाचार्य शास्त्री, रविंद्रनाथ देबनाथ, आलोक कुमार चंदा और प्रदीप भट्टाचार्य : दुलाल समाद्दार का जन्मोत्सव : साहित्यिक चर्चा एवं काव्य पाठ
‘बंगीय साहित्य संस्था’ : ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा-71’ में शामिल हुए- स्मृति दत्त, दुलाल समाद्दार, प्रकाशचंद्र मण्डल, पल्लव चटर्जी, सोमाली शर्मा, वीरेंद्रनाथ सरकार, बृजेश मल्लिक, गौरचंद्र तालुकदार, पं. बासुदेव भट्टाचार्य शास्त्री, रविंद्रनाथ देबनाथ, आलोक कुमार चंदा और प्रदीप भट्टाचार्य : दुलाल समाद्दार का जन्मोत्सव : साहित्यिक चर्चा एवं काव्य पाठ
👉 {बाएँ से} बृजेश मल्लिक, आलोक कुमार चंदा, प्रदीप भट्टाचार्य, प्रकाशचंद्र मण्डल, स्मृति दत्त, वीरेंद्रनाथ सरकार, पल्लव चटर्जी, रविंद्रनाथ देबनाथ और गौरचंद्र तालुकदार
‘छत्तीसगढ़ आसपास’ [भिलाई निवास, इंडियन कॉफी हाउस : 25 जनवरी,2025]
बांग्ला संस्कृति और साहित्य के प्रति, विगत 60 वर्षों से इस्पात नगरी भिलाई में संचालित ‘बंगीय साहित्य संस्था’ की साहित्यिक यात्रा में प्रति सप्ताह आयोजित की जाने वाली – ‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार-विमर्श आड्डा’ अपने 71वें सोपान,25 जनवरी को सम्पन्न की. आज इस यात्रा के सहभागी बने- ‘बंगीय साहित्य संस्था’ की उप सभापति एवं बांग्ला की सुप्रसिद्ध लेखिका श्रीमती स्मृति दत्त, संस्था के उप सचिव व कवि प्रकाशचंद्र मण्डल, ‘मध्यबलय’ के संपादक व कवि दुलाल समाद्दार, ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के संपादक एवं प्रगतिशील कवि प्रदीप भट्टाचार्य, कवि पल्लव चटर्जी, वीरेंद्रनाथ सरकार, श्रीमती सोमाली शर्मा, गौरचंद्र तालुकदार, ‘हिंदू मिलन मंदिर’ के पुरोहित व हिंदुत्ववादी कवि पं. बासुदेव भट्टाचार्य शास्त्री, राष्ट्रवादी कवि बृजेश मल्लिक, साहित्यिक चिंतक रविंद्रनाथ देबनाथ और आलोक कुमार चंदा.
प्रारंभ में बंगीय सदस्यों ने दुलाल समाद्दार का जन्मदिवस मनाया. इस अवसर पर सभी सदस्यों ने उन्हें जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएं दी.
▪️ विचार-विमर्श
आज सम-सामयिकी विषय पर अभिव्यक्ति की आजादी बनाम लोकतंत्र पर चर्चा की गई. शब्द/अर्थ/भाषा/नयन/गीत/दीप/मुस्कान. ढुंढ रहे हैं आज फिर/अपनी खोई शान. अपने उदगम के समय भाषा कितनी पवित्र रही होगी, लेकिन आज जब सामाजिक वातावरण को देखते हैं तो लगता है कि शब्द/अर्थ/भाषा/नयन/गीत/दीप/मुस्कान/सभी तो अपनी खोई हुई जड़ों के लिए संघर्षरत है. इंकलाब की आग जलाये रखना दिल में अच्छा है/बचना पर संघर्ष हमेशा घर में आग लगाने से/जीवन में सौंदर्य बिखरता/मन में दीप जलाने से/कलियों को जब खिलते देखा/हँसी ओँठ पर आई है.
▪️ काव्यपाठ
[ उपस्थित सदस्यों द्वारा अपनी- अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया गया ]
स्मृति दत्त ने ‘बंग माता’/लघु कथा और ‘असहाय के तीन रूप’
प्रकाशचंद्र मण्डल ‘आज वो बाँधा आछी’
बृजेश मल्लिक ‘आईना र मुखो-मुखी’
गौरचंद्र तालुकदार ‘प्रभु मॉने रेखो…’/’रविवार’
दुलाल समाद्दार ‘हिसाब’ और ‘हाईफैन’
पल्लव चटर्जी ‘आबेग’ और राष्ट्रीय कन्या दिवस पर एक छोटी कविता
वीरेंद्रनाथ सरकार आधात्यिमक कविता ‘परमपिता’
आलोक कुमार चंदा ‘छोटो ऐ जीबन…’
प्रदीप भट्टाचार्य ‘अंतहीन प्रतीक्षा’
सोमाली शर्मा ‘निशी र आलो…’
▪️ आयोजन की कुछ प्रमुख झलकियाँ-
👉 • पं. बासुदेव भट्टाचार्य शास्त्री द्वारा प्रदीप भट्टाचार्य का पुष्पगुच्छ देकर अभिनंदन करते हुए…
👉 • पं. बासुदेब भट्टाचार्य शास्त्री ने ‘मध्यबलय’ के संपादक दुलाल समाद्दार का अभिवादन करते हुए…
▪️ चित्र में क्रम से-पल्लव चटर्जी, सोमाली शर्मा और दुलाल समाद्दार
▪️ चित्र में क्रम से- स्मृति दत्त, प्रकाशचंद्र मण्डल और आलोक कुमार चंदा
▪️ ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के सक्रिय सदस्य
▪️ हम साथ-साथ हैं – दुलाल समाद्दार, प्रदीप भट्टाचार्य और स्मृति दत्त
▪️ दीदी और दादा का अपना पन प्यार – दादा प्रकाशचंद्र मण्डल और दीदी स्मृति दत्त
‘कॉफी विथ साहित्यिक विचार- विमर्श आड्डा-71’ की अध्यक्षता स्मृति दत्त, संचालन प्रकाशचंद्र मण्डल और आभार व्यक्त रविंद्रनाथ देबनाथ ने किया.
[ • रपट, प्रदीप भट्टाचार्य और फोटो क्लिक पल्लव चटर्जी, दुलाल समाद्दार ]
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