• Chhattisgarh
  • विशेष आलेख : चुनाव रणनीति फर्मों को राजनीति आउटसोर्स करने के खतरे – आलेख, शुभम शर्मा : अनुवाद, संजय पराते

विशेष आलेख : चुनाव रणनीति फर्मों को राजनीति आउटसोर्स करने के खतरे – आलेख, शुभम शर्मा : अनुवाद, संजय पराते

1 day ago
89

👉 • प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर उर्फ पीके एक अनुभवी चुनाव रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2014 में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में लाने में मदद की थी और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोर टीम का हिस्सा थे। इससे पहले, उन्होंने 2011 के गुजरात विधानसभा चुनाव अभियान में मोदी की मदद की थी, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे। बाद में प्रशांत किशोर उनसे अलग हो गए और उन्होंने अन्य राजनीतिक दलों को भाजपा या उसके सहयोगियों को हराने में मदद की।

प्रशांत किशोर की इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी या आई-पीएसी के ग्राहकों में दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) से लेकर तमिलनाडु में स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) तक शामिल हैं। राजनीति, विचारधारा और संगठन में अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भी आई-पीएसी के साथ जुड़ने का प्रयास किया था, लेकिन मामला खटाई में पड़ गया और अब यह योजना ठप्प हो गई है। जब, पीके ने “मुद्दों को बेहतर ढंग से समझने” के लिए बिहार भर में यात्रा करने का फैसला किया था, तब अटकलें लगाई गई थीं कि वह इस राज्य में अपनी कोई पार्टी बना सकते हैं या किसी पार्टी का समर्थन कर सकते हैं।

प्रशांत किशोर और उनकी आई-पीएसी के संचालन का तरीका मुख्य रूप से विशाल पैमाने पर संग्रहित आंकड़ों के साथ काम करना, ज़मीनी स्तर पर तथ्य जुटाना, जिस पार्टी या नेता से वे जुड़े हैं, उसकी लोकप्रियता का आंकलन करना और जहां भी कोई कमज़ोरी नज़र आए, वहां अपने अभियान से उसे सुव्यवस्थित करना शामिल है। पिछले साल बंगाल चुनावों के दौरान मैंने जो कार्यप्रणाली देखी, वह थी प्रशांत किशोर के लोगों का निर्वाचन क्षेत्रों में तेज़ी से घूमना और लोगों की तो बात ही छोड़िए, स्थानीय नेतृत्व को भी दरकिनार करते हुए सीधे हाईकमान को उम्मीदवार के बारे में सुझाव देना।

अमेरिकी संगठन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी (पीएसी) के नाम पर प्रशांत किशोर ने अपने फर्म का नाम आई-पीएसी रखा है, लेकिन यह उससे अलग है। अमेरिकन फेडरेशन फॉर लेबर (ए एफ एल) और कांग्रेस ऑफ इंडस्ट्रियल ऑर्गनाइजेशन (सी आई ओ) ने 1940-60 के दशक के बीच संगठित मजदूरों से डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवारों के लिए, उदार-सामाजिक और आर्थिक सुधारों के समर्थन में, दान लेने के लिए पीएसी की शुरुआत की थी। बाद में जाकर धनी कॉरपोरेटों ने पीएसी प्रणाली पर कब्ज़ा कर लिया, खास तौर से 1963 में बिजनेस इंडस्ट्रियल पॉलिटिकल एक्शन कमेटी के गठन के बाद।

इस पीएसी में व्यवसाय की भागीदारी ने अमेरिकी कांग्रेस के मौजूदा सदस्यों के पक्ष में चुनावों में धांधली करने का रास्ता खोल दिया। पीएसी को प्राप्त 60% से अधिक धन उनके पास गया। इसका परिणाम यह हुआ कि व्यवसाय और बड़ी धनराशि अमेरिकी राजनीति में प्रवेश कर गई, जिससे लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व का आधार ही खतरे में पड़ गया।

प्रशांत किशोर की आई-पीएसी व्यवसाय और सरकार के बीच तालमेल बिठाने का कार्य नहीं करती है। शायद इसकी वजह सरकार द्वारा 2018 में लाई गई भयावह चुनावी बॉन्ड योजना है, जिसके ज़रिए बड़े कॉरपोरेट दानकर्ता अपनी पसंद की राजनीतिक पार्टी को बड़ी रकम दान कर सकते हैं और फिर भी, जनता की नज़रों से ओझल रह सकते हैं।

बहरहाल, आई-पीएसी जैसे संगठन और प्रशांत किशोर जैसे व्यक्ति भारतीय प्रतिनिधि लोकतंत्र में सेंध लगाने और बड़े पैसे वाले दलों के पक्ष में धांधली करने की क्षमता रखते हैं। इसके लिए उनकी फीस बहुत ज़्यादा होगी, जिसका अनुमान आई-पीएसी के सालाना कारोबार से लगाया जा सकता है। 2021 में यह 103.217 करोड़ रुपये से ज्यादा था और तीनों निदेशकों का कुल वेतन 2.67 करोड़ रुपये था।

चूंकि अधिकांश राजनीतिक दल अपना अधिकांश धन कॉर्पोरेट दान से जुटाते हैं, इसलिए हम कॉर्पोरेट-बहुलता और राजनीति के बीच एक नाभिनाल संबंध देख सकते हैं। ऐसा नहीं है कि चुनावी रणनीति बनाने वाली फर्मों के उदय से पहले ऐसे संबंध मौजूद नहीं थे। लेकिन चुनावी रणनीति फर्मों के उदय ने चुनावों में धन-दौलत की हिस्सेदारी के परिमाण को बढ़ा दिया है। 2009 के आम चुनाव में लगभग 200 करोड़ डॉलर (लगभग 17000 करोड़ रुपए) खर्च हुए थे, जबकि 2014 के चुनावों के लिए कीमत 500 करोड़ डॉलर (लगभग 425000 करोड़ रुपए से अधिक) थी। दुर्भाग्य से, आई-पीएसी द्वारा ली जाने वाली फीस का कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है। इसलिए, किसी को सैकड़ों करोड़ के अनुमानों को बेबुनियाद मानकर इस पर संदेह भी नहीं करना चाहिए।

भारत एक उत्तर-औपनिवेशिक लोकतंत्र है, जिसने निरंतर जन आंदोलनों के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्यवाद के शिकंजे से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की है। राजनीतिक दलों द्वारा वास्तविक जन आंदोलनों को दरकिनार करना और कॉर्पोरेट शैली की रणनीति फर्मों पर निर्भर रहना हमारी शानदार उपनिवेशवाद विरोधी, राष्ट्रवादी विरासत को क्रूरतापूर्वक नष्ट कर देता है। साल भर चलने वाला किसान आंदोलन वास्तव में यह याद दिलाता है कि गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों की वास्तविक चिंताओं से पैदा जैविक जन-आंदोलनों का स्थानापन्न संख्याओं की गणना करना और आंकड़ों का विशाल संग्रहण नहीं हो सकता।

दूसरा, मौजूदा सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष के बीच स्वाभाविक वित्तीय असमानता तब भुनाई जाती है, जब रणनीति बनाने वाली फर्में भारी भुगतान के बदले सहायता के लिए उपलब्ध होती हैं। विपक्षी पार्टी पैसे की कमी के कारण समान तरीकों को अपनाने का अवसर खो देती है, और मौजूदा सत्ताधारी पार्टी भ्रष्ट आचरण में लिप्त होकर जनता को निचोड़ने के लिए योजना बनाती है।

तीसरा, कॉरपोरेट शैली की रणनीति भी पूंजीवादी नवउदारवादी परियोजना को सफल बनाती है। आम आदमी, जो पहले से ही नवउदारवाद के तहत कई भागों में बंटकर अलग-थलग हो चुकी है, के लिए चुनाव आम तौर पर राजनीतिक दलों से अपने वोट के लिए अधिक से अधिक की मांग करने का एक अवसर होता है। चुनावी रणनीतिकारों द्वारा गढ़े गए चमकीले बायलाइन और सारहीन, उत्तेजक बयानों के कारण यह संभावना भी खत्म होती दिखती है। चाय पर चर्चा और नीतीश का निश्चय जैसी तुच्छ बातों के इर्द-गिर्द ही राजनीति घूमती दिखती है, जो चौबीसों घंटे टेलीविजन स्क्रीन, इंटरनेट, होर्डिंग्स और तख्तियों पर दिखाई जाती हैं, जिससे जनता द्वारा उठाई जाने वाली वास्तविक मांगों और नारों के लिए दरवाजे बंद हो जाते हैं।

चौथा, विचारधारा से परे जाकर न्यूनतम राजनीति करना रोजमर्रा की बात हो जाती है। चूंकि फर्मों द्वारा चुनावी रणनीति काले धन के इर्द-गिर्द घूमती है, इसलिए राजनीति की वैचारिक बुनियाद कहीं पीछे छूट जाती है। सांप्रदायिक भाजपा और राजनीतिक रूप से उसका समर्थन करने वालों के लिए सेवाएं उपलब्ध हैं। मजदूर वर्ग पर आधारित मांगें, जैसे कि न्यूनतम वेतन बढ़ाना और न्यूनतम वेतन 25,000 रुपये सुनिश्चित करना — जो वामपंथियों और सहयोगी ट्रेड यूनियनों की लंबे समय से मांग है — राजनीतिक संगठनों द्वारा कार्रवाई के संभावित कार्यक्रम के रूप में कभी अपनाई नहीं जाती हैं। इसलिए, भारतीय राजनीति पैसे कमाने वाली चुनावी रणनीति के बिना ही बेहतर हो सकती है।

दुनिया के इतिहास में कोई भी बड़ा सामाजिक संघर्ष बोर्ड-रूम रणनीति के बल पर नहीं लड़ा गया है और न ही जीता गया है। भारतीयों को यह नहीं भूलना चाहिए कि वे इस देश के ‘नागरिक’ हैं, न कि कॉरपोरेट शैली की रणनीति की विषय वस्तु। वर्ष 2025 सांप्रदायिक घृणा की विभाजनकारी राजनीति और नव-उदारवादी बाजीगरी के खिलाफ जन आंदोलनों की एक श्रृंखला का आह्वान कर रहा है।

👉 • शुभम शर्मा

[ • लेखक शुभम शर्मा स्वतंत्र शोध अध्येता हैं. • अनुवादक संजय पराते अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा के उपाध्यक्ष हैं. ]

🟥🟥🟥

विज्ञापन (Advertisement)

ब्रेकिंग न्यूज़

breaking Chhattisgarh

नशे में ड्राइवर ने झाड़ियों में घुसा दी बस, 100 लोग थे सवार, बाल-बाल बचे यात्री

breaking Chhattisgarh

ट्रंप ने भारत-चीन को दी धमकी! कहा- ‘ जो हमें नुकसान पहुंचाएगा उसे छोडे़ंगे नहीं’

breaking Chhattisgarh

CG News: निकाय चुनाव से पहले EVM की सुरक्षा कर रहे आरक्षक ने खुद को गोली मारकर की आत्महत्या

breaking National

February 2025 Bank Holiday List: इस महीने छुट्टियों की लगी लाइन, जानिए कितने दिन बंद रहेंगे बैंक…

breaking Chhattisgarh

बौखलाए नक्सलियों ने मुखबिरी आराेप लगाकर कर दी ग्रामीण की हत्या, सड़क पर लाश फेंककर फैलाई दहशत

breaking Chhattisgarh

‘ये सभी माइंस के दलाल’, नक्सलियों ने पद्मश्री हेमचंद मांझी समेत छह लोगों के लिए जारी किया मौत का फरमान

breaking Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र 24 फरवरी से होगा शुरू, 17 बैठकें होंगी

breaking Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का टूटा रिकॉर्ड, 145 लाख मीट्रिक की हुई खरीदी, जानें कब तक किसान बेच सकेंगे अपना धान

breaking National

मुख्यमंत्री साय के मीडिया सलाहकार पंकज झा का कांग्रेस पर गंभीर आरोप, कहा- चुराया भाजपा का स्लोगन…

breaking Chhattisgarh

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहुंचे रायपुर सेंट्रल जेल, कवासी लखमा और देवेंद्र यादव से की मुलाकात…

breaking National

कर्तव्य पथ पर दिखेगी छत्तीगढ़ की जनजातीय परंपराओं और रामनामी समुदाय की झलक

breaking National

40 लाख किसान परिवारों को तोहफा, PM मोदी ने कहा- जूट की MSP बढ़ने से होगा लाभ

breaking Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों को एक और झटका, सुकमा की प्राचीन गुफा में छिपा रखा था हथियारों का जखीरा, जवानों ने किया जब्त

breaking Chhattisgarh

पॉक्सो एक्ट: यौन उत्पीड़न को साबित करने शारीरिक चोट दिखाना जरूरी नहीं

breaking National

भव्य नहीं, साधारण और पारंपरिक होगी गौतम अदाणी के बेटे जीत की शादी, Adani Group के चेयरमैन ने ये कहा

breaking Chhattisgarh

रायपुर पहुंचे 14 नक्सलियों के शव… पोस्टमार्टम से पहले पोर्टेबल मशीन से होगा एक्स-रे, कहीं अंदर विस्फोटक तो नहीं

breaking Chhattisgarh

पंचायत-निकाय चुनावों के लिए BJP-कांग्रेस ने प्रत्याशियों के तय किए नाम! इस तारीख तक पार्टियां कर देंगी ऐलान

breaking Chhattisgarh

नक्सली मुठभेड़ में जवानों को बड़ी कामयाबी, मुख्यमंत्री साय ने की सराहना, कहा- छत्तीसगढ़ मार्च 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त होकर रहेगा

breaking National

लव जिहाद को लेकर पंडित प्रदीप मिश्रा का बड़ा बयानः बोले- हिंदू बेटियों को जागरूक होने की जरूरत, फ्रिजों में मिलते हैं लड़कियों के टुकड़े

breaking Chhattisgarh

चाइनीज मांझे से कटा बच्चे का गला, इलाज के दौरान मौत

कविता

poetry

इस माह के ग़ज़लकार : डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘सब्र’

poetry

कविता आसपास : तारकनाथ चौधुरी

poetry

कविता आसपास : दुलाल समाद्दार

poetry

ग़ज़ल : विनय सागर जायसवाल [बरेली उत्तरप्रदेश]

poetry

कविता आसपास : महेश राठौर ‘मलय’

poetry

कविता आसपास : प्रदीप ताम्रकार

poetry

इस माह के ग़ज़लकार : रियाज खान गौहर

poetry

कविता आसपास : रंजना द्विवेदी

poetry

रचना आसपास : पूनम पाठक ‘बदायूं’

poetry

ग़ज़ल आसपास : सुशील यादव

poetry

गाँधी जयंती पर विशेष : जन कवि कोदूराम ‘दलित’ के काव्य मा गाँधी बबा : आलेख, अरुण कुमार निगम

poetry

रचना आसपास : ओमवीर करन

poetry

कवि और कविता : डॉ. सतीश ‘बब्बा’

poetry

ग़ज़ल आसपास : नूरुस्सबाह खान ‘सबा’

poetry

स्मृति शेष : स्व. ओमप्रकाश शर्मा : काव्यात्मक दो विशेष कविता – गोविंद पाल और पल्लव चटर्जी

poetry

हरेली विशेष कविता : डॉ. दीक्षा चौबे

poetry

कविता आसपास : तारकनाथ चौधुरी

poetry

कविता आसपास : अनीता करडेकर

poetry

‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के संपादक व कवि प्रदीप भट्टाचार्य के हिंदी प्रगतिशील कविता ‘दम्भ’ का बांग्ला रूपांतर देश की लोकप्रिय बांग्ला पत्रिका ‘मध्यबलय’ के अंक-56 में प्रकाशित : हिंदी से बांग्ला अनुवाद कवि गोविंद पाल ने किया : ‘मध्यबलय’ के संपादक हैं बांग्ला-हिंदी के साहित्यकार दुलाल समाद्दार

poetry

कविता आसपास : पल्लव चटर्जी

कहानी

story

लघु कथा : डॉ. सोनाली चक्रवर्ती

story

सत्य घटना पर आधारित कहानी : ‘सब्जी वाली मंजू’ : ब्रजेश मल्लिक

story

लघुकथा : डॉ. सोनाली चक्रवर्ती

story

कहिनी : मया के बंधना – डॉ. दीक्षा चौबे

story

🤣 होली विशेष :प्रो.अश्विनी केशरवानी

story

चर्चित उपन्यासत्रयी उर्मिला शुक्ल ने रचा इतिहास…

story

रचना आसपास : उर्मिला शुक्ल

story

रचना आसपास : दीप्ति श्रीवास्तव

story

कहानी : संतोष झांझी

story

कहानी : ‘ पानी के लिए ‘ – उर्मिला शुक्ल

story

व्यंग्य : ‘ घूमता ब्रम्हांड ‘ – श्रीमती दीप्ति श्रीवास्तव [भिलाई छत्तीसगढ़]

story

दुर्गाप्रसाद पारकर की कविता संग्रह ‘ सिधवा झन समझव ‘ : समीक्षा – डॉ. सत्यभामा आडिल

story

लघुकथा : रौनक जमाल [दुर्ग छत्तीसगढ़]

story

लघुकथा : डॉ. दीक्षा चौबे [दुर्ग छत्तीसगढ़]

story

🌸 14 नवम्बर बाल दिवस पर विशेष : प्रभा के बालदिवस : प्रिया देवांगन ‘ प्रियू ‘

story

💞 कहानी : अंशुमन रॉय

story

■लघुकथा : ए सी श्रीवास्तव.

story

■लघुकथा : तारक नाथ चौधुरी.

story

■बाल कहानी : टीकेश्वर सिन्हा ‘गब्दीवाला’.

story

■होली आगमन पर दो लघु कथाएं : महेश राजा.

लेख

Article

तीन लघुकथा : रश्मि अमितेष पुरोहित

Article

व्यंग्य : देश की बदनामी चालू आहे ❗ – राजेंद्र शर्मा

Article

लघुकथा : डॉ. प्रेमकुमार पाण्डेय [केंद्रीय विद्यालय वेंकटगिरि, आंध्रप्रदेश]

Article

जोशीमठ की त्रासदी : राजेंद्र शर्मा

Article

18 दिसंबर को जयंती के अवसर पर गुरू घासीदास और सतनाम परम्परा

Article

जयंती : सतनाम पंथ के संस्थापक संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास जी

Article

व्यंग्य : नो हार, ओन्ली जीत ❗ – राजेंद्र शर्मा

Article

🟥 अब तेरा क्या होगा रे बुलडोजर ❗ – व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा.

Article

🟥 प्ररंपरा या कुटेव ❓ – व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा

Article

▪️ न्यायपालिका के अपशकुनी के साथी : वैसे ही चलना दूभर था अंधियारे में…इनने और घुमाव ला दिया गलियारे में – आलेख बादल सरोज.

Article

▪️ मशहूर शायर गीतकार साहिर लुधियानवी : ‘ जंग तो ख़ुद ही एक मसअला है, जंग क्या मसअलों का हल देगी ‘ : वो सुबह कभी तो आएगी – गणेश कछवाहा.

Article

▪️ व्यंग्य : दीवाली के कूंचे से यूँ लक्ष्मी जी निकलीं ❗ – राजेंद्र शर्मा

Article

25 सितंबर पितृ मोक्ष अमावस्या के उपलक्ष्य में… पितृ श्राद्ध – श्राद्ध का प्रतीक

Article

🟢 आजादी के अमृत महोत्सव पर विशेष : डॉ. अशोक आकाश.

Article

🟣 अमृत महोत्सव पर विशेष : डॉ. बलदाऊ राम साहू [दुर्ग]

Article

🟣 समसामयिक चिंतन : डॉ. अरविंद प्रेमचंद जैन [भोपाल].

Article

⏩ 12 अगस्त- भोजली पर्व पर विशेष

Article

■पर्यावरण दिवस पर चिंतन : संजय मिश्रा [ शिवनाथ बचाओ आंदोलन के संयोजक एवं जनसुनवाई फाउंडेशन के छत्तीसगढ़ प्रमुख ]

Article

■पर्यावरण दिवस पर विशेष लघुकथा : महेश राजा.

Article

■व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा.

राजनीति न्यूज़

breaking Politics

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उदयपुर हत्याकांड को लेकर दिया बड़ा बयान

Politics

■छत्तीसगढ़ :

Politics

भारतीय जनता पार्टी,भिलाई-दुर्ग के वरिष्ठ कार्यकर्ता संजय जे.दानी,लल्लन मिश्रा, सुरेखा खटी,अमरजीत सिंह ‘चहल’,विजय शुक्ला, कुमुद द्विवेदी महेंद्र यादव,सूरज शर्मा,प्रभा साहू,संजय खर्चे,किशोर बहाड़े, प्रदीप बोबडे,पुरषोत्तम चौकसे,राहुल भोसले,रितेश सिंह,रश्मि अगतकर, सोनाली,भारती उइके,प्रीति अग्रवाल,सीमा कन्नौजे,तृप्ति कन्नौजे,महेश सिंह, राकेश शुक्ला, अशोक स्वाईन ओर नागेश्वर राव ‘बाबू’ ने सयुंक्त बयान में भिलाई के विधायक देवेन्द्र यादव से जवाब-तलब किया.

breaking Politics

भिलाई कांड, न्यायाधीश अवकाश पर, जाने कब होगी सुनवाई

Politics

धमतरी आसपास

Politics

स्मृति शेष- बाबू जी, मोतीलाल वोरा

Politics

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में हलचल

breaking Politics

राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कहा- मर्यादित भाषा में रखें अपनी बात

Politics

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने डाॅ. नरेन्द्र देव वर्मा पर केन्द्रित ‘ग्रामोदय’ पत्रिका और ‘बहुमत’ पत्रिका के 101वें अंक का किया विमोचन

Politics

मरवाही उपचुनाव

Politics

प्रमोद सिंह राजपूत कुम्हारी ब्लॉक के अध्यक्ष बने

Politics

ओवैसी की पार्टी ने बदला सीमांचल का समीकरण! 11 सीटों पर NDA आगे

breaking Politics

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, ग्वालियर में प्रेस वार्ता

breaking Politics

अमित और ऋचा जोगी का नामांकन खारिज होने पर बोले मंतूराम पवार- ‘जैसी करनी वैसी भरनी’

breaking Politics

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, भूपेश बघेल बिहार चुनाव के स्टार प्रचारक बिहार में कांग्रेस 70 सीटों में चुनाव लड़ रही है

breaking National Politics

सियासत- हाथरस सामूहिक दुष्कर्म

breaking Politics

हाथरस गैंगरेप के घटना पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा, पढ़िए पूरी खबर

breaking Politics

पत्रकारों के साथ मारपीट की घटना के बाद, पीसीसी चीफ ने जांच समिति का किया गठन